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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 2 सितम्बर 2015 (00:12 IST)

आतंकवादियों को LOC तक छोड़ने आए थे लश्कर के शीर्ष कमांडर

आतंकवादियों को LOC तक छोड़ने आए थे लश्कर के शीर्ष कमांडर - Mohammad Naved yakub
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के उधमपुर में आतंकवादी हमले के दौरान गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद याकूब और उसके तीन सहयोगियों ने जब दो जून को भारत में घुसपैठ की थी तब लश्करे तैयबा के दो शीर्ष कमांडर उन्हें रवाना करने और उन्हें हथियार एवं गोली-बारूद सौंपने के लिए इस्लामाबाद से आए थे।
भारत ने अब रद्द हो चुकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तरीय बैठक के लिए जो डोजियर तैयार किया था उसके अनुसार नावेद ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में दौरा ए लश्कर शिविर में 20 मई 2015 को चार महीने का प्रशिक्षण पूरा किया। उसके बाद वह लश्करे तैयबा की एक खुली ह्युंदे गाड़ी में वहां से निकला। उसके साथ मोहम्मद भाई, मौवाज, अबू अली और एक अहमद भी था।
 
समूह अगले दिन अग्रिम खहूता स्थित ‘हालेन डेट’ पहुंचा। हालेन डेट शिविर का संचालन किताल सिंधी कर रहा था। समूह का स्वागत अबू उकाशा, मुस्लिम और एक अन्य व्यक्ति जरार ने किया।
 
डोजियर में कहा गया है, 25 मई को करीब 45 वर्षीय साजिद (दक्षिण कश्मीर के लिए लश्कर का संचालन कमांडर) और हंजा असनान (उत्तर कश्मीर के लिए लश्करे तैयबा का कमांडर) और नौमान (भवालपुर का निवासी जो उधमपुर में आतंकवादी हमले में मारा गया था) एक कार में इस्लामाबाद से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के कठुआ अग्रिम क्षेत्र स्थित हैलेन डेट मस्जिद पहुंचे। नौमान उन आतंकवादियों का नेतृत्व कर रहा था जिन्होंने भारत में प्रवेश किया था।
 
लश्करे तैयबा के कमांडरों ने चारों आतंकवादियों में से प्रत्येक आतंकवादी को एक ई.ट्रैक्स जीपीएस उपकरण, एक वायरलेस सेट, एक कंपास, फ्लेक्स पर प्रिंट किया हुआ नक्शा, छह मैगजीन के साथ एक एके 47 राइफल, दो हथगोले, एक डिजिटल घड़ी, काले रंग का एक ट्रैक सूट, एक जोड़ी जूते और 50 हजार रुपए भारतीय मुद्रा दी थी। डोजियर में कहा गया, इसके अलावा समूह के पास दो मोबाइल फोन थे लेकिन उन्होंने उनका इस्तेमाल नहीं किया। (भाषा)