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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 22 नवंबर 2015 (17:01 IST)

हंगामेदार रहेगा संसद का शीतकालीन सत्र!

हंगामेदार रहेगा संसद का शीतकालीन सत्र! - Parliament
नई दिल्ली। असहिष्णुता जैसे मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ी कड़वाहट तथा बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों से बदले राजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं।
 
विकास को गति देने के लिए आर्थिक सुधारों से जुड़े कदमों को आगे बढ़ाने के लिहाज से यह सत्र काफी महत्वपूर्ण है और सरकार चाहेगी कि इसका हश्र पिछले मानसून सत्र जैसा न हो। कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध तथा दोनों के अपने अपने रुख पर अड़े रहने के कारण मानसून सत्र का काफी बड़ा हिस्सा हंगामे की भेंट चढ़ गया था। 
 
विभिन्न मुद्दों को लेकर दोनों के बीच पैदा हुई कड़वाहट समाप्त होने की बजाय बढ़ी ही है। बिहार में भाजपा की करारी हार से विपक्ष का मनोबल बढ़ गया है और इस सत्र में वह सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
 
सरकार इस सत्र में वस्तु एवं समान कर से जुड़े संशोधन विधेयक, रियल स्टेट विधेयक तथा लोकपाल सहित भ्रष्टाचार से जुड़े 3 विधेयकों को पारित कराने की पुरजोर कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस ने वस्तु एवं सेवाकर विधेयक पर अपने रुख में बदलाव नहीं किया है। उसका कहना है कि यह उसका विधेयक है और सरकार ने इसमें कई बदलाव किए हैं जिनके लिए वह तैयार नहीं है। भूमि अधिग्रहण विधेयक पर भी सरकार अभी तक पूरी तरह सहमति नहीं बना पाई है।
 
विपक्ष के तीखे तेवरों को देखते हुए सरकार ने अपनी ओर से पहल करते हुए विपक्ष से सहयोग की अपील की है लेकिन वह विपक्ष से किसी तरह का आश्वासन लेने में असफल रही है। संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने इसी सप्ताह लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तथा पूर्व मंत्री वीरप्पा मोइली से मुलाकात की।
 
उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर सरकार कांग्रेस अध्यक्ष से भी बात कर सकती है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है। वे सभी विपक्षी दलों के नेताओं से भी मिल रहे हैं। 
 
सत्र के लिए रणनीति तैयार करने के वास्ते 25 नवंबर को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक होगी। उसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने निवास पर भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ रणनीति को अंतिम रूप देंगे।
 
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद बदले माहौल में हो रहे इस सत्र में विपक्ष एक बार फिर कांग्रेस की अगुआई में लामबंद होने की तैयारी में है जिससे सरकार के लिए संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाना आसान नहीं होगा। 
 
कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि मानसून सत्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के ललित मोदी प्रकरण में इस्तीफे की उसकी मांग अभी पूरी नहीं हुई है। इन मुद्दों के साथ साथ वह दादरी कांड तथा फरीदाबाद के सुनपेड में आगजनी की घटनाओं को संसद में जोर-शोर से उठाएगी।
 
बिहार में जीत से उत्साहित कांग्रेस, जनता दल यू और राष्ट्रीय जनता दल इस बार संसद में भी एकजुट होकर सरकार को घेरेंगे। इन तीनों दलों के जहां लोकसभा में 50 तो वहीं राज्यसभा में 80 सदस्य हैं। सरकार को विशेष रूप से राज्यसभा में विधेयकों को पारित कराने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।
 
सत्र शुरू होने से ऐन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुली चुनौती देते हुए भाजपा द्वारा उन पर लगाए जा रहे आरोपों की जांच कराने तथा दोषी पाए जाने पर जेल में डाल देने की बात कही है, उससे साफ है कि उनकी पार्टी सत्र के दौरान घमासान के लिए तैयार है।
 
भाजपा की ओर से उनकी दोहरी नागरिकता तथा कांग्रेस नेताओं सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर के पाकिस्तान में दिए गए बयानों को मुद्दा बनाने की भरसक कोशिश की जा रही है।
 
रिपोर्टों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस तथा वामपंथी दलों ने ‘असहिष्णुता’ के मुद्दे पर संसद में बहस कराने के लिए नोटिस देने की तैयारी कर ली है और उन्हें उम्मीद है कि इस मुद्दे पर समूचा विपक्ष उनके साथ खड़ा होगा। इस मुद्दे पर देश के कई साहित्यकारों और कलाकारों ने अपने पुरस्कार वापस लौटा दिए। यहां तक कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को भी इस मुद्दे पर परोक्ष रूप से टिप्पणी करनी पड़ी।
 
शीतकालीन सत्र के पहले 2 दिन विशेष बैठक बुलाई गई है जिसमें देश के संविधान पर चर्चा के साथ साथ संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आम्बेडकर के योगदान पर व्यापक चर्चा होगी। (वार्ता)