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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 27 अक्टूबर 2016 (18:18 IST)

सैन्य अधिकारियों की रैंकों का दर्जा कम नहीं किया

सैन्य अधिकारियों की रैंकों का दर्जा कम नहीं किया - Military officers, rank, Ministry of Defence,
नई दिल्ली। सरकार ने असैन्य अधिकारियों की तुलना में सैन्य अधिकारियों के रैंकों का दर्जा कम किए जाने की खबरों का खंडन करते हुए गुरुवार को स्पष्ट किया कि दोनों सेवाओं के अधिकारियों के बीच पहले की तरह ही संतुलन है और रैंकों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से यह सफाई रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के रैंकों में किसी भी तरह की विसंगति को एक सप्ताह में दूर करने के आश्वासन के दो दिन बाद आई है। सरकार ने कहा है कि मीडिया रिपोर्टों में 18 अक्टूबर के एक सरकारी परिपत्र का हवाला देते हुए कहा गया है कि सशस्त्र सेनाओं के मुख्यालयों में तैनात सैन्य अधिकारियों के रैंकों का दर्जा उनके समकक्ष असैन्य अधिकारियों की तुलना में कम कर दिया गया गया है। 
 
सरकार ने स्पष्ट किया है कि सैन्य अधिकारियों की रैंकों का दर्जा कम नहीं किया गया है और असैन्य अधिकारियों के पदों के साथ पहले से चले आ रहे संतुलन को छेड़ा नहीं गया है। सरकार ने कहा है कि कार्यप्रणाली की दृष्टि से 1991 में दोनों सेवाओं के अधिकारियों के बीच जो संतुलन बनाया गया था, उसे 1992, 2000, 2004 और 2005 में फिर से जारी किया गया था और उसे ही अब एक बार फिर से दोहराया गया है।
 
सरकार ने स्पष्ट किया है कि दोनों सेवाओं के अधिकारियों के पदों में संतुलन केवल ड्यूटी निर्धारण और कामकाज संबंधी जिम्मेदारियों के संबंध में है। सेना मुख्यालय से इतर कार्यालयों में असैन्य अधिकारियों के साथ इस तरह की व्यवस्था नहीं है। सरकार ने सैन्य अधिकारियों के रैंकों का दर्जा किसी भी तरीके से कम नहीं किया है।
 
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि नई व्यवस्था में सेना के मेजर जनरल, नौसेना के रियर एडमिरल और वायुसेना के एयर वाइस मार्शल को सशस्त्र सेनाओं के मुख्यालय में तैनात मुख्य निदेशक के समकक्ष आंका गया है। इसी तरह ब्रिगेडियर, कमोडोर और एयर कमोडोर को निदेशक तथा कर्नल, कैप्टेन और ग्रुप कैप्टेन को संयुक्त निदेशक के समकक्ष रखा गया है। पुरानी व्यवस्था में कर्नल रैंक को निदेशक के समकक्ष रखा गया था। ब्रिगेडियर के समकक्ष का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं था लेकिन वरिष्ठता के अनुसार उन्हें महानिदेशक के समकक्ष माना जाता था। इसी तरह मेजर जनरल को संयुक्त सचिव का दर्जा हासिल था।
 
पर्रिकर ने इस बारे में पूछे जाने पर दो दिन पहले कहा था कि इस मुद्दे का अध्ययन किया जा रहा है और यदि कोई विसंगति होगी तो उसे दूर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सही स्थिति का पता किया जा रहा है और यदि कुछ विसंगति है तो उसे एक सप्ताह में दूर कर लिया जाएगा। (वार्ता)
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