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Last Modified: भोपाल , गुरुवार, 1 अक्टूबर 2015 (16:32 IST)

भगत सिंह के परिवार की भी हुई जासूसी!

भगत सिंह के परिवार की भी हुई जासूसी! - Shaheed Bhagat Singh
भोपाल। सुभाष चंद्र बोस के परिवार की खुफिया एजेंसियों द्वारा जासूसी संबंधित हाल के खुलासे के बाद 'शहीद-ए-आजम' भगत सिंह के परिवार ने भी दावा किया है कि उनके परिवार को भी निगरानी के दायरे में रखा गया था।
शहीदों की स्मृति में शहर में आयोजित शौर्य रैली और एक अन्य कार्यक्रम के सिलसिले में भोपाल आए भगत सिंह के पोते यादवेंद्र सिंह ने गुरुवार को कहा कि भगत सिंह के भाई कुलबीर सिंह ने कई मौकों पर बताया है कि शहीद-ए-आजम के परिवार की जासूसी हो रही थी। कई लोग शोधकर्ता बनकर परिवार के पास आए, जानकारी एकत्रित की और बाद में गायब हो गए। 
 
सिंह ने मांग की कि केंद्र सरकार को शहीद-ए-आजम और अन्य क्रांतिकारियों से जुडी फाइलें सार्वजनिक करनी चाहिए ताकि देश उनके बलिदान के बारे में जान सके।
 
उन्होंने बताया कि उन्होंने 3 साल पहले सूचना के अधिकार के तहत एक आवेदन दायर कर सरकार से उन दस्तावेजों की जानकारी मांगी थी जिनके आधार पर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद घोषित किया था, लेकिन वे ये जानकर हैरान रह गए कि सरकार के पास ऐसा कोई दस्तावेज ही नहीं है, जो इन तीनों को आधिकारिक तौर पर शहीद का दर्जा देता हो। 
 
सिंह ने कहा कि ये जानकारी मिलने पर उन्हें लगा कि जब इन तीनों के बारे में कोई दस्तावेज नहीं हैं, तो पता नहीं बाकी गुमनाम शहीदों का क्या होगा? उन्होंने जोर देते हुए कहा कि 1757 में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष शुरू होने के बाद से आखिरी तक लगभग 6 लाख लोगों ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी।
 
सिंह ने कहा कि उनका संगठन 'शहीद भगत सिंह ब्रिगेड' केंद्र से मांग कर रहा है कि वह 1757 से 1947 के बीच के शहीदों की एक आधिकारिक सूची जारी करे और उन्हें आधिकारिक तौर पर शहीद का दर्जा दे। साथ ही संगठन शहीदों की स्मृति में एक राष्ट्रीय संग्रहालय बनवाने की भी मांग कर रहा है।
 
उन्होंने दावा किया कि कई पाठ्यपुस्तकों में कई महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को आतंकवादी बता दिया गया है, शहीदों की एक आधिकारिक सूची बनाने से ऐसी त्रुटियों पर लगाम लग जाएगी।
 
शहीद के पोते ने मांग की कि स्वतंत्रता संग्राम में जान गंवाने वाले लोगों को उचित सम्मान दिलाने के लिए परियोजनाओं, योजनाओं, सड़कों और संस्थानों का नाम उनके नामों पर रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पूर्व में हो चुकी घोषणा के अनुरूप चंडीगढ हवाई अड्डे का नाम 'शहीद-ए-आजम' के नाम पर रखा जाना चाहिए।
 
उन्होंने नोटों पर भी रानी लक्ष्मीबाई, छत्रपति शिवाजी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, अशफाक उल्लाह खान, वीर सावरकर और उधम सिंह जैसे शहीदों की तस्वीरें प्रकाशित करने की भी मांग की। (वार्ता)