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Last Modified: पटना , शनिवार, 10 अक्टूबर 2015 (23:57 IST)

नीतीश ने दी प्रधानमंत्री को खुली बहस की चुनौती

नीतीश ने दी प्रधानमंत्री को खुली बहस की चुनौती - Nitish Kumar, Narendra Modi
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता नीतीश कुमार ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उन्हें बिहार में विधि व्यवस्था, विकास और विशेष पैकेज जैसे अन्य सभी मुद्दों पर खुली बहस की चुनौती दी। 
कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उन्हें चुनौती दी कि वे बिहार के चुनाव में विधि व्यवस्था, विकास और विशेष पैकेज जैसे सभी मुद्दे जो उठा रहे हैं, उस पर उनके साथ खुली बहस करें। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री के स्तर से गलत तथ्य पेश किए जा रहे हैं और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
 
चुनाव प्रचार के दौरान केन्द्र से मिली राशि खर्च नहीं कर पाने और जंगल राज समेत अन्य मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री की ओर से लगातार लगाए जा रहे आरोपों से क्षुब्‍ध नजर आ रहे मुख्यमंत्री ने तथ्य और आंकड़ों के आधार पर कड़ा संदेश देने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी ने चुनावी सभाओं में जो तथ्य और आंकड़े पेश किए हैं, जो पूरी तरह गलत हैं और इसके पीछे मकसद सिर्फ लोगों को गुमराह करना है।
 
कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने चुनावी सभाओं में कहा है कि यदि वह (कुमार) मुख्यमंत्री रहे तो केन्द्र से दिए गए विशेष पैकेज की राशि को अहंकार के कारण लौटा देंगे, जबकि केन्द्रीय वित्तमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि विशेष पैकेज के तहत जो योजनाएं हैं, उसका क्रियान्वयन केन्द्रीय मंत्रालय और केन्द्रीय एजेंसियों को करना है। इसलिए राशि जब बिहार सरकार को मिलने ही वाली नहीं है तो वह उसे लौटा कैसे सकते हैं। 
 
मुख्यमंत्री ने जंगल राज के आरोपों के संबंध में कहा कि पटना में रात में एक पुलिस अधिकारी पर अपराधियों के गोली चलाने की घटना को लेकर मोदी इस बात को साबित करने की कोशिश कर रहे कि प्रदेश में जंगल राज है। 
 
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि अपराध के मामले में दिल्ली सर्वोच्च स्थान पर है, जहां विधि व्यवस्था संभालने की जिम्मेवारी केन्द्र सरकार पर है। कई भाजपा शासित राज्यों में भी कानून व्यवस्था की स्थिति बिहार से काफी बदतर है। 
 
कुमार ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बावजूद केन्द्र सरकार यदि चाहे तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे सकती है। उन्होंने इस मामले में केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली के वक्तव्य के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के लिए 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा का हवाला दिया जा रहा है जबकि सच्चाई यह है कि केन्द्र की नीयत ही ठीक नहीं है। 
 
मुख्यमंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि महागठबंधन से समाजवादी पार्टी का अलग होना अब कोई मुद्दा नहीं है और इसकी चर्चा करना उसी तरह की बात होगी जैसे अभिलेखागार से पुराने दस्तावेज को निकाला जा रहा हो। (वार्ता)