मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Year 2016, JNU dispute, Smriti Irani, Prakash Javadekar, Kanhaiya Kumar
Written By

साल 2016 : शिक्षा जगत में छाए स्मृति, जावड़ेकर, कन्हैया

साल 2016 : शिक्षा जगत में छाए स्मृति, जावड़ेकर, कन्हैया - Year 2016, JNU dispute, Smriti Irani, Prakash Javadekar, Kanhaiya Kumar
नई दिल्ली। वामपंथी छात्र नेता कन्हैया कुमार और अन्य छात्रों द्वारा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कथित रूप से राष्ट्रविरोधी नारे लगाए जाने की घटना, नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए बनी सुब्रमण्यन समिति की रिपोर्ट का लीक होना और स्मृति ईरानी को हटाकर प्रकाश जावड़ेकर का मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया जाना इस वर्ष शिक्षा जगत में चर्चा के केंद्र रहे।
फरवरी में जेएनयू में भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में कन्हैया कुमार, उमर खालिद तथा कई अन्य छात्रों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किए जाने से पूरे देश में हंगामा खड़ा हो गया और देशभक्ति तथा देशद्रोह की परिभाषा को लेकर भी विवाद हुआ।
 
भारतीय जनता पार्टी एवं वाम दल समर्थक छात्र संघ के छात्रों के बीच काफी टकराव बढ़ गया जिससे देश के कई विश्वविद्यालयों के परिसरों में तनाव भी पैदा हुआ और आंदोलन के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित रही। इसी के साथ जेएनयू में 2 गुटों में झगड़े के बाद छात्र नजीब अहमद के रहस्मय परिस्थिति में गायब होने का मुद्दा भी सुर्खियों में रहा। पुलिस द्वारा ढूंढने के भरसक प्रयास करने के बावजूद नजीब का अब तक पता नहीं लग पाया है।
 
फरवरी में ही सुब्रमण्यन को नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए समिति का अध्यक्ष बनाया गया और जब इस 3 सदस्यीय समिति ने रिपोर्ट सरकार को सौंपी तो उसकी रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गई जिससे ईरानी के साथ उनका टकराव हो गया। दोनों ने एक-दूसरे का नाम लिए बिना एक-दूसरे पर हमले भी किए और ईरानी ने कहा कि इस रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, क्योंकि अन्य राज्यों की राय अभी मंत्रालय को प्राप्त नहीं हुई है। 
 
कन्हैया और नई शिक्षा नीति के विवाद थमे भी नहीं थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ईरानी को हटाकर उनकी जगह प्रकाश जावड़ेकर को नया मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया। जावड़ेकर ने जुलाई में अपना पदभार ग्रहण किया। मीडिया में इस फेरबदल को ईरानी की कार्यशैली के खिलाफ उठाए गए कदम के रूप में पेश किया गया। इस तरह पूरे वर्ष ये तीनों मुद्दे मीडिया में छाए रहे। ईरानी ने शुरू के 6 महीने में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कदम उठाए तो शेष 6 महीने में जावड़ेकर ने कई काम किए।
 
इस वर्ष केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें 'नो डिटेंशन पॉलिसी' का मुद्दा छाया रहा और इस पॉलिसी की समीक्षा के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई। बैठक में इस बात पर भी सहमति हुई कि राज्यों की सिफारिश के बाद 8वीं तक छात्रों को फेल करने की नीति को अगले साल से समाप्त कर दिया जाए। बैठक में लर्निंग आउटकम पर जोर दिया गया और उसके मानक तय किए जाने का फैसला लिया गया।
 
जावड़ेकर ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के स्कूलों में 10वीं का बोर्ड फिर से शुरू करने की भी घोषणा की। इस वर्ष स्कूलों में पहली बार योग ओलंपियाड भी शुरू हुआ और विजेता छात्रों और शिक्षकों को दिल्ली में जून में पुरस्कृत भी किया गया। देश के 6 केंद्रीय विश्विद्यालयों में योग पर पीएचडी शुरू करने की भी घोषणा की गई। छात्रों के लिए नेशनल अकेडमिक डिपॉजिटरी भी शुरू हुई जिससे अब उनकी डिग्रियां एवं प्रमाण पत्र ऑनलाइन मिल जाएंगे।
 
इस साल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद से जुड़े तकनीकी शिक्षा संस्थानों के लिए स्टार्ट उप पॉलिसी का भी शुभारंभ किया गया। इससे कुछ महीने पहले उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इंप्रिंट योजना की शुरुआत भी की गई ताकि नवाचार एवं शोध कार्यों को बढ़ावा दिया जा सके।
 
ईरानी के कार्यकाल में एमफिल एवं पीएचडी करने वाली छात्राओं को मातृत्व अवकाश देने की भी शुरुआत हुई और उन्हें नौकरी तथा विवाह के बाद दूसरे विश्वविद्यालयों से भी अपना शोध कार्य जारी रखने का प्रावधान किया गया। इस साल कुछ नए आईआईटी एवं आईआईएम तो खुले ही, आईआईटी में छात्रों की फीस भी बढ़ाई गई और सीटें बढ़ाने का भी फैसला किया गया।
 
जावड़ेकर ने नोटबंदी के बाद देश के शिक्षण संस्थानों में वित्तीय साक्षरता शुरू करने का अभियान शुरू किया और परिसरों में कैशलेस भुगतान की सुविधा के लिए पहल शुरू हुई। जेईई परीक्षा को आधार कार्ड से जोड़ा गया और यह घोषणा की गई कि इसे अन्य परीक्षाओं में भी लागू किया जाएगा। (वार्ता)
ये भी पढ़ें
पाकिस्तान के राष्ट्रपति कभी स्कूल नहीं गए...