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Last Modified: शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016 (13:59 IST)

सोनिया पर हमला, कांग्रेस की जड़ें हिला सकता है!

सोनिया पर हमला, कांग्रेस की जड़ें हिला सकता है! - Sonia Gandhi
भाजपा ने वीवीआईपी लोगों के लिए विशेष हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए अगस्ता वेस्टलैंड के साथ 3600 करोड़ के सौदे को लेकर संसद में कोहराम मचा दिया है। संसद में जोरशोर से यह मुद्दा उठा है कि इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी निशाने पर ले लिया गया है क्योंकि मामले से जुड़े दो प्रमुख लोगों में से एक नाम 'सिन्योरा गांधी' हैं तो दूसरा नाम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह का है।  

यह घोटाला वर्ष 2010 में हुआ एक वीवीआइपी हेलीकॉप्टर घोटाला है। इसके तहत बारह हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए इटली की फिनमेकैनिका कंपनी की सहयोगी कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से 3600 करोड़ का सौदा किया गया था, लेकिन जब 2013 में जब इस सौदे को लेकर भारी विवाद हुआ तो तत्कालीन सरकार को सौदा ही रद्द करना पड़ा था।

दूसरी ओर, बाद में इस मामले को मिलान (इटली) की एक अदालत को सौंपा गया जिसने काफी समय पहले ही अपना फैसला सुनाया है जिसके परिणामस्वरूप अगस्ता कंपनी के दो बड़े अधिकारी जेल में सजा काट रहे हैं। इतालवी अदालत में इस बात के साफ सबूत दिए गए कि मामले में कुल 3 करोड़ यूरो की घूस दी गई थी जिसमें से देश के पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को भी हिस्सा दिया गया था, लेकिन त्यागी ने यह कहकर मामले से बचने की कोशिश की है, रक्षा खरीद के इतने बड़े फैसले वायुसेना प्रमुखों के कार्यालय में नहीं होते हैं।

रक्षा उत्पाद बनाने वाली अगस्ता वेस्टलैंड की मातृ कंपनी फिनमेकैनिका के अधिकारियों द्वारा भारत में नेताओं और अधिकारियों को घूस देने के आरोपों की जांच कर रही इतालवी कोर्ट में ऐसे दस्तावेज पेश किए हैं जिनमें 'सिग्‍नोरा' का नाम भी शामिल है। समझा यह जा रहा है कि यह नाम सोनिया गांधी के लिए प्रयोग किया गया है। इसके अलावा, इतालवी कोर्ट में कथित तौर पर केन्द्र की पूर्ववर्ती सरकार पर आरोप लगाए हैं कि इसने कई महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध ही नहीं कराईं। अब यह मामला फिर एक बार संसद में गूंजने लगा है।

इतालवी कोर्ट में कुछ ऐसे दस्तावेज पेश किए गए हैं, जिनमें सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के नाम हैं, लेकिन उनमें किसी को भी अनियमितता के लिए दोषी  नहीं ठहराया गया है और न ही ऐसे कोई प्रमाण मिले हैं।

इनमें से एक दस्तावेज मार्च 2008 में इस सौदे के मुख्य बिचौलिए क्रिसचन मिशेल द्वारा भारत में ऑगस्ता वेस्टलैंड के प्रमुख पीटर हुलेट को लिखी चिट्ठी है, जिसमें 'सिन्योरा गांधी' को 'वीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में मुख्य कारक' बताया गया है। बाद में, वर्ष 2013 में अगस्ता वेस्टलैंड के अधिकारी गुसिप ओर्सी की लिखी चिट्ठी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह का जिक्र है, जिसमें कहा गया है कि इतालवी प्रधानमंत्री या किसी वरिष्ठ राजनयिक को उन्हें फोन करना चाहिए।

यह बात भी कही गई है कि सोनिया गांधी या मनमोहन सिंह के खिलाफ स्पष्‍ट सबूत नहीं मिले हैं। लेकिन चूंकि इस मामले में सोनिया का नाम आ गया है इसलिए सत्ताधारी दल को उनके खिलाफ आरोप लगाने का मौका अवश्य मिल गया है।   

पिछले सोमवार को जब भाजपा ने लोकसभा में इस मामले की जांच की मांग उठाई, तो उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी सदन में ही मौजूद थे। भाजपा  सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि हम सदन में इस पर चर्चा चाहते हैं और पूर्व रक्षामंत्री को इस मामले में उठ रहे सभी प्रश्नों के जवाब देने चाहिए।

