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Last Modified: बुधवार, 31 अगस्त 2016 (00:09 IST)

पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देने से बाज आए : अमेरिका

पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देने से बाज आए : अमेरिका - John Kerry, Sushma Swaraj, terrorism, terrorist attack
नई दिल्ली। अमेरिका ने सीमा पार आतंकवाद पर भारत की चिंताओं से एकजुटता व्यक्त करते हुए मंगलवार को पाकिस्तान से दो टूक शब्दों में कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों की एक राय हैं और हम मानते हैं कि आतंकवाद को लेकर दोहरे मानदंड नहीं हो सकते और पाकिस्तान को आतंकवादियों की पनाहगाह नहीं बनना चाहिए। 
        
अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन कैरी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ भारत अमेरिका दूसरी रणनीतिक एवं वाणिज्यिक वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह ऐलान किया। कैरी ने कहा कि अमेरिका और भारत आतंकवाद के मुद्दे पर बिलकुल एकराय है और ना केवल आतंकवाद को रोकने बल्कि आतंकवादियों को कानून के शिकंजे में लाने को लेकर भी दोनों के विचार एक हैं। 
        
श्रीमती स्वराज ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में कहा, कैरी और मैंने आतंकवाद जो कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अहम चुनौती है और जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है, के विषय पर विस्तृत चर्चा की। मुझे खुशी है कि इस मुद्दे पर हमारे विचार बिलकुल एक जैसे हैं।
         
उन्होंने कहा, भारत और हमारे क्षेत्र के एक बड़े भूभाग में पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद की लगातार बनी हुई समस्या से मैंने कैरी को अवगत कराया। हम दोनों इस बात पर सहमत थे कि राष्ट्रों को आतंकवाद पर दोहरे मानदंड नहीं अपनाने चाहिए जैसे अच्छा या बुरा कहकर आतंकवादियों में अंतर करना और ना ही उन्हें आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित शरणस्थल बनना चाहिए।
             
कैरी ने कहा, अमेरिका अच्छे और बुरे आतंकवाद में ना तो अंतर करता है और ना ही करेगा। आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद होता है, चाहे वह कहीं से संचालित हो अथवा चाहे कोई अंजाम दे। उन्होंने कहा कि अमेरिका 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले और 2016 के पठानकोट हमले के दोषियों को कानून के शिकंजे में लाने के सभी प्रयासों का समर्थन करता रहेगा। 
             
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल राहिल शरीफ से भी बात की है और कहा है कि पाकिस्तान को किसी भी आतंकवादी संगठन को पनाह देने से परहेज करना होगा। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह सर्वविदित तथ्य है कि लश्करे तैयबा और हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान के अंदर से संचालित होते हैं। 
 
श्रीमती स्वराज ने दोहराया कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अहम चुनौती है और जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। पाकिस्तान के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने यहां आतंकवादियों और आपराधिक नेटवर्कों जैसे कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और डी कंपनी के लिए शरणस्थली को खत्म करे।         
         
विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने कैरी के साथ आतंकवाद का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय विधिक व्यवस्था को मज़बूत करने पर भी चर्चा की। दोनों इस बात पर सहमत थे कि आतंकवाद का सामना करने के लिए आपसी सहयोग के लिए और उपाय किए जाने चाहिए। विशेषकर ऐसे आतंकवादी जिनकी पहचान कर ली गई हो या जो संदेह के घेरे में हों, उनसे संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान के समझौते को शीघ्र प्रभावी करने की आवश्यकता है।
        
उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि हम आपस में खुफिया सूचनाओं को साझा करने में तेजी लाएंगे और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों को उसकी इस संबंध में बनाई गई सूची में लाने के लिए मिलकर कार्य करेंगे। इस संबंध में हम संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति में अपने दृष्टिकोण में समन्वय कायम करेंगे। 
 
विदेश मंत्री ने बैठक में उठे अन्य मुद्दों की चर्चा करते हुए बताया कि दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा पर भी व्यापक चर्चा की। भारत और अमेरिका दोनों पेरिस समझौते को पूर्णतः लागू करने को उच्च प्राथमिकता देते हैं। इस समझौते को अंतिम रूप देने में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ओबामा ने अहम भूमिका निभाई थी।
       
उन्होंने कहा कि हम स्वच्छ ऊर्जा पर अपने सहयोग को और बढ़ाएंगे और प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान इस क्षेत्र में अमेरिका से भारत में अधिक निवेश लाने के संबंध में की गई घोषणाओं को मूर्तरूप देने के लिए तेजी लाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ की सफलता के लिए अमेरिका के साथ काम करने को लेकर आशान्वित हैं।
        
उन्होंने कहा कि भारत एवं अमेरिका एजेंडा- 2030 को उसके 17 टिकाऊ विकासात्मक लक्ष्यों के जरिए लागू करने के लिए साथ काम करने पर भी सहमत हुए। ये लक्ष्य हमारी सरकार की स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी प्रमुख पहलों के अनुरूप है। 
 
उन्होंने कहा कि हम संसार की कुल मानवता का छठवां हिस्सा हैं इसलिए एजेंडा- 2030 के सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों की सफलता और असफलता इस क्षेत्र में भारत द्वारा हासिल की गई सफलता पर निर्भर है।
         
उन्होंने कहा कि भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में उसकी सदस्यता और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता के दावे पर अमेरिका द्वारा समर्थन जारी रखने के लिए आभारी है। 
 
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र, विशेषकर अफगानिस्तान में हो रही घटनाओं पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देश अफगानिस्तान में राष्ट्रीय एकता सरकार को सुदृढ़ करने के लिए मिलकर काम करेंगे। (वार्ता)