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Last Modified: नागपुर , गुरुवार, 30 जुलाई 2015 (22:42 IST)

फांसी से 3 घंटे पूर्व जगा था याकूब मेमन

फांसी से 3 घंटे पूर्व जगा था याकूब मेमन - Yakub Memon, hanging
नागपुर। याकूब मेमन गुरुवार को यहां फांसी के फंदे से लटकाए जाने के लिए तय समय से तीन घंटे पहले जगा था और उसे यह सजा देने का काम बगैर किसी अड़चन के पूरा हो गया।
 
नागपुर केंद्रीय कारागार में उसे फांसी देने की तैयारियां 1050 किलोमीटर दूर दिल्ली में उच्चतम न्यायालय के तीन सदस्यीय पीठ के अपना आदेश सुबह चार बजकर 50 मिनट पर सुनाए जाने से काफी पहले से चल रही थी। हालांकि शीर्ष न्यायालय के आदेश के साथ ही याकूब को अपने 53वें जन्मदिन के दिन राहत मिलने की आखिरी आस भी खत्म हो गई थी।
 
अदालत कक्ष में तड़के ही शीर्ष न्यायालय के आदेश सुनाए जाने के दो घंटे से कुछ ही देर बाद पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट याकूब को जेल में प्रक्रियाओं के पूरी होने पर सुबह सात बजे फांसी दे दी गई।
 
याकूब के भाई सुलेमान और चचेरे भाई उस्मान कल यहां इस उम्मीद के साथ पहुंचे थे कि आखिरी क्षण की कानूनी लड़ाई में वे फांसी के तख्ते से बच जाएगा। सिर्फ ये लोग ही उसके परिवार के सदस्य के तौर पर उसे बीती रात नम आंखों से अंतिम विदाई देने आए थे, जिसके बाद वे अपने होटल लौट गए, जहां वे ठहरे हुए थे।
 
उच्च सुरक्षा वाली जेल के चारों ओर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था और मीडियाकर्मियों को याकूब के दो रिश्तेदारों से मिलने की इजाजत नहीं दी गई। फांसी के बाद शव लेने के लिए सुलेमान और उस्मान आज सुबह फिर जेल लौटे। सुलेमान ने बीती शाम एक अर्जी देकर याकूब का शव परिवार को सौंपे जाने की मांग की थी।
 
सुबह चार बजे जगने के बाद याकूब ने स्नान किया, नए कपड़े पहने, नमाज अदा की और कुरान की कुछ पंक्तियां पढ़ीं। उसके वकील अनिल गेदाम के मुताबिक याकूब कल घबराया हुआ नजर आ रहा था, लेकिन वह आखिरी पलों में कुछ करिश्मा होने की उम्मीद कर रहा था।
 
कानून के मुताबिक मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) फांसी की प्रक्रिया का मुआयना करने के लिए मौके पर थे और उसे फांसी पर लटकाए जाने से पहले उसका आरोप पढ़कर सुनाया। 
 
याकूब को फांसी देने के लिए जेल अधिकारियों ने जो कार्यक्रम बनाया था, उसके मुताबिक चली प्रक्रिया इस प्रकार है- सुबह चार बजे : याकूब अपनी कोठरी में जगा, सुबह सवा चार बजे : याकूब ने स्नान किया, सुबह साढ़े चार बजे : उसे नए कपड़े दिए गए, सुबह पौने पांच बजे : उसने हल्का नाश्ता किया, सुबह पांच बजे : चिकित्सकों की एक टीम ने आखिरी समय की जांच की, सुबह साढ़े पांच बजे : याकूब ने नमाज अदा की, कुरान की आयतें पढ़ीं, सुबह छह बजे : याकूब को उसकी कोठरी से दूसरी कोठरी में ले जाया गया, सुबह सवा छह बजे : जेल अधीक्षक योगेश देसाई और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जेल) मीरा बोरवंकर ने फांसी के तख्ते और रस्सी का मुआयना किया, जो एक से डेढ़ इंच मोटी थी।
 
सुबह साढ़े छह बजे : उसके चेहरे को काले मोटे कपड़े से ढंक दिया गया और उसे फांसी यार्ड ले जाया गया। सुबह पौने सात बजे : सीजेएम ने टाडा अदालत के फैसले को पढ़ा, सुबह छह बजकर 50 मिनट : याकूब को फांसी के तख्ते पर खड़ा किया गया और उसके गले में फंदा डाल दिया गया, सुबह छह बजकर 55 मिनट : सभी अधिकारियों, जल्लाद, जेल अधिकारियों ने पाया कि सब कुछ ठीक है, सुबह सात बजे : सीजेएम ने जल्लाद को लीवर खींचने का इशारा किया।

आधे घंटे बाद उसका शव नीचे उतारा गया और चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया। इसके बाद शव का पोस्टमार्टम किया गया और सुलेमान तथा उस्मान को सौंप दिया गया। (भाषा)