Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 5 मई 2017 (15:49 IST)
निर्भया को मिला इंसाफ, चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसंबर, 2012 के सनसनीखेज निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले को बिरले में बिरलतम अपराध बताते हुए इसके चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। न्यायालय ने कहा कि 23 वर्षीय पीड़ित छात्रा पर बहुत ही जघन्य और बर्बर तरीके से हमला किया गया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस अपराध ने चारों ओर सदमे की सुनामी ला दी। न्यायालय ने कहा कि दोषियों ने पीड़ित की अस्मिता लूटने के एकमात्र इरादे से उसे अपने मनोरंजन का साधन समझा।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सर्वसम्मति से दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्णय बरकरार रखा जिसने निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी। मौत की सजा पाने वाले दोषियों में 29 वर्षीय मुकेश, 22 वर्षीय पवन, 23 वर्षीय विनय शर्मा और 31 वर्षीय अक्षय कुमार सिंह शामिल हैं।
इस अपराध में शामिल एक अभियुक्त राम सिंह ने कथित रूप से तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि इस प्रकरण में दोषी किशोर को तीन साल सुधार गृह में रखने की सजा दी गई थी।
इस सनसनीखेज वारदात में एक नाबालिग सहित छह आरोपियों ने 16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में पीड़ित छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे और उसके साथ बस में सवार हुए पुरुष मित्र को चलती बस से बाहर फेंक दिया था।
इस मामले में सितंबर 2013 में 6 दोषियों के खिलाफ मौत की सजा सुनाई गई थी जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने 2014 में बरकरार रखा। इनमें से एक दोषी रामसिंह ने तिहाड़ जेल के अंदर ही फांसी लगा ली थी जबकि एक और दोषी नाबालिग होने के कारण अपनी 3 साल की सुधारगृह की सजा पूरी कर चुका है। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।