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Last Updated :नई दिल्ली , रविवार, 19 अप्रैल 2015 (15:07 IST)

मोदी बोले, भूमि अधिग्रहण बिल किसानों के हित में

मोदी बोले, भूमि अधिग्रहण बिल किसानों के हित में - Narendra Modi
नई दिल्ली। कॉर्पोरेटों का भला करने वाली सरकार के अगुवा होने के आरोपों से घिरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपनी सरकार को गरीब और किसान हितैषी के तौर पर पेश किया तथा अपने आलोचकों पर भाजपा की निंदा करने की जन्मजात आदत होने का आरोप लगाया।

 


प्रधानमंत्री ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सीधे बोलने से बचते हुए किसानों को लाभ पहुंचाने की अपनी सरकार की योजनाओं का विशेष उल्लेख किया जिनमें हाल ही में बेमौसम बारिश से नुकसान उठाने वाले किसानों को 50 प्रतिशत की जगह 33 प्रतिशत नुकसान होने पर मुआवजा देने का ‘साहसिक’ फैसला शामिल है।

प्रधानमंत्री के भाषण में विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक का जिक्र केवल परोक्ष रूप से किया गया, जब उन्होंने कहा कि मीडिया के एक वर्ग ने तथा कुछ दूषित सोच वाले लोगों ने इस महीने बेंगलुरु में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के सम्मेलन में दिए गए उनके भाषण को गलत तरह से पेश किया।

मोदी ने पार्टी सांसदों और अन्य कार्यकर्ताओं से गरीबों के लिए पिछली सरकारों तथा राजग सरकार के कामकाज के अंतर को उजागर करने को कहा और इस बात पर जोर दिया कि गरीब का कल्याण करने की बात उनके दिल के करीब है।

उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इस बयान को लेकर निशाना साधा कि 1 रुपए में से गरीब तक केवल 15 पैसे पहुंचते हैं।

मोदी ने कहा कि आपको केवल विश्लेषण नहीं करना बल्कि मर्ज का इलाज भी करना है। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत से 1 दिन पहले पार्टी सांसदों को संबोधित कर रहे मोदी ने उनकी 10 महीने पुरानी सरकार की शुरू की गई योजनाओं को रेखांकित किया और कहा कि ये सब गरीबों के कल्याण के लिए है।

मोदी ने भाजपा सांसदों से कहा कि अपना सर ऊंचा रखें, आत्मविश्वास के साथ रहें और लोगों को बताएं कि हम उनके लिए क्या कर रहे हैं, वे आपकी प्रशंसा करेंगे। मैं जो भी फैसले ले रहा हूं, वो गरीब के कल्याण के लिए हैं। मुद्रास्फीति में गिरावट और सीमेंट के दाम कम होने के उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये उनकी सरकार की योजनाओं के नतीजे हैं जिनसे गरीब को फायदा हुआ है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की यह जन्मजात आदत है कि भाजपा की आलोचना करो। उन्हें हमारी आलोचना का अधिकार है लेकिन उन्हें खुद को निष्पक्ष कहने का हक नहीं है। मैं हमेशा से गरीब की बात करता रहा हूं, उनके लिए काम कर रहा हूं।

मोदी ने कहा कि कुछ लोगों ने तय कर लिया है कि कोई अच्छी बात नहीं सुनेंगे, कुछ अच्छा नहीं कहेंगे और कोई अच्छी चीज नहीं देखेंगे। हमें उन लोगों पर वक्त बर्बाद नहीं करना चाहिए बल्कि उन लोगों पर ध्यान देना चाहिए, जो सुनना चाहते हैं। आपको और सक्रिय होना चाहिए और लोगों को बताना चाहिए कि हम क्या कर रहे हैं। मीडिया क्या कह रहा है, उसकी फिक्र मत कीजिए।

राजग सरकार के गरीब हितैषी होने के तर्क को पुख्ता तरीके से रखने के लिए प्रधानमंत्री ने जनधन योजना और गरीबों के खाते में सब्सिडी के सीधे अंतरण जैसी योजनाओं की बात की और मनरेगा में लीकेज को रोकने के प्रयासों का भी उल्लेख किया।

