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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : बुधवार, 5 अगस्त 2015 (17:38 IST)

क्या कहते हैं आतंकी कासिम को पकड़ने वाले...

क्या कहते हैं आतंकी कासिम को पकड़ने वाले... - Kasim Khan
उधमपुर (जम्मू कश्मीर)। मुंबई हमले के दोषी कसाब अजमल खान के बाद अब कासिम खान उर्फ उस्मान जिन्दा भारत के हाथ आया है। इस सफलता पर खुशी मनाई जा सकती है, लेकिन अभी तक यह घमासान खत्म नहीं हुआ था कि आखिर इस आतंकी को पकड़ा किसने? सुरक्षाबलों ने या फिर ग्रामीणों ने? प्रत्यक्षदर्शियों और अगवा किए गए लोगों की मानें तो इस आतंकी को पकड़ने का श्रेय ग्रामीणों को ही जाता है।
आतंकी का नाम उस्मान उर्फ कासिम खान है। इसने खुद को पाकिस्तान के फैसलाबाद का रहने वाला बताया है। 2008 में मुंबई में हमला करने वाले अजमल कसाब के बाद पहली बार कोई आतंकी जिंदा हाथ आया है। कासिम खान का पकड़ा जाना भारतीय सुरक्षाबलों के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है। न सिर्फ ये कि सात साल बाद कोई आतंकवादी जिंदा पकड़ा है, बल्कि दो बहादुरों की मदद से इसे पकड़ा जा सका है, जिन्होंने जान हथेली पर रखकर इस आतंकी से लोहा लिया।
 
कासिम खान को पकड़ने में विक्रमजीत और राकेश की अहम भूमिका रही। विक्रमजीत को आतंकी ने बंधक बना लिया था, वहीं राकेश रास्ते से गुजर रहे थे।
 
विक्रमजीत सिंह ने बताया कि उसने (आतंकी ने) हमें कहा कि अगर हम उसे भागने का रास्ता बताएं तो वह हमें नुकसान नहीं पहुंचाएगा। हमने उसे पकड़ने का फैसला किया। उसने मुझे बहुत टॉर्चर किया। धमकी दी कि मार देंगे। बोला कि मेरे को रास्ते बताओ। मेरे को फरार होना है। आपको कुछ नहीं बोलूंगा। हम चल पड़े। वह हिंदी में बात कर रहा था। मेरे को मारा, मेरे भाई को पकड़कर रखा। सुबह साढ़े सात बजे की बात है। वह भूखा था। हमने उसे खाना खिलाया। रास्ते में राकेश मिला। जब आतंकी ने देखा कि पुलिस आ रही है तो वह हमें धमकाने लगा। राकेश ने उसकी गर्दन पकड़ ली। मैंने उसकी गन पकड़ ली। उसने फायर भी किया। गोली मेरे हाथ में लगी।
 
कासिम खान जिस तरह से पकड़ा गया है, उससे पता चलता है कि उसे उधमपुर के बारे में जानकारी नहीं थी। बीएसएफ की बस पर हमला करने के बाद वह पास के ही गांव में छुप गया और गांववालों से कहा कि मुझे भागने का रास्ता दिखाओ। इसी दौरान गांववालों ने उसे धर दबोचा। आम तौर पर जम्मू कश्मीर में हमला करने वाले आतंकी वारदात को अंजाम देने के बाद आसानी से भाग जाते हैं।
 
राकेश कुमार ने बताया कि आतंकी इन लोगों को ले जा रहा था। मुझे भी रास्ता बताने को कहा। सेफ जगह ले जाने के लिए बोला। अपनी सेफ्टी के लिए मैं इनके साथ जाने को तैयार हो गया। हम पांच लोग थे, जिन्होंने आतंकी को पकड़ लिया। आतंकी हमसे कह रहा था कि मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। उसने हम पर फायर भी किया। मैंने सोचा कि नौकरी नहीं तो क्या हुआ, इन्हें पकड़ तो सकता हूं।
 
जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बीएसएफ के काफिले पर हमला करने के बाद ये आतंकी कासिम खान फरार होने में कामयाब हो गया था और एक गांव में दो लोगों को बंधक बना लिया, लेकिन बंधक बनाए गए बहादुरों ने इसे धर दबोचा।
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दरअसल, जब कोई आतंकी मरने मारने के लिए आता है तो उसका सीधा मतलब ये है कि वह फिदायीन हमलावर है। उसे अपनी जान की परवाह नहीं है। लेकिन सलाम करना होगा उन बहादुरों को जिन्होंने इस प्रशिक्षित और गोरिल्ला हमले में माहिर आतंकी को धर दबोचा। उसके हथियार छीन लिए और आधे घंटे वन टू वन फाइट की और उसे अपने कब्जे में कर लिया।
अब जब भारत ने एक आतंकी को जिंदा पकड़ लिया है, भारत के लिए ये कई मायने में बहुत अहम है। इसके पकड़े जाने के बाद सुरक्षाबलों को ऐसे बहुत से राज का खुलासा होगा, जो पाकिस्तान की जमीन में नापाक साजिशें रची गई होंगी।
 
इसके साथ ही भारत के उस दावे को ताकत मिलेगी, जो भारत बार-बार कहता रहा है कि पाकिस्तान की जमीन पर भारत के खिलाफ आतंकी हमले की साजिशें रची जाती हैं। इस आतंकी से ये भी पता चलेगा कि वह किस आतंकी संगठन का सदस्य है, पाकिस्तान की सरकार का इन हमलों को पीछे क्या रवैया है। आतंकी सीमा के किस रास्ते आने में कामयाब होते हैं और कब होते हैं।