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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: जम्मू , बुधवार, 27 मई 2015 (20:37 IST)

'बंद' के माहौल में गृहमंत्री राजनाथ ने किया जम्मू का दौरा

'बंद' के माहौल में गृहमंत्री राजनाथ ने किया जम्मू का दौरा - Rajnath Singh
जम्मू। एम्स के मुद्दे को लेकर आज दूसरी बार आयोजित 'जम्मू बंद' पूरी तरह से कामयाब रहा है। राज्य में भाजपा गठबंधन की सरकार बनने के बाद यह दूसरा अवसर था कि एम्स की मांग को लेकर आयोजित किए गए बंद को भाजपा का समर्थन हासिल नहीं था। यही कारण था कि बुधवार को अपने जम्मू दौरे के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा और कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन करने वालों में भाजपा कार्यकर्ता भी शामिल थे।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह 'जन कल्याण पर्व' के तहत जम्मू में एक रैली को संबोधित करने पहुंचे जहां प्रस्तावित एम्स को जम्मू से कश्मीर स्थानांतरित किए जाने के खिलाफ विरोध को लेकर शहर में एक दिन के बंद का आयोजन किया गया था। आज जम्मू में बाजार बंद रहे। सड़कों पर वाहन नहीं चले और केवल कुछ निजी वाहनों को देखा गया था। कार्यालयों में उपस्थिति काफी कम रही।

एम्स समन्वय समिति ने आज एक दिन के बंद का आयोजन किया था और संयोग से राजनाथ का जम्मू का कार्यक्रम आज ही था। इस समिति में 70 से अधिक सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और कारोबारी संगठन शामिल हैं। समिति के सदस्य शहर में कई स्थानों पर अपने हाथों में बैनर पोस्टर लिए हुए थे और राजनाथ के खिलाफ नारे लगा रहे थे। जम्मू बार एसोसिएशन और जेकेएनपीपी के कार्यकर्ताओं ने डोगरा चौक के पास धरना भी दिया।
जम्मू कश्‍मीर उच्च न्‍यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिनव शर्मा ने कहा कि हम केंद्र सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि जम्मू के लोगों या जम्मू क्षेत्र के साथ किसी तरह की नाइंसाफी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चाहे एम्स को जम्मू से कश्मीर स्थानांतरित करने का विषय हो या कृत्रिम झील परियोजना का विषय हो। जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष हर्ष देव सिंह ने कहा कि भाजपा जो कभी अपने आप को जम्मू के लोगों की आवाज के रूप में पेश करती रही, उसने अपनी विचारधारा और रुख को पीडीपी को बेच दिया और वह भी महज कश्मीर स्थित पार्टी के साथ सत्ता में हिस्सेदारी की खातिर।

इस बीच भारत के मामलों में टांग अड़ाने के मुद्दे पर पाकिस्तान को दो-टूक लफ्जों में संदेश देते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर पाकिस्तान अपनी खैर चाहता है तो उसे अपनी नापाक हरकतों से बाज आना चाहिए। सिंह ने जम्मू में जन कल्याण पर्व को संबोधित करते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान अपनी खैर चाहता है तो उसे दूसरे देशों के मामलों में दखल देना बंद करना चाहिए। उसे भारत पर लक्षित अपनी तमाम नापाक गतिविधियां रोकनी चाहिए। गृहमंत्री ने भारत के सम्मान, अखंडता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने की इच्छा रखने वालों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे लोगों को देश भरपूर जवाब देगा।

सिंह ने कहा कि जो देश के सम्मान, अखंडता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, उन्हें भरपूर जवाब दिया जाएगा। हम अपनी सेना, अपने अर्धसैनिक बल और अपने बलों पर भरोसा करते हैं। उनकी निष्ठा और देशप्रेम पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान समेत अपने सभी पड़ोसी देशों की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा पीठ पर वार किया। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन उसने पीठ पर वार किया। उसके बाद जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक साल पहले सत्ता में आए तो उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान समेत पड़ोसी देशों के शासनाध्यक्ष को आमंत्रित किया।

सिंह ने कहा कि सरकार ने सशस्त्र बलों, खासतौर पर बीएसएफ को खुला आदेश दे दिया है कि वे सीमा पार से किसी आक्रमण का पूरी ताकत से मुकाबला करें। उन्होंने कहा कि पिछले साल अक्‍टूबर में पाकिस्तान ने बिना किसी उकसावे के संघर्ष विराम का उल्लंघन किया। मैंने टेलीविजन पर देखा कि हमारे पांच नागरिक मारे गए हैं। मैंने बीएसएफ के महानिदेशक को यह सुनिश्चित करने को कहा कि हम गोलियां चलाने वालों में पहले नहीं रहें, लेकिन अगर सीमा पार से हम पर गोलियां चलाई जाती हैं तो पाकिस्तानी पक्ष को पूरी ताकत से भरपूर जवाब मिले। सिंह ने कहा कि भारतीय पक्ष के जवाब ने पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में जाने और यह आग्रह करने के लिए बाध्य किया कि वह दखल दे और भारत को उस पर गोली चलाने से रोके।

उन्होंने कहा कि भारत दृढ़ता से महसूस करता है कि दुनिया का हर देश प्रगति करे और भारत सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने में यकीन करता है। सिंह ने कहा कि इस्लाम में 72 फिरके हैं और भारत छोड़कर दुनिया में कोई दूसरा देश नहीं है जहां सभी एक साथ रहते हैं। दुनिया का पहला चर्च करीब 2000 साल पहले केरल में बना। पारसी समुदाय ने इस देश में इतना सम्मान पाया और यहूदी कहते हैं कि भारत एकमात्र देश है, जहां उन्हें सताया नहीं जाता।