शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Shiv Sena, Thackeray, silent march in Marathi, Maharashtra
Written By
Last Modified: बुधवार, 28 सितम्बर 2016 (20:04 IST)

मुश्किल में शिवसेना, कार्टून ने बढ़ाया संकट

मुश्किल में शिवसेना, कार्टून ने बढ़ाया संकट - Shiv Sena, Thackeray, silent march in Marathi, Maharashtra
विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में पार्टी का मुख्‍यमंत्री न बन पाने से शिवसेना पहले ही आहत थी, अब उसके ही अखबार 'सामना' में छपे एक कार्टून ने भगवा पार्टी का संकट बढ़ा दिया है। 'सामना' में दूसरी पार्टियों और नेताओं पर तीखे कटाक्ष करने वाली शिवसेना की इस बार तो जड़ें ही हिल गई हैं। दरअसल, एक भद्दे कार्टून से राज्य का प्रभावशाली मराठा समाज नाराज हो गया है और शिवसेना के मुखपुत्र 'सामना' के दफ्तरों पर हमले हो रहे हैं। पार्टी के नेता भी छिपने पर मजबूर हो गए हैं। 
सामना में यह कार्टून मराठा समाज के पिछले कई दिनों से जारी 'मूक मोर्चा' पर कटाक्ष, जिसे शिवसेना के मुखपत्र ने 'मूका मोर्चा' करार दे दिया। मूका का मराठी में अर्थ चुंबन होता है। दूसरी ओर मराठा आंदोलन में युवतियां एवं महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी कर रही हैं। इस कार्टून से तिलमिलाए मराठा समाज ने शिवसेना को मराठा विरोधी घोषित कर दिया और सामना के दफ्तरों पर हमले शुरू कर दिए। गौरतलब यह है कि शिवसेना मराठा शासक शिवाजी महाराज को ही अपना आदर्श मानती हैं, ऐसे में मराठा समाज से नाराजगी उसे आने वाले समय में निश्चित ही महंगी पड़ेगी। 
 
खास बात यह है कि जल्द ही मुंबई महानगर पालिका के चुनाव भी होने वाले हैं। ये चुनाव शिवसेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। मामले की गंभीरता को समझते हुए शिवसेना ने इस कार्टून पर कई बार सफाई भी दी, लेकिन बवाल है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिवसेना का कहना है कि उसका मकसद मराठों का मजाक उड़ाना नहीं था। हालांकि यह सफाई किसी के भी गले नहीं उतर रही है। एक ओर जहां शिवसेना कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस और अन्य विरोधियों के निशाने पर आ गई है, वहीं भाजपा ने भी इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ने में ही भलाई समझी है। 
 
दरअसल, मराठा आंदोलन की शुरुआत कोपर्डी में एक मराठी युवती के साथ बलात्कार के विरोध में हुई थी, जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम के दुरुपयोग का मामला भी जुड़ गया और फिर समाज ने आरक्षण की मांग की उठा दी। पिछली सरकार ने तो राजनीतिक लाभ के लिए हड़बड़ी में 16 फीसदी मराठा आरक्षण की घोषणा भी कर दी थी। 
 
इस कार्टून के छपने बाद शिवसेना बड़ी मुश्किल में पड़ती दिख रही है, क्योंकि ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम वर्ग में तो उसकी ज्यादा पैठ नहीं है, ऐसे में यदि मराठा समाज भी उससे टूट जाता है कि भावी राजनी‍ति में शिवसेना के लिए रास्ता काफी मुश्किल भरा होगा। क्योंकि शिवसेना की राजनीति असहिष्णुता की ही रही है, कभी वह मुस्लिमों पर निशाना साधती है तो कभी उत्तर भारतीयों पर। हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन शिवसेना की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। ...लेकिन, अभी तो महाराष्ट्र का 'शेर' अपनी मांद में छिपने के लिए मजबूर है।