वहीं कांग्रेस ने कहा कि उसके पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि 'जब यह मामला 2013 में हमारे सामने आया था तो हमने जांच के आदेश दिए थे और इस सौदे को रद्द कर दिया था। अगर सरकार इतनी ही उत्सुक है, तो हमने जो जांच के आदेश दिए थे, वह सीबीआई से जांच में तेजी लाने को कहे।

कांग्रेस यह भी कहती है कि उसने न केवल सौदे को तुरंत रद्‍द कर दिया था वरन अगस्टा वेस्टलैंड को काली सूची में डाल दिया था और इसकी ओर से जमा की गई गारंटी को जब्त कर लिया था और कंपनी के खिलाफ सीबीआई तथा ईडी जांच के आदेश भी दिए थे। इस मामले में आरोप है कि कंपनी के अधिकारियों ने चॉपर खरीद के लिए भारत में अधिकारियों और नेताओं को रिश्‍वत दी। इस खरीद के दस्‍तावेजों में ‘सिग्‍नोरा गांधी’ भी एक नाम है। साथ ही, इतालवी कोर्ट का आरोप है कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने खरीद मामले के महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेजों की जानकारी इतालवी जांचकर्ताओं को नहीं दी। एक अंग्रेजी चैनल के अनुसार कोर्ट के दस्‍तावेजों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह‍ और सोनिया गांधी का भी कई बार नाम है।

मार्च 2008 के एक लैटर में ‘सिग्‍नोरा गांधी’ नाम लिखा हुआ है। यह लैटर दलाल क्रिस्टियन मिशेल ने अगस्‍ता वेस्‍टलैंड के इंडिया हैड पीटर हुलेट को लिखा था। इसमें ‘सिग्‍नोरा गांधी’ को वीआईपी हैलीकॉप्‍टर्स के खरीद में बड़ी ताकत बताया गया था।

इतालवी कोर्ट के आदेश का विवरण सामने आने के साथ ही भाजपा इस मामले को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में जुट गई है। पार्टी ने अपनी साप्ताहिक बैठक में इस मामले में अपनी रणनीति पर चर्चा की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। वहीं वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कथित रूप से कहा कि इस मामले ने साबित कर दिया कि कांग्रेस ने कितने घोटाले किए हैं और मुख्य विपक्षी पार्टी को इस पर जवाब देना होगा।

इस मामले पर भाजपा नेताओं का कहना है कि एक ओर जहां 'घूस देने वाली' कंपनी के दो बड़े अधिकारियों को साढ़े चार वर्ष तक कैद की सजा सुनाई गई है, वहीं रिश्वत लेने के आरोपी भारत में खुले आम घूम रहे हैं? उनका कहना है कि 'घूस लेने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।'

उल्लेखनीय है कि इतालवी अदालत के फैसले के संलग्नक में यह भी कहा है कि रिश्वत लेने वाले नेता कांग्रेस प्रमुख के करीबी समझे जाते हैं। अब चूंकि इस मामले में सीधे सोनिया गांधी का नाम सामने आया है, इसलिए पार्टी ऐसा तर्कसंगत और संतोषजनक जवाब दे ताकि लोगों को सोनिया की बेगुनाही पर भरोसा हो सके। हालांकि इससे कांग्रेस में सोनिया के दबदबे को चुनौती न भी मिले लेकिन उनकी 'नैतिक सत्ता' का क्षय हो जाएगा।

इसके साथ ही कांग्रेस के कार्यकर्ताओं नेताओं पर इस फैसले का गहरा असर होगा क्योंकि अभी तक पार्टी गांधी परिवार पर होने वाले हमलों को राजनीतिक दुर्भावना का नाम देती रही है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा को अच्छी तरह से पता है कि गांधी परिवार के बिना कांग्रेस का अस्तित्व बनाए रखना मुश्किल होगा। लेकिन इतना जरूर है कि विरोधियों के ऐसे छोटे, बड़े हमलों से गांधी परिवार की 'नैतिक शुचिता' पर प्रश्न चिन्ह लगाना संभव होगा। अभी तक तो सोनिया पर सीधा हमला नेशनल हेराल्ड मामले में किया गया है, लेकिन इतालवी कोर्ट का फैसला भाजपा के नेताओं के लिए 'खतरनाक बारूद' साबित होगा जिसका उपयोग राज्य सभा के लिए हाल ही में चुने गए सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी सबसे अधिक धारदार तरीके से करेंगे। इसलिए अगर इस मामले में कांग्रेस ने सोनिया गांधी के नेतृत्व का बचाव प्रभावी तरीके से नहीं किया तो पार्टी को दीर्घकालिक नुकसान होना तय हैं।
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