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Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2016 (17:24 IST)

जजों की नियुक्ति मामले में केंद्र को कड़ी फटकार

जजों की नियुक्ति मामले में केंद्र को कड़ी फटकार - Supreme Court, Supreme Court
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं किए जाने को लेकर केंद्र सरकार को शुक्रवार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वह (केंद्र) इसे अहम का मुद्दा न बनाए।
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह नौ महीने से न्यायाधीशों के नाम की सूची लेकर क्यों बैठी है? नौ महीनों में 77 नाम कॉलेजियम ने भेजे थे, मगर अब तक सिर्फ 18 नाम को ही मंजूरी मिल सकी। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर सरकार को इन नामों पर कोई दिक्कत है तो वह हमें वापस भेजे। हम फिर से विचार करेंगे।
 
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि सरकार की कुछ तो जवाबदेही होनी चाहिए। हम नहीं चाहते हैं कि एक संस्थान दूसरे संस्थान के सामने खड़ा हो। न्यायपालिका को बचाने की कोशिश की जानी चाहिए। प्रशासनिक उदासीनता इस संस्थान को खराब कर रही है।
 
पीठ ने तल्ख लहजे में कहा कि अदालती कक्ष बंद हैं, क्या आप न्यायपालिका को बंद करना चाहते हैं? आप पूरे संस्थान के काम को पूरी तरह ठप नहीं कर सकते। 'मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर' (एमओपी) को अंतिम रूप नहीं दिए जाने के कारण नियुक्ति प्रक्रिया ठप नहीं हो सकती। न्यायालय ने आगाह किया कि यही रवैया रहा तो न्याय सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव को तलब किया जाएगा।
    
न्यायालय ने यह भी पूछा कि क्या कोर्ट में ताला लगा दिया जाएगा। न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि आज हालात ये हैं कि अदालत में ताला लगाना पड़ा है। कर्नाटक उच्च न्यायालय में पूरा भूतल बंद है। क्यों ना पूरे संस्थान को ताला लगा दिया जाए और लोगों को न्याय देना बंद कर दिया जाए। हम बड़े सब्र से काम कर रहे हैं। सरकार बताए कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सूची का क्या हुआ? सरकार नौ महीने से इस सूची को दबा कर क्यों बैठी है?
 
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि उच्च न्यायालयों के जजों की सूची में कई नाम ऐसे हैं जो सही नहीं हैं। सरकार ने 88 नाम तय किए हैं, लेकिन सरकार एमओपी तैयार कर रही है। सरकार ने 11 नवंबर तक का समय मांगा। मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी। (वार्ता)
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