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Last Modified: बुधवार, 11 अक्टूबर 2017 (19:46 IST)

सचिन बोले, समाज को बदलना होगी अपनी यह सोच...

सचिन बोले, समाज को बदलना होगी अपनी यह सोच... - Sachin Tendulkar, Indian society, society
नई दिल्ली। भारत रत्न और मशहूर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने कहा कि यदि समाज में बदलाव लाना है तो लड़कियों पर अंकुश लगाने और लड़कों को आजादी देने की सोच को हर हाल में बदलना होगा।
        
सचिन ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर यूनिसेफ और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित परिचर्चा में जोर देते हुए कहा, लड़कियों के साथ भेदभाव मिटाने और उन्हें समान अवसर देने की शुरुआत हमें अपने परिवार से ही करनी होगी। आमतौर पर भारतीय समाज में परिवारों में यह देखा जाता है कि बेटा गलतियां करता है तो कोई बात नहीं लेकिन लड़कियों पर तमाम तरह के अंकुश लगाए जाते हैं। यह मानसिकता हर हाल में बदलनी चाहिए।
          
इस परिचर्चा में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी, भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज, स्पेशल ओलंपिक एथलीट रागिनी राव शर्मा, मध्यप्रदेश की कराटे चैंपियन माना मांडलेकर और 'बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ' की एम्बेसेडर तथा पैरा एथलीट रजनी झा मौजूद थीं। 
          
सचिन ने लड़कियों को अपने सपनों का पीछा करने की प्रेरणा देते हुए कहा, मैंने भी अपने सपनों का पीछा किया था। सपने किसी के साथ भेदभाव नहीं करते बल्कि भेदभाव हम करते हैं। लड़कियों को भी अपने सपनों का पीछा करना चाहिए और इसमें उनके माता-पिता की अहम भूमिका होनी चाहिए जो उन्हें जीने की आजादी दे। उन्हें उनके अधिकार दे और हर समय उन्हें प्रोत्साहित करें। 
 
यूनिसेफ के सद्भावना दूत सचिन ने कहा, लड़कियों को हमें बराबर का मंच देना होगा। हमें घर पर मां और बहनों का प्यार मिलता है और लड़कों को इसी सोच के साथ समाज में बाहर जाना चाहिए ताकि लड़कियां खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें और अपने सपनों को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकें।
        
भारत को महिला विश्वकप में उपविजेता बनाने वाली कप्तान मिताली ने कहा, मैं ऐसी दुनिया देखना चाहती हूं जहां लड़कों और लड़कियों के बीच में किसी भी तरह का भेदभाव न हो। लड़कियों को नीची नज़र से न देखा जाए और दोनों को समान अवसर मिले।
        
मिताली ने कहा, मुझे आज भी याद है जब मैंने एकदिवसीय क्रिकेट में 6000 रन पार किए थे तो सचिन ने मुझे बधाई दी थी और अपना बल्ला भेंट करते हुए कहा था कि क्रिकेट खेलना मत छोड़ना। उन्होंने विश्वकप फाइनल से पहले हमारी पूरी टीम का उत्साह बढ़ाया था।
          
'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' की एम्बेसेडर तथा पैरा एथलीट रजनी झा ने कहा, मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया। आज मैं यहां हूं तो उन्हीं की वजह से हूं। मेरे तमाम पदकों का श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है। मेरा यह भी मानना है कि हमें लड़कियों को रोकने के बजाय लड़कों को समझाना चाहिए कि वे दूसरी लड़कियों को समान नजर से देखें और अपनी आजादी का गलत फायदा न उठाएं। हमें अपनी मानसिकता को अपने घर से बदलना होगा, तभी जाकर देश बदलेगा। (वार्ता)