गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Yakub Memon
Written By
Last Updated : गुरुवार, 30 जुलाई 2015 (16:00 IST)

क्या है याकूब की गिरफ्तारी की सच्चाई!

क्या है याकूब की गिरफ्तारी की सच्चाई! - Yakub Memon
मुंबई बमकांड के दोषियों में से एक याकूब मेमन को गुरुवार को फांसी दे दी गई। 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 257 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। बम धमाकों से ठीक एक दिन पहले याकूब अपने पूरे परिवार के साथ देश छोड़कर चला गया था। इन धमाकों के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों को याकूब को भारत लाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। 
अगस्त 1994 में नेपाल से याकूब को पकड़कर भारत लाया गया और मुंबई की अदालत में पेश किया गया। उस दौरान यह भी कहा गया कि याकूब मेमन ने नेपाल में स्वयं आत्मसमर्पण किया जबकि सुरक्षा एजेंसियों ने उसे गिरफ्तार करने का दावा किया था। कई नेताओं और अधिकारियों का कहना है कि उसे भारत लाने के लिए जांचकर्ताओं ने याकूब के साथ कोई समझौता किया है। आखिर क्या है याकूब की गिरफ्तारी की सचाई-  
 
अलग-अलग दावे : याकूब मेमन की गिरफ्तारी को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं। धमाकों के पहले ही मेमन परिवार दुबई भाग गया था। वहां से पाकिस्तान शिफ्ट हो गया। याकूब पाकिस्तान में नहीं रहना चाहता था। 
 
सीबीआई का दावा है कि याकूब को 5 अगस्त 1994 में दिल्ली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन याकूब का दावा है उसने 28 जुलाई 1994 को भारतीय एजेंसियों के सामने आत्मसमर्पण किया था। एक टीवी चैनल की खबर के मुताबिक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने याकूब के साथ कोई समझौता नहीं किया था, बल्कि नेपाल पुलिस ने काठमांडू से कराची जाते समय याकूब को गिरफ्‍तार किया था। 
अगले पन्ने पर, पूर्व अधिकारी का दावा... 
 
 

सीबीआई के पूर्व अधिकारी का दावा : एक टीवी चैनल की खबर के मुताबिक सीबीआई की विशेष जांच बल के प्रमुख शांतनु सेन के मुताबिक याकूब के साथ किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया गया था। याकूब मेमन के भाई टाइगर मेमन ने उसे भारत आने से कई बार रोका था। उसे समझाने का प्रयास किया था। दोनों में इस बात को लेकर काफी मतभेद भी थे। शांतनु के मुताबिक उस समय याकूब और उसका भाई टाइगर पाकिस्तान के कराची में थे। 
 
सेन के अनुसार भारत लौटने को लेकर मेमन परिवार में गहरे मतभेद हो गए थे। याकूब और उसके परिवार को पाकिस्तान में घुटन महसूस हो रही थी। वे वहां असुरक्षित महसूस कर रहे थे। उन्हें यह अहसास होने लगा था कि वह ऐसे माहौल में ज्यादा दिन तक नहीं रह सकते हैं और यह भी पाकिस्तानी उन पर ज्यादा भरोसा नहीं करेंगे। सेन के अनुसार मेमन परिवार के साथ आईबी और रॉ के अधिकारी संपर्क में थे। सेन के अनुसार उन्हें हमने भारतीय न्याय व्यवस्था पर विश्वास रखने की बात कही थी। 
 
रॉ के पूर्व अधिकारी का दावा : भारतीय खूफिया एजेंसी रॉ के पाकिस्तान डेस्क के प्रमुख रहे बी. रमण ने 2007 में एक वेबसाइट को एक लेख भेजा था। हाल ही में यह लेख सामने आया था। इसमें उन्होंने लिखा था कि ‘जुलाई 1994 में मेरे रिटायरमेंट से कुछ हफ्तों पहले याकूब को काठमांडू से लाया गया था। उसे हम सड़क के रास्ते नेपाल से भारत के एक शहर में लाए थे। इसके बाद एविएशन रिसर्च सेंटर के प्लेन में दिल्ली लाए। इसके बाद उससे पूछताछ शुरू हुई। उसे और उसके परिवार को पाकिस्तान से आकर आत्मसमर्पण करने के लिए राजी किया गया था। रमण ने 2007 में वेबसाइट को यह लेख छापने से रोक दिया था।
 
यह कहती है अखबार की खबर : 2007 की इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार याकूब ने मुंबई में रहने वाले एक वकील को मिलने के लिए काठमांडू बुलाया था। याकूब कराची से वहां पहुंचा था। यह वकील सीरियल ब्लास्ट मामले से याकूब का नाम हटाने की कोशिश कर रहा था। याकूब अपने साथ कई सारे डॉक्युमेंट्स, वीडियो और ऑडियो कैसेट्स एक ब्रीफकेस में लेकर आया था। ब्रीफकेस में कई सारी चाभियों का गुच्छा भी था। 
 
जब वह वकील से मिलकर कराची लौट रहा था तो एयरपोर्ट में चेकिंग के दौरान एक्सरे मशीन ने चाभियों के चलते अलार्म बजा दिया। जब ब्रीफकेस खोला गया तो उसमें याकूब और उसके परिवार के भारतीय पासपोर्ट मिले। दस्तावेजों और वीडियो-ऑडियो कैसेट्स से नेपाल पुलिस को शक हुआ। पूछताछ के बाद सीबीआई को वहां बुलाया गया और इस तरह याकूब सीबीआई की गिरफ्त में आया। 
 
याकूब को यूपी बॉर्डर पर सोनौली में 28 जुलाई 1994 को तड़के 3 बजे सीबीआई के हवाले किया गया था। उसे आंख पर पट्टी बांधकर गोरखपुर ले जाया गया। याकूब ने मजिस्ट्रेट को दिए बयान में भी यही कहा था कि काठमांडू में इंटरपोल ने उसे पकड़ा था। याकूब 21 जुलाई 1994 को कराची से काठमांडू आया था। उसने 24 जुलाई को वापसी का टिकट लिया था। 2007 में ही याकूब की पत्नी रहीन ने एक इंटरव्यू में कहा ‍था कि वे लोग भारत लौटे थे क्योंकि कराची में पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें नजरबंद कर रखा हुआ था। (एजेंसियां)