सभी संस्थाओं में समयानुकूल बदलाव होना चाहिए : मोदी
नई दिल्ली। सभी संस्थानों में समयानुकूल बदलाव की जरूरत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि कोई भी संस्थान एक ही ढर्रे पर नहीं चल सकता और उनमें आवश्कता एवं समय के अनुरूप बदलाव आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने यह बात विधि संकाय से संबंधित एक कार्यक्रम में कही जब हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्त आयोग को निरस्त करके कालेजियम प्रणाली को बहाल किया है।
मोदी ने सुझाव दिया कि गरीबों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना न्यायाधीशों की नियुक्ति के मापदंड होने चाहिए। उन्होंने कहा कि, ‘कोई भी संस्थान एक ही ढर्रे पर नहीं चल सकत हैं। उनमें समयानुकूल बदलाव आवश्यक है। सोचने के तरीके में बदलाव होना चाहिए। पुरानी चीजें उत्तम हैं, इसलिए उसमें हाथ नहीं लगाएंगे, यह रास्ता नहीं है।’
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (एनएएलएसए) के स्थापना दिवस पर शीर्ष न्यायाधीशों, विधि अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों को संबोधित कर रहे थे, जिसमें न्यायमूर्मि टी एस ठाकुर भी मौजूद थे जो भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश बनेंगे।
लाखों लोगों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एनएएलएसए की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि गरीबों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने को न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया के मानदंडों में शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वह न्यायमूर्ति ठाकुर से बातचीत के दौरान उनसे कह रहे थे कि क्या हम नियुक्ति (न्यायाधीशों) के दौरान यह पूछ सकते हैं कि उन्होंने कितना समय गरीबों को नि:शुल्क कानूनी सेवा प्रदान करने में दी है? (भाषा)