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Last Updated :नई दिल्ली , मंगलवार, 28 अप्रैल 2015 (14:54 IST)

मोदी के बयान पर संसद में बवाल

मोदी के बयान पर संसद में बवाल - Narendra Modi
नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को विपक्ष ने विदेश यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘60 साल की गंदगी साफ करने’ संबंधी बयान दे कर भारत की छवि खराब करने का आरोप लगाया और उनसे सदन में आ कर स्पष्टीकरण देने की मांग करते हुए भारी हंगामा किया जिसके चलते सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
 
हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से इस मुद्दे पर कहा गया कि प्रधानमंत्री ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान भारतीय मूल के लोगों के सामने निर्णय प्रक्रिया को स्वच्छ बनाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि यदि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा की जाती है तो पिछले 60 साल के दौरान हुए भ्रष्टाचार का उल्लेख भी किया जाएगा।
 
इससे पहले कांग्रेस के आनंद शर्मा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि विदेशी भूमि पर दिए गएप्रधानमंत्री के इन बयानों पर नियम 267 के अंतर्गत कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराई जानी चाहिए। हालांकि इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के नेताओं का पक्ष सुनने के बाद उप सभापति पीजे कुरियन ने शर्मा के कार्य स्थगन प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया।
 
सदन की बैठक शुरू होते ही शर्मा ने कहा कि उन्होंने विदेश में दिए गए प्रधानमंत्री के बयानों को लेकर नियम 267 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री के बयान से देश की गरिमा पर आंच आई है।
 
उन्होंने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से यह परंपरा रही है कि जब भी प्रधानमंत्री विदेश जाते हैं तो वे पूरे देश के प्रधानमंत्री के तौर पर बाहर जाते हैं और ऐसी बातें कहते हैं जिससे देश की गरिमा और सम्मान बढ़े। इसी प्रकार प्रधानमंत्री के विदेश में रहने के समय विपक्ष भी उनकी आलोचना नहीं करता।
 
शर्मा ने कहा कि लेकिन मोदी ने इस माह फ्रांस, जर्मनी एवं कनाडा की यात्रा के दौरान इस परंपरा को तोड़ा है। उन्होंने कहा कि मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की उपस्थिति में यह कहा था कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भीख मांगा करता था लेकिन अब वह ऐसा नहीं करेगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि भारत ने कभी भी किसी के समक्ष भीख नहीं मांगी।
 
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस तरह के अतिरंजित बयानों को इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शर्मा को यह बताना चाहिए कि प्रधानमंत्री ने यह बयान कहां दिया।
 
इस पर शर्मा ने कहा कि मोदी ने टोरंटो में कहा था कि पहले 'स्कैम इंडिया' था अब यह 'स्किल इंडिया' है। शर्मा ने कहा कि भारत कभी घोटाला नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि गलतियां हो सकती हैं लेकिन यह नहीं कहा जाना चाहिए कि पूरा देश ही घोटाला है।
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी ने विदेश में कहा था कि वह 60 साल की गंदगी साफ करना चाहते हैं। उन्होंने कहा 'प्रधानमंत्री ने देश की छवि को खराब किया है और अपनी प्रतिष्ठा भी कम की है...उन्होंने जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी सहित सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अपमान किया है।'
 
शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के प्रमुख के रूप में बाहर जाते हैं, किसी पार्टी के नेता के रूप में नहीं। भाजपा के कई सदस्यों ने शर्मा की बात का विरोध किया और बीच में टोकाटाकी की। पार्टी के भूपेंद्र यादव ने कहा कि जब विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा दिए गए लोकमहत्व के एक विषय पर ध्यानाकषर्ण प्रस्ताव आज सदन में सूचीबद्ध है तो ऐसे में किसी अन्य मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव लाना क्या उचित होगा।
 
इस पर कुरियन ने कहा कि शर्मा को इस प्रस्ताव के बारे में बोलने की अनुमति इसलिए दी गई है ताकि आसन इसे स्वीकार करने के बारे में कोई निर्णय कर सके। 
 
विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि जब वह 1982-83 में राज्य मंत्री थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विदेश यात्रा का दौरा करते समय यह निर्देश दिया था कि विदेश में उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं कहना या करना चाहिए जिससे देश की गरिमा पर आंच आए। उन्होंने कहा कि जर्मनी, कनाडा में मोदी के भाषण से देश की छवि पर आंच आई है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सदन में आ कर इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने की मांग की।
 
जदयू के शरद यादव ने कहा कि भारत के इतिहास में कभी भी आपसी मतभेदों को देश के बाहर नहीं ले जाया गया। उन्होंने कहा कि विदेश नीति पर लगातार आम सहमति बनी रहती है।
 
सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि मोदी ने पहली बार स्थापित विदेश नीति की परंपरा का विचलन किया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री के दौरे के बाद सांसदों का शिष्टमंडल दो हिस्सों में जाता है। लेकिन पहली बार इसे रोक दिया गया।
 
यादव ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री विदेश जा कर पिछले 60 साल के कचरे की बात करते हैं तो वह अटल बिहारी वाजपेयी के शासन के बारे में भी बोलते हैं।
 
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इस मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव स्वीकार करने से पहले ही सदस्य मुद्दे के गुणदोष पर बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने प्रधानमंत्री की छवि खराब नहीं करनी चाहिए।
 
बसपा की मायावती, तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय एवं माकपा के तपन कुमार सेन ने भी इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि विदेश में जा कर प्रधानमंत्री को ऐसा कुछ भी नहीं कहना चाहिए जिससे देश की छवि प्रभावित होती हो। (भाषा)