उन्होंने पार्टी सांसदों और कार्यकर्ताओं से कहा कि आपको इस संदेश को प्रसारित करना है। आपको पिछली सरकारों और हमारी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के बीच अंतर उजागर करना है। टेलीविजन के इतिहास में ‘श्वेत श्याम’ और ‘रंगीन’ दौर के फर्क का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि पिछली सरकारों और मौजूदा सरकार की नीतियों के बारे में तुलना समान आधार पर होनी चाहिए।

मोदी ने मनरेगा योजना के बारे में कहा कि देश में कहीं भी इस योजना के क्रियान्वयन में कोई भी गड़बड़ी पाई जाती है तो उन्हें पत्र लिखे जाने चाहिए कि हमारा इरादा गरीब को फायदा पहुंचाने का है। जब ग्रामीणों को क्रयशक्ति मिलेगी तो वे गांवों तथा शहरों के विकास में मददगार होंगे।

उन्होंने कहा कि ओलावृष्टि से किसानों को पहले भी नुकसान हुए हैं लेकिन इस तरह के फैसले पहले कभी नहीं लिए गए। पहले मुआवजा तब दिया जाता था, जब कम से कम 50 फीसद फसलों को नुकसान हुआ हो। हमने साहसिक फैसला लिया कि 33 प्रतिशत फसल का नुकसान होने पर भी मुआवजा दिया जाएगा तथा मुआवजे की राशि भी डेढ़ गुना बढ़ा दी गई है।

उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल को गुणवत्ता के मामले में भी नुकसान हुआ है और सरकार ने तब भी उसकी खरीद का निर्णय लिया है, क्योंकि हम गरीबों के हितैषी हैं।

मोदी ने अपने घंटेभर के भाषण में अपनी सरकार की गरीब समर्थक योजनाओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित रखा और बीच-बीच में मीडिया के एक तबके समेत अपने आलोचकों पर हमले करते रहे।

उन्होंने कहा कि आपने देखा होगा कि कैसे छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ बनाया गया। चूंकि उनके पास बड़े कामों पर निशाना साधने के लिए कुछ नहीं है इसलिए छोटी घटनाओं का बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने इस संबंध में विस्तार से तो कुछ नहीं कहा लेकिन उनकी उक्त टिप्पणी को कुछ केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी सांसदों के विवादास्पद बयानों तथा संघ से जुड़े कुछ लोगों की कथित गतिविधियों से जोड़कर देखा जा रहा है।

आलोचकों का कहना है कि प्रधानमंत्री के बार-बार नामंजूर करने के बावजूद इस तरह की घटनाएं जारी रहीं।

मोदी ने कहा कि हम गरीबों के लिए काम कर रहे हैं, खबरों में रहने के लिए नहीं। लेकिन अगर हम यह नहीं करते तो हम चैन से सो नहीं सकते। हम गरीबों के लिए जीते हैं। हम सत्ता का आनंद उठाने के लिए सार्वजनिक जीवन में नहीं हैं बल्कि गरीबों के कल्याण के लिए हैं।

उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के प्रमुख, सभी मानते हैं कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई करीब से देखेगा तो उसे पता चलेगा कि हमारे प्रयास आम जनता की मदद के लिए हैं, उस नव मध्यम वर्ग की मदद के लिए हैं, जो किसी कीमत पर अपनी झुग्गियों में वापस नहीं जाना चाहता। हमारे प्रयास गरीबों को सशक्त करने के लिए हैं। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ‘राष्ट्रनीति’ से चलती है, राजनीति से नहीं।

उन्होंने कहा कि राजनीति कहती है कि हमें सरकारी खजाना बर्बाद कर देना चाहिए। इसे बांटो और जनता की तारीफ बटोरो। इस राजनीति ने देश को बर्बाद कर दिया है। केवल राष्ट्रनीति ही देश को बचा सकती है। यह कहती है कि गरीब को सशक्त बनाना चाहिए।  (भाषा)