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Last Modified: वेबदुनिया डेस्क , बुधवार, 10 सितम्बर 2014 (12:31 IST)

क्या अब भी नरेन्द्र मोदी सांप्रदायिक हैं..?

क्या अब भी नरेन्द्र मोदी सांप्रदायिक हैं..? - Narendra Modi still communal?
सोशल मीडिया पर सवाल...

मुस्लिमों में नरेन्द्र मोदी का डर दिखाकर वोट बैंक की राजनीति तो गुजरात दंगों के बाद से लगातार  जारी है। इतना ही नहीं हमारे ही देश के कुछ संगठनों और नेताओं ने मोदी को अमेरिकी वीजा न देने  के लिए मुहिम भी चलाई थी और तब अमेरिका ने मोदी को वीजा दिया भी नहीं। आज स्थितियां  उलट हैं। अमेरिका उनके स्वागत का इंतजार कर रहा है तो वही मोदी भेदभाव से परे मुस्लिम बहुल  कश्मीर को राहत पहुंचाने के लिए तत्काल निकल पड़ते हैं। 

 

जम्मू-कश्मीर इन दिनों अतिवृष्टि के कारण आई बाढ़ से जूझ रहा है। स्वर्ग से सुंदर से राज्य की  लगभग सभी नदियां उफान पर हैं और तटबंध तोड़कर गांवों, शहरों और कस्बों में तांडव मचा रही हैं।  लाखों लोग बारिश के इस कहर से त्रस्त हैं और उन्हें सरकारी मदद की आवश्यकता है। इस बीच  केन्द्र सरकार के इस आपदा से निपटने के सराहनीय प्रयास किए हैं और राजनीति से ऊपर उठते हुए  भाजपा सरकार से जम्मू-कश्मीर की नेकां सरकार को खुले हाथ से सहायता भेजी है। 
 
नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक रहे उमर अब्दुल्ला भी मोदी के प्रयासों से आश्चर्यचकित किंतु राहत में  नजर आ रहे हैं। देखा जाए तो भाजपा खासतौर पर नरेन्द्र मोदी पर अक्सर सांप्रदायिकता के आरोप  लगते रहे हैं और उनके इस कदम से सोशल मीडिया पर मोदी के सांप्रदायिक होने या न होने पर  चर्चा छिड़ी हुई है।  
 
कई यूजर्स ने सवाल उठाए हैं कि पिछली बार जब उत्तराखंड में भीषण त्रासदी हुई थी तो संप्रग  सरकार ने 100 करोड़ की मदद की थी, जबकि राज्य में 100% प्रभावित हिन्दू समुदाय के लोग थे।  हालांकि यह भी ध्यान देने वाली बात है कि उस समय उत्तराखंड में कांग्रेस की ही सरकार थी,  जबकि कश्मीर में भाजपा विरोधी नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार है। 
 
लेकिन मोदी सरकार ने मुस्लिम बहुल कश्मीर त्रासदी पर 2100 करोड़ की मदद की है तो क्या अब  भी मोदी साम्प्रदायिक हैं। ट्विटर पर चर्चा गरम है कि उत्तराखंड त्रासदी के समय राहुल गांधी स्पेन  में फुल बॉडी मसाज करवा रहे थे, वहीं कश्मीर आपदा के समय सोनिया गांधी 'रहस्यमय' बीमारी के  इलाज के लिए अमेरिका गई हुई हैं। हालांकि इसकी आ‍धारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है। परन्तु दोनों  ही घटनाओं में नरेन्द मोदी ने बिना समय गंवाए घटनास्थल की यात्रा की। 
 
फेसबुक पर कई पन्ने कह रहे हैं कि उत्तराखंड के समय पहले 5 दिन सरकार ने सेना के सिर्फ 5  हेलीकाप्टर भेजे थे जबकि कश्मीर में दुसरे दिन से 50 से ज्यादा हेलीकाप्टर राहत में लगे हैं।
  
यदि मोदी सरकार ने धर्म से ऊपर उठते हुए राजधर्म निभाया है तो क्या अब भी कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष  है और बीजेपी साम्प्रदायिक। कुछ पाठक तो यह भी कह रहे हैं कि मोदी पर लगा सांप्रदायिक नेता का  दाग अब अमेरिका ने भी मिटा दिया है यही कारण है कि नरेंद्र मोदी पहले राजनेता होंगे जो अमेरिका  में किसी सार्वजनिक सभा को संबोधित करेंगे। उल्लेखनीय है कि दो साल पहले चीनी राष्ट्रपति हू  जिन्ताओ ने अमेरिका में रहने वाले चीनियो को संबोधित करने के लिए सभा करने की अनुमति मांगी  थी, लेकिन अमेरिका ने उन्हें अनुमति नही दी थी। 
 
तो क्या मान लिया जाए कि मोदी ने अपने ऊपर लगा सांप्रदायिकता का दाग धो दिया है या अभी उन्हें और भी अग्नि-परीक्षाएं देनी होगी...