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Last Updated :नई दिल्ली , मंगलवार, 27 जनवरी 2015 (21:16 IST)

'मन की बात' में देश से रूबरू हुए मोदी और ओबामा

'मन की बात' में देश से रूबरू हुए मोदी और ओबामा - Narendra Modi, Barack Obama
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा मंगलवार की शाम को आकाशवाणी से 'मन की बात' के जरिये पूरे देश से रूबरू हुए और देश की जनता ने इन दोनों नेताओं से सवाल-जवाब भी किए। 
बराक से सवाल किया गया कि वे अपनी बेटियों को भारत के बारे में अपने अनुभव को कैसे बताएंगे? 
बराक ने कहा 'मेरी बेटियां भारत आने के लिए बहुत उत्सुक थीं। मेरी बड़ी बेटी की परीक्षाएं थी। यही नहीं मेरी बेटियां भी भारत को जानने को उत्सुक थी। शायद मेरा प्रभाव उन पर है। मैं उन्हें महात्मा गांधी की अहिंसा के बारे में उन्हें बताया करता था। विशेषकर गांधीजी के अहिंसा मंत्र के बारे में। मैं उन्हें वापस जाकर यहां के अनुभव बताऊंगा। मेरी टीम ने बच्चों के लिए शॉपिंग की है। मुझे यकीन है कि मेरी बेटियां अगली बार भारत जरूर आएंगी। 
 
महाराष्ट्र से सारिका ने नरेंद्र मोदी से पूछा कि 'बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ' में आपने ओबामा से क्या सहयोग मांगा? मोदी ने कहा कि 1000 लड़कों के सामने कम लड़कियां है। मैं ओबामा से मदद मांगू या नहीं लेकिन ओबामा की भी दो बेटियां है। वे बहुत अच्छे तरीके से उनकी परवरिश कर रहे हैं। बेटी बचाना, बेटी पढ़ाना मेरी प्राथमिकता है। 
 
ओबामा से पूछा गया कि क्या उनकी पत्नी मिशेल जो मोटापे और मधुमेह जैसी बीमारियों की जागरुकता के लिए बिल क्लिंटन और मिरांडा की तरह भारत आएंगी?
ओबामा नहा कि मुझे खुशी है कि मिशेल मोटापे और मधुमेह के लिए काम कर रही हैं। इसका कारण फास्टफूड और व्यायाम की कमी है। इस दिशा में हम भारत समेत अन्य देशों में काम करेंगे। मैंने मोदी से इबोला और पोलियो जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए बात की है। 
 
अर्जुन ने मोदी पूछा कि जब वे व्हाइट हाउस के बाहर पर्यटक के रूप में गए थे और जब ‍सितम्बर में दोबारा व्हाइट हाउस गए तो कौनसी बात दिल छू गई? 
मोदी ने कहा यह सही है कि मैंने पर्यटक के रूप व्हाइट हाउस के बाहर लोहे जाली के बाहर फोटो खिंचवाई थी। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर भी आई थी... जिस बात ने वहां मन को छू ‍लिया था, वह थी बराक ने मुझे दी गई एक किताब। यह किताब 1894 में छपी थी, जिसमें शिकागो में स्वामी विवेवानंद के भाषणों का कंपालेशन था। बराक ने मुझे किताब खोलकर बताया कि उसमें क्या उन्होंने पढ़ा है, यानी बराक ने वो किताब पढ़ी थी। तब बराक बोले थे कि 'मैं शिकागो से आता हूं, जहां विवेकानंद गए थे।' यही बात मेरे मन को छू गई।
 
हिमामी लुधियाना (पंजाब) से पूछा कि क्या आप दोनों ने सोचा था कि आज जो हैं, वो बन सकते हैं? 
ओबामा ने कहा 'मोदी जी आपकी तरह मैंने भी कभी नहीं सोचा था कि मैं व्हाइट हाउस में रह सकूंगा। हम दोनों ही साधारण परिवार में जन्में हैं। हमें अपने में मौजूद असाधारण संभावनाओं का लाभ मिला। यही हमें यह प्रेरित करता है कि हम जैसे लाखों सक्षम बच्चे हैं, जिन्हें यह मिलना चाहिए। इसके लिए जरूरी है, कि हम उन्हें अच्छी शिक्षा दें।
 
मोदी ने कहा कि सब जानते हैं कि मैं भी बहुत सामान्य परिवार से आता हूं। मेरा कहना यही है कि कुछ बनने के सपने मत देखो, कुछ करने के सपने देखो। मैंने कभी कुछ भी बनने का सपना नहीं देखा था। भारत माता की सेवा करना, इससे बड़ी सेवा करने का सपना और क्या हो सकता है। अब सवा सौ अरब देशवासियों की सेवा करूं यही मेरा सपना है।

ओमप्रकाश ने पूछा कि आज का युग युवाओं का वैश्विक युग है। आप युवाओं को क्या देना चाहेंगे?
ओबामा ने कि आज के युवा के पास दुनियाभर की जानकारी अंगुलियों पर है। सरकार और नेतृत्व उन पर दमनपूर्वक शासन नहीं कर सकता। भारत और अमेरिका दोनों ही बेहद खुले विचार के हैं। मुझे भारत और अमेरिका के युवाओं पर पूरा भरोसा है। 
 
मोदी ने कहा कि एक जमाने में खासकर कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित लोग थे जो कहते थे कि 'दुनिया के मजदूर एक हो जाओ।' मैं समझता हूं कि आज युवाओं की जो पहुंच है, वो कल्पना से परे है। मैं कहता हूं  'युवकों दुनिया को एक करो।' इन युवाओं में ताकत है और वे ऐसा कर सकते हैं।  (वेबदुनिया न्यूज)