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Last Updated : शुक्रवार, 26 अगस्त 2016 (00:41 IST)

कृष्ण जन्म पर मथुरा-वृन्दावन में लाखों श्रद्धालु् उमड़े

कृष्ण जन्म पर मथुरा-वृन्दावन में लाखों श्रद्धालु् उमड़े - Janmashtami, Lord Krishna, Krishna birth celebration
मथुरा-वृन्दावन। जैसे ही भारत में घड़ी की सुई ने 12 बजाए वैसे ही भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की धूम पूरे देश में गूंज उठी। देशभर के मंदिरों में देर रात तक श्रद्धालु्ओं की भारी भीड़ उमड़ी। मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के पूर्व ही छप्पन भोग सजा दिए गए थे, जिनका बाद में भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण हुआ। 
द्वारका, दिल्ली, मुंबई में भी जन्माष्टमी की धूम रही। मथुरा के कारागार में 5 हजार 442 साल पूर्व भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था लेकिन जब भी जन्माष्टमी आती है, तब श्रद्धालु बड़ी धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाते हैं। देशभर के इस्‍कान मंदिरों में भक्‍तों का सैलाब उमड़ पड़ा। 

'नंद के आनंद भयो...जय कन्‍हैया लाल की' की गूंज पूरे मथुरा में सुनाई दे रही है। इस जन्‍माष्‍टमी पर विशेष संयोग बना है। कृष्‍ण के जन्‍म के वक्‍त रोहिणी नक्षत्र था। 52 साल के बाद आज एक बार फिर पावन संयोग बना है, क्‍योंकि श्रीकृष्‍ण के जन्‍म के वक्‍त ऐसी ही स्थिति बनी थी। ग्रहों के विशेष संयोग के साथ कृष्‍ण का जन्‍मोत्‍सव मनाया गया। भगवान श्रीकृष्‍ण के जन्‍म के वक्‍त बनने वाला संयोग विशेष रूप से फलदायी रहने वाला है।   

देशभर के मंदिरों के बाहर देर रात तक कृष्ण के भजन जारी थे और श्रद्धालु नाचते-गाते कृष्ण की भक्ति में डूबे रहे। भारत में जहां-जहां इस्कॉन मंदिर हैं, वहां पर हरे रामा, हरे कृष्णा की गूंज सुनाई देती रही।  कान्हा के जन्म दिवस पर आज दुनियाभर के श्रद्धालु ब्रजमण्डल की सड़कों पर इस प्रकार उमड़ते दिखाई दिए, मानों वे हर कीमत पर अपने प्रिय की एक झलक पा लेना चाहते हों।
 
विशेषकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर परिसर, ठा. द्वारिकाधीश मंदिर, वृन्दावन के ठा. बांकेबिहारी मंदिर, इस्कॉन के कृष्ण-बलराम मंदिर, ठा. राधारमण मंदिर, ठा. राधावल्लभ मंदिर, प्रेम मंदिर आदि अनेक मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया था। जन्मोत्सव के कार्यक्रमों की शुरुआत श्रीकृष्ण जन्मस्थान भगवान के समक्ष शहनाई और नगाड़ा वादन के साथ मंगला आरती से हुई और उसके बाद पंचामृत अभिषेक एवं पवित्र स्त्रोतों का पाठ एवं पुष्पार्चन संपन्न हुआ।
 
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर जन्मस्थान परिसर में स्थित भगवान की प्राकट्य भूमि एवं कारागार के रूप में प्रसिद्घ गर्भगृह के मूल स्वरूप में बिना कोई परिवर्तन किए दिव्य स्वरूप प्रदान किया गया था, जिसके दर्शन करने के लिए भी श्रद्घालुओं में विशेष लालसा दिखाई दी। 'हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की' के स्वर देर रात तक सुनाई देते रहे। 

कृष्णभक्तों को दिया ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ संदेश फैला पूरी दुनिया में : श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान द्वारा इस वर्ष भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर कृष्णभक्तों को दिया गया ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’का संदेश दुनिया के तमाम देशों में फैल गया है। संस्थान के सचिव कपिल शर्मा को इन दिनों सोशल मीडिया पर प्रतिदिन सैकड