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Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 5 मई 2017 (16:12 IST)

निर्भया मामला: जाने कब, क्या हुआ...

निर्भया मामला: जाने कब, क्या हुआ... - Nirbhaya gangrape case
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसंबर, 2012 के सनसनीखेज निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले को बिरले में बिरलतम अपराध बताते हुए इसके चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है: 
 
16 दिसंबर 2012-  दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार। उसके दोस्त की बुरी तरह पिटाई की गई और दोनों को महिपालपुर इलाके में बस से फेंक दिया गया। छात्रा को बाद में सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। 
17-18  दिसंबर-  पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। उनकी पहचान बस चालक राम सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश के रूप में हुई। 
18 दिसंबर-  छात्रा के साथ हुई अमानवीयता पर पूरे देश में आक्रोश का माहौल। 
20 दिसंबर- छात्रों ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निवास के बाहर प्रदर्शन किया। 
21-22 दिसंबर- मामले के पांचवें आरोपी को गिरफ्तार किया गया, जो नाबालिग था। छठे आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार में गिरफ्तार किया गया। 
22 दिसंबर- इंडिया गेट पर युवाओं ने प्रदर्शन शुरू किया। 
23 दिसंबर- छात्रा की हालत गंभीर हुई। प्रदर्शनकारियों का पीछा करते हुए कांस्टेबल सुभाष तोमर गिरने से घायल हुए। बाद में उनकी अस्पताल में मौत हो गई। 
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26 दिसंबर - निर्भया को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल भेजा गया। 
29 दिसंबर- निर्भया की सुबह दो बजकर 15 मिनट पर मौत हो गयी। लोगों ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। 
02 जनवरी 2013 -तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने मामले की तेजी से सुनवाई के लिए त्वरित अदालत की व्यवस्था कराई। 
03 जनवरी-  साकेत अदालत में पांच आरोपियों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल। 
28 जनवरी- छठा आरोपी नाबालिग। उस पर जुवेनाइल अदालत में मामला चलाया गया। 
02 फरवरी- पांचों आरोपियों पर हत्या समेत 13 मामलों में आरोपपत्र दाखिल। 
11 मार्च - एक आरोपी रामसिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या की। 
21 मार्च- बलात्कार के विरुद्ध नया कानून। बलात्कार के लिए फांसी की सजा का प्रावधान। 
11 जुलाई- नाबालिग आरोपी को दोषी पाया गया। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसे तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा। 
13 सितंबर- चारों वयस्क आरोपियों को दोषी पाया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। 
07 अक्टूबर- दो दोषियों ने  दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की। 
13 मार्च 2014- उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले का बरकरार रखा। 
02  जून - दो दोषियों ने उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की। 
18 दिसंबर 2015- तीन साल की सजा पूरी करके नाबालिग दोषी बाल सुधार गृह से रिहा। 
27 मार्च 2017- उच्चतम न्यायालय ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा। 
05 मई 2017- उच्चतम न्यायालय ने चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी। (वार्ता) 
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