नहीं होगा रेलवे का निजीकरण : सुरेश प्रभु
नई दिल्ली। रेलवे के निजीकरण और इसके कर्मचारियों की छंटनी किए जाने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को कहा कि अगर इस क्षेत्र में निजी निवेश को अनुमति दी जाती है तब भी रेलवे अपने कर्मचारियों का हित सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राज्यसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान प्रभु ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी मोड) और संयुक्त उपक्रम के माध्यम से कई परियोजनाओं के कार्यान्वयन के रेलवे के प्रस्ताव पर कुछ सदस्यों द्वारा चिंता जताए जाने पर कहा कि मुख्य क्षेत्र हमेशा ही रेलवे के पास रहेंगे।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि रेलवे सरकारी उपक्रम है और सरकारी उपक्रम ही रहेगा। इसका निजीकरण नहीं होगा। अगर कुछ निजी क्षेत्र इसमें आते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि रेलवे का निजीकरण होगा। ऐसा कतई नहीं होगा।
रेलमंत्री ने पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि पीपीपी मोड से पिछड़े क्षेत्रों में भी रेल संपर्क की दिशा में काम सुनिश्चित होगा। न तो रेलवे का निजीकरण होगा और न ही कर्मचारियों की छंटनी होगी।
गुरुवार को ही अपना पहला रेल बजट पेश कर चुके प्रभु ने कहा कि रेलवे ने निजी भागीदारी और निवेश के क्षेत्रों की पहचान की है जिससे रेलवे नेटवर्क, परिचालन का विकास, सुदृढ़ीकरण और विस्तार होगा। इनमें रेल कनेक्टिविटी, निजी कंटेनर गाड़ी परिचालन, निजी मालभाड़ा टर्मिनलों का निर्माण, वैगन निवेश-पट्टा संबंधी योजनाएं और स्टेशनों का पुनर्विकास शामिल है। (भाषा)