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Last Updated : बुधवार, 17 सितम्बर 2014 (12:39 IST)

मोदी की लोकप्रियता पर उठे सवाल...

मोदी की लोकप्रियता पर उठे सवाल... - मोदी की लोकप्रियता पर उठे सवाल...
उपचुनाव के परिणामों से पार्टी में निराशा

विधानसभा के लिए कई राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनाव के परिणाम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। विरोधी दल चुनाव परिणाम को जहां मोदी की असफलता से जोड़कर देख रहे हैं, तो भाजपाई इसे पार्टी के लिए सबक मान रहे हैं। हालांकि उपचुनाव की जीत-हार खास मायने नहीं रखती है, लेकिन गुजरात और राजस्थान में भाजपा की हार जरूर पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं क्योंकि दोनों ही राज्यों में भाजपा की ही सरकारें हैं। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि उपचुनाव के परिणाम उसी पार्टी के पक्ष में जाते हैं, जिसकी राज्य में सरकार है। उपचुनाव के परिणाम के बाद भी मिली जुली प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं।



 

खत्म हुआ हनीमून पीरियड : कांग्रेस ने कहा कि उत्तरप्रदेश, राजस्थान और गुजरात उपचुनाव के नतीजों में भाजपा को तगड़ा झटका लगने से कांग्रेस में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। लोगों ने ‘धुव्रीकरण की राजनीति’ को खारिज कर दिया है, वहीं केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा है कि ये मोदी सरकार पर जनमत संग्रह के नतीजे नहीं हैं।

कांग्रेस ने कहा है कि ये नतीजे धर्मनिरपेक्ष ताकतों के लिए एक अच्छा शगुन है और इसने मोदी सरकार के ‘हनीमून पीरियड’ का अंत कर दिया है, जबकि भाजपा ने कहा कि यह उसे स्थानीय स्तर पर अपनी कमियों को दुरुस्त करने में मदद करेगा जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में उसे मदद मिलेगी क्योंकि ये चुनाव पूरी तरह से स्थानीय मुद्दों पर लड़े गए। कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि मोदी (सरकार का) लोगों के साथ हनीमून पीरियड खत्म हो गया है।  

भाजपा और विपक्ष के लिए बुरी खबर : आम आदमी पार्टी ने कहा है कि उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए ‘बुरी खबर’ है लेकिन विपक्ष के लिए भी ‘अच्छी खबर’ नहीं है।

प्रमाण पत्र नहीं है यह हार :  भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी नेकहा कि इन चुनाव के परिणामों को मोदी सरकार पर जनमत संग्रह के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। पार्टी चुनाव में जीत और हार से संदेश लेती है और इनसे भी सबक और संदेश लेगी तथा हार के कारणों का आकलन करेगी। उन्होंने कहा कि यह उत्तरप्रदेश के कार्यकर्ताओं के लिए कमियों को दुरुस्त करने का एक मौका है। समाजवादी पार्टी को गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए और इन परिणामों को किसी तरह के प्रमाण-पत्र के रूप में नहीं देखना चाहिए।
अगले पन्ने पर, किसने कहा सांप्रदायिक ताकतों को मुंहतोड़ जवाब...

सांप्रदायिक ताकतों को मुंहतोड़ जवाब : उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य के लोगों ने साम्प्रदायिक ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें सौहार्द तथा भाईचारे की जरूरत है।
 
मोदी की लोकप्रियता से संबंध नहीं :  वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने विधानसभा उपचुनावों में कुछ सीटों पर पार्टी को मिली असफलता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि उनकी लोकप्रियता में लोकसभा चुनावों के बाद से इजाफा ही हुआ है। जहां पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई वहां कुछ स्थानीय कारण जिम्मेदार रहे होंगे। उन्होंने कहा कि उपचुनावों में प्रदर्शन की पार्टी के अंदर समीक्षा की जाएगी। उपचुनाव के परिणामों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से जोडना सही नहीं है।

बैठकर आत्मचिंतन करना होगा कि कुछ सीटों पर प्रत्याशी चयन में या किसी अन्य स्तर पर क्या कमी रह गई। उन्होंने कहा कि केवल 10 दिन पहले किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार लोकसभा चुनाव के बाद से मोदी और उनकी सरकार की लोकप्रियता में इजाफा ही हुआ है और अगर अभी उनके नेतृत्व में चुनाव करा लिए जाएं तो लोकसभा में हमारी सीटों की संख्या और बढ़ ही जाएगी।

अगले पन्ने पर, मोदी की हार पर क्या बोले सलमान खान...

थोड़ा समय और देना चाहिए : बॉलीवुड के दबंग स्टार सलमान खान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थन में आगे आए हैं। सलमान का कहना है कि मोदी खुद को साबित करने के लिए थोड़ा समय और पाने के हकदार हैं। सलमान खान ने कहा अभी तो सिर्फ 100 दिन हुए हैं। उन्हें थोड़ा और समय दीजिए क्योंकि हर कोई इसका हकदार होता है। वे अपनी टीम के साथ दिन-रात काम कर रहे हैं जबकि लोग तो यहां कोई जिम्मेदारी लेना ही नहीं चाहते।

जो भी उनकी आलोचना कर रहे हैं उन्हें मैं चैलेंज करता हूं कि पहले अपनी हाउसिंग सोसायटी का चेयरपर्सन तो बनकर दिखाइए, देश चलाना तो दूर की बात है। आप खुद ही जान जाएंगे कि किसी को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हमने मोदी को जब प्रधानमंत्री चुना है तो हमें उन्हें वह इज्जत भी देना होगी।
 
पैर जमीन पर रखो :
उपचुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन को लेकर शिवसेना ने अपने 'पैर जमीन पर रखने' की नसीहत दी और कहा कि उसे इससे सबक लेना चाहिए। शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा गया कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तरप्रदेश में बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन अब उपचुनाव के परिणाम विपरीत रहे हैं।

यह महाराष्ट्र के चुनाव के लिए एक सबक है। यह सबके लिए सबक है। लोगों को हल्के में मत लीजिए। इसमें कहा गया कि लोगों का मन अस्थिर है। यह उनका फैसला है। उपचुनाव के परिणाम 15 अक्टूबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एक सबक हैं। यह सबके लिए एक सबक है। शिवसेना ने कहा कि अपने पैर जमीन पर रखो। लोकसभा चुनावों जीत की हवा में मत उड़ो। इस सबक को सीखने वाले ही महाराष्ट्र का चुनाव जीतेंगे। अन्यथा जनता वह करेगी जो जरूरी होगा।