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Last Updated :शिलांग , शनिवार, 28 मई 2016 (11:04 IST)

नरेंद्र मोदी ने एशिया के सबसे स्वच्छ गांव मावल्यान्नॉंग में लिया संगीत का आनंद

नरेंद्र मोदी ने एशिया के सबसे स्वच्छ गांव मावल्यान्नॉंग में लिया संगीत का आनंद - pm modi visit mawlynnong in Meghalaya
अपने मेघालय दौरे के दूसरे और आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खासी समुदाय के आदिवासियों के गांव पहुंचकर उनसे बातचीत की एशिया का सबसे साफ सुथरा गांव माने जाने वाले मॉफलांग गांव में शनिवार को उन्होंने नगाड़े जैसा पारंपरिक वाद्य बजाया और गांववालों के साथ चाय की चुस्की ली। यहां स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े कई लोगों को वह सम्मानित करेंगे।
इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिलांग के सबसे बड़े पर्यटन स्थल एलिफेंट फाल का भी दौरा किया। और इसके पहले उन्होंने रामकृष्ण केंद्र के एक कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित किया। इस मौके पर मोदीजी ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को जमीन पर उतारने की कोशिशों के बारे में बताया।
 
दिल्ली लौटने से पहले मोदी मैरी हेल्प ऑफ क्रिश्चंस कैथेड्रल भी जाने वाले हैं। पूर्वोत्तर में इसे ईसाई समुदाय के बड़े केंद्रों में से एक माना जाता है। इसके बाद वह पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक विशेष बैठक में शामिल होंगे।

प्राधामंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार की सुबह संगीत के साथ शुरु की। उन्होंने मेघालय में एशिया के सबसे स्वच्छ गांव मौफलेंग में वहां के स्थानीय लोगों के पारंपरिक संगीत का आनंद लिया। इस दौरान उन्होंने ड्रम और अन्य वाद्य यंत्र भी बजाए।  प्रधानमंत्री मोदी वहां के स्थानियों के साथ पारंपरिक नृत्य और संगीत में शामिल हुए। उन्होंने घुम-घुम कर वहां के शास्त्रीय संगीत का लुफ्त उठाया।
 
इस क्षेत्र में बहुत बड़ा एक डेम है जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस इलाके का प्रधानमंत्री मोदी ने जायजा लिया। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस गांव के लोगों से प्रधानमंत्री मोदी ने मुलाकात कर उनसे बातचीत भी की। वहां उन्होंने स्थानीय परंपरा की जानकारी ली।
 
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी आज रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में इंडिया गेट पर देश को संबोधित करते हुए अपने दो साल के कार्यकाल की उबलब्धियों को बताएंगे।
 
मावल्यान्नॉंग की खासियत : मेघालय में ईस्ट खासी में बसे गांव को स्थानीय भाषा में मावल्यान्नॉंग कहते हैं। मावल्यान्नॉंग का अर्थ भगवान का बगीचा होता है। सफाई के साथ साथ यह गांव शिक्षा में भी अवल्ल है। यहां की साक्षरता दर 100 फीसदी है, यानी यहां के सभी लोग पढ़े-लिखे हैं। इतना ही नहीं, इस गांव में ज्यादातर लोग सिर्फ अंग्रेजी में ही बात करते हैं। खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट का यह गांव मेघालय के शिलॉंन्ग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर है। साल 2014 की गणना के अनुसार, यहां 95 परिवार रहते हैं। यहां सुपारी की खेती आजीविका का मुख्य साधन है। यहां लोग घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को बांस से बने डस्टबिन में जमा करते हैं और उसे एक जगह इकट्ठा कर खेती के लिए खाद की तरह इस्तेमाल करते हैं। पुरे गांव में हर जगह कचरा डालने के लिए ऐसे बांस के डस्टबिन लगे हैं। यह गांव 2003 में एशिया का सबसे साफ और 2005 में भारत का सबसे साफ गांव बना। इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है की यहाँ की सारी सफाई ग्रामवासी स्वयं करते है, सफाई व्यवस्था के लिए वो किसी भी तरह प्रशासन पर आश्रित नहीं है। 
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