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Last Updated :नई दिल्ली , बुधवार, 19 अप्रैल 2017 (11:47 IST)

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! बाबरी विध्वंस मामले में आडवाणी, जोशी के खिलाफ मामला चलेगा

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! बाबरी विध्वंस मामले में आडवाणी, जोशी के खिलाफ मामला चलेगा - Suprime court Babri Masjid demolition Advani
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी, उमा भारती समेत सभी लोगों पर मुकदमा चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल होने के कारण कल्याण सिंह को इससे अलग रखा है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को बड़ा झटका लगा है। वे भाजपा की ओर से राष्‍ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे थे। इस फैसले के बाद आडवाणी और जोशी पर संसद की सदस्यता छोड़ने का भी दबाव बढ़ेगा। 

अदालत ने कहा कि राजस्थान के राज्यपाल होने के कारण कल्याण सिंह को संवैधानिक छूट प्राप्त है और उनके कार्यालय छोड़ने के बाद ही उनके खिलाफ मामला चलाया जा सकता है।
 
न्यायालय ने लखनऊ में आडवाणी, एम एम जोशी, उमा भारती एवं अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ दो अलग-अलग मामलों की संयुक्त सुनवाई का आदेश दिया। न्यायालय ने लखनऊ की अदालत को इन मामलों पर स्थगन की मंजूरी दिए बिना दैनिक आधार पर सुनवाई करने का आदेश दिया।
 
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी एवं अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला फिर से शुरू करने संबंधी याचिका पर 6 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
 
न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ. नरीमन की पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले सीबीआई ने आडवाणी, जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह एवं अन्य के खिलाफ पुन: सुनवाई शुरू करने की पीठ से गुहार लगाई थी। सीबीआई ने पीठ से कहा कि आडवाणी एवं 12 अन्य नेता विवादित ढांचा गिराने की साजिश के हिस्सा थे।
 
सीबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने दलील दी कि बाबरी विध्वंस से ही जुड़ा एक मामला रायबरेली की अदालत में भी चल रहा है जिसकी सुनवाई लखनऊ की विशेष अदालत में संयुक्त रूप से होनी चाहिए। लखनऊ की इस अदालत में कारसेवकों से जुड़े एक मामले की सुनवाई चल रही है।
 
जांच एजेंसी ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर देना चाहिए, जिसमें उसने आपराधिक साजिश की धारा को हटाया था। दरअसल, रायबरेली की अदालत की ओर से तकनीकी आधार पर इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामला चलाए जाने के फैसले को रद्द कर दिया गया था। इसे वर्ष 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से सही ठहराया गया था।
 
पिछले महीने न्यायालय ने विवादित ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई दो हफ्तों के लिए टाल दी थी और आडवाणी सहित 13 नेताओं से मामले में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। आडवाणी के वकील ने उच्चतम न्यायालय में दलील दी कि अगर आपराधिक साजिश का मुकदमा फिर से चलाया गया, तो उन 183 गवाहों को दोबारा बुलाना होगा, जिनकी निचली अदालत में गवाही हो चुकी है। रायबरेली की अदालत में 57 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं और अभी 100 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज करने बाकी हैं। लखनऊ की अदालत में 195 गवाहों की पेशी हो चुकी है, जबकि 300 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किए जाने हैं।
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