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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 18 सितम्बर 2014 (15:54 IST)

कोचों को कभी भारतीय या विदेशी न कहें-बांगड़

कोचों को कभी भारतीय या विदेशी न कहें-बांगड़ - Sanjay bangar
नई दिल्ली। भारत के सहायक क्रिकेट कोच संजय बांगड़ का मानना है कि किसी कोच का आकलन करते समय उसकी राष्ट्रीयता नहीं, बल्कि प्रदर्शन मानदंड होना चाहिए और इस आधार पर आलोचना नहीं होनी चाहिए कि वह व्यक्ति भारतीय है या नहीं।
 
बांगड़ ने कहा कि कोच को 'भारतीय' या 'विदेशी' करार नहीं दिया जाना चाहिए। हमें इन चीजों से ऊपर उठना होगा। हमें नियमित आधार पर अपने ही बेंचमार्क को चुनौती देनी चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि क्रिकेट विकसित हो रहा है और कोचों को भी खुद को लगातार बेहतर करना होगा। इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट श्रृंखला में भारत की 1-3 से हार के बाद बांगड़, बी. अरुण और आर. श्रीधर को डंकन फ्लेचर की सहायता के लिए बीसीसीआई ने भेजा था।
 
बांगड़ ने कहा कि मैं इसे जिम्मेदारी के मामले में एक स्तर आगे मान रहा हूं। यह संबंध बनाने, सम्मान पाने और लोगों का विश्वास जीतने की बात है। इसमें समय लगता है।
 
2009 में टी-20 क्रिकेट के लिए अनफिट करार दिए गए बांगड़ ने एक कोच के रूप में अपना लोहा मनवाया और उनके मार्गदर्शन में किंग्स इलेवन पंजाब आईपीएल-7 के फाइनल तक पहुंची जिसमें उसे कोलकाता नाइटराइडर्स ने हराया।
 
बांगड़ ने कहा कि उन्होंने वीरेन्द्र सहवाग के अनुभव पर भरोसा किया। सहवाग भले ही 1 साल से अधिक समय से भारतीय टीम से बाहर हो, लेकिन बांगड़ को उनकी वापसी की उम्मीद है।
 
उन्होंने कहा कि आईपीएल में अच्छा खेलकर वह राहत महसूस कर रहा होगा। क्वालीफायर में चेन्नई के खिलाफ उसका शतक खास था और हर कोई इसे स्वीकार करेगा। (भाषा)