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Last Modified: शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2014 (18:29 IST)

गंगा वाहिनी रक्षक होंगे तैनात : उमा भारती

गंगा वाहिनी रक्षक होंगे तैनात : उमा भारती - Uma Bharti
कानपुर। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने शुक्रवार को कहा कि गंगा को औद्योगिक कचरे और प्रदूषण से बचाने के लिए आईआईटी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग तथा नीरी नागपुर जैसे संस्थानों के विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है और गंगा स्वच्छता की दिशा में किए जा रहे कार्यों के परिणाम 3 साल के अंदर दिखने लगेंगे तथा 15 वर्ष में गंगा स्वच्छ हो सकेगी।

उमा भारती कानपुर में गंगा में गिरने वाले नालों का निरीक्षण करने शुक्रवार को यहां आई थीं। स्टीमर में बैठकर विभाग के अधिकारियों के साथ गंगा का निरीक्षण करने के बाद गंगा तट पर बने सरसैया घाट पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए गंगा वाहिनी रक्षकों की तैनाती की जाएंगी। यह रेडक्रॉस की तर्ज पर काम करेगी।

उन्होंने कहा कि इसमें सामाजिक संस्थानों के साथ रिटायर्ड लोगों को भी जोड़ा जाएगा, जो गंगा किनारों पर तैनात होंगे। इसके अलावा किसी त्योहार आदि पर इनकी टोली गंगा के तटों पर तैनात रहेगी और लोगों को गंगा को प्रदूषित करने से रोकेगी।

उमा ने बताया कि इन गंगा वाहिनी रक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए सेना की कुछ टुकड़ियों की सेवाएं 3 साल के लिए लेने पर विचार चल रहा है ताकि वे इनको पूर्ण प्रशिक्षित कर सकें। इसके अतिरिक्त गंगा के किनारे पौधारोपण कार्यक्रम चलाने की भी योजना है।

उन्होंने कहा कि गंगा नदी में अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां बहाने से रोका नहीं जाएगा, लेकिन ये अस्थियां नदी किनारे न डाली जाएं बल्कि नदी के बीच में डाली जाएं ताकि वे मछलियों और अन्य जल-जंतुओं का भोजन बन सकें और गंगा के किनारे प्रदूषित होने से बच जाएं।

उमा ने कहा कि गंगा की धारा को स्वच्छ बनाने के उपायों के तहत आधुनिक शवदाह गृह और विद्युत शवदाह गृहों के निर्माण पर भी जोर दिया जाएगा, लेकिन इन आधुनिक शवदाह गृहों, जिनमें कम से कम लकड़ी खर्च हो, का ब्योरा देश के साधु-संतों के पास भेजा जाएगा और वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इन शवदाह गृहों की दिशा में काम किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि गंगा में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण औद्योगिक कचरे से होने वाला प्रदूषण है इसके लिए उन्होंने आईआईटी कंसोर्टियम के वैज्ञानिकों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों तथा राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटयूट) नागपुर के वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई है, जो औद्योगिक प्रदूषण से गंगा को बचाने के लिए कार्ययोजना पर काम करेगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा को निर्मल बनाने का काम 45 दिन में शुरू हो जाएगा और करीब डेढ़ साल के अंदर कुछ परिणाम आने लगेंगे, 3 साल के अंदर अच्छे परिणाम आएंगे तथा करीब 15 साल में गंगा साफ हो सकेगी।

उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं चिंतित हैं और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है तथा उनका पूरा मंत्रालय गंगा में गिरने वाले नालों का अध्ययन कर रहा है और इसकी रिपोर्ट वह उन्हें सौपेंगा।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश समेत सभी प्रदेश गंगा को प्रदूषण से मुक्ति के लिए उनकी मदद कर रहे हैं। (भाषा)