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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: श्रीनगर , मंगलवार, 5 मई 2015 (18:01 IST)

मुफ्ती बोले- धीरज रखें, व्यवस्था सुधरने में वक्त लगेगा

मुफ्ती बोले- धीरज रखें, व्यवस्था सुधरने में वक्त लगेगा - Mufti Mohammed Sayeed
श्रीनगर। मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने मंगलवार को राज्य के लोगों से कहा कि व्यवस्था को पटरी पर लाने में टाइम लगेगा, इसलिए पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के साथ थोड़ा धीरज रखें। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को एक बार फिर हुर्रियत नेता मसर्रत आलम की गिरफ्तारी को जायज ठहराया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपना सियासी एजेंडा नहीं छोड़ा है, लेकिन पहले लोगों को एक सुव्यवस्थित सरकार देना जरूरी है। बाढ़ प्रभावितों का पुनर्वास, पर्यटन क्षेत्र को प्रोत्साहन और रोजगार व एक ईमानदार प्रशासन हमारी प्राथमिकताओं में है और इसके लिए हमें समय चाहिए। आज यहां नागरिक सचिवालय के खुलने के पहले दिन पत्रकारों के साथ बातचीत में मुख्यमंत्री ने किसी भी सियासी या विवादास्पद मुद्दे पर सवालों से बचने का पूरी तरह प्रयास किया। उनके साथ शिक्षामंत्री नईम अख्तर और स्वास्थ्य मंत्री लालसिंह भी मौजूद थे।

सईद ने कहा कि गठबंधन की सरकार ने महज दो माह पूरे किए हैं, लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि इसे कई साल हो गए हैं। व्यवस्था को ठीक किया जाना है, यह रातोंरात नहीं हो सकता। इसमें समय लगेगा। जब उनसे भाजपा के दबाव के चलते हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता मसर्रत आलम की गिरफ्तारी के बारे में पूछा गया तो सईद ने कहा कि कोई भी दबाव नहीं था और कुछ चीजें ‘अस्वीकार्य’ हैं।

हुर्रियत रैली के दौरान पाकिस्तानी झंडे फहराए जाने और राष्ट्र विरोधी नारे लगाए जाने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कोई भी दबाव नहीं था। ये उसका (आलम का) किया धरा था। कुछ चीजें स्वीकार नहीं की जा सकतीं। पिछले माह एक रैली में पाकिस्तानी झंडा फहराने और राष्ट्र विरोधी नारे लगाए जाने के बाद इस अलगाववादी नेता को गिरफ्तार किया गया था। सईद ने शनिवार को वादा किया था कि सईद अली शाह गिलानी की रैली में पाक झंडे फहराए जाने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री ‘दरबार मूव’ के तहत सचिवालय के दोबारा खुलने पर औपचारिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। दरबार मूव 150 साल पुरानी व्यवस्था है, जिसके तहत राज्य सरकार के कामकाज का संचालन सर्दियों के छह महीने तक जम्मू से होता है और शेष महीनों में श्रीनगर से। सरकार के विफल हो जाने के संबंध में विपक्षी दलों कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में सईद ने कहा कि मैं बीती-बातों में नहीं जाना चाहता। मैं आगे बढ़ना चाहता हूं।

उन्होंने कहा कि वे नौ साल तक सत्ता में थे। हमें अभी महज दो ही महीने हुए हैं। हमें कुछ समय दीजिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी सरकार लोगों को सुशासन देगी लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगेगा। सईद ने कहा कि राज्य के सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता बाढ़ से प्रभावित लोगों को उनके मकान दोबारा बनाने में मदद करने और बुरी तरह प्रभावित हुई सड़कों जैसी अवसंरचनाओं के पुनर्निर्माण की है।

भर्ती नीति को लेकर पैदा हुए विवाद पर उन्होंने कहा कि हम इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएंगे। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहेगी और लोग खुद फर्क महसूस करेंगे। वित्तमंत्री डॉ. हसीब द्राबु द्वारा इस नीति को सिर्फ 15 हजार नियुक्तियों तक सीमित रखे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने किस आधार पर यह कहा है, यह वही जानते होंगे। लेकिन सरकार का इरादा स्पष्ट है।

उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावितों के पुनर्वास व पर्यटन क्षेत्र को फिर से पटरी पर लाने और बेरोजगारी को दूर कर रोजगार के नए अवसरों को जुटाने से लेकर लोगों को एक बेहतर सरकार देना, अपनी प्राथमिकताओं में गिनाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले सितंबर में बाढ़ आई, उससे हुए नुकसान से हम उबर भी नहीं पाए थे कि मार्च में दोबारा बाढ़ ने नुकसान कर दिया। इससे पर्यटन क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

बाढ़ प्रभावितों के पुनर्वास के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है। इसी तरह से पर्यटन के लिए देश विदेश से लोगों को कश्मीर आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भी सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ से क्षतिग्रस्त मौलिक अवसंरचना सड़कों, पुलों को फिर से ठीक करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

बेरोजगारी से निपटने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। सरकारी नौकरियां सीमित हैं, इसलिए निजी क्षेत्र में भी नौजवानों के लिए रोजगार की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। हम व्यवस्था बहाल करना चाहते हैं। विपक्ष द्वारा सरकार पर चुनावी वादे पूरे न करने और बाढ़ प्रभावितों की मदद में नाकाम रहने के आरोपों पर प्रतिक्रिया जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह (कांग्रेस और नेकां) छह साल तक सत्ता में रहे हैं, लेकिन जब वह नौ साल में कुछ नहीं कर पाए तो वह दो माह में हमसे सब कुछ कर देने की उम्मीद क्यों कर रहे हैं। हमें सांस तो लेने दीजिए, दो माह हुए हैं, हमारी सरकार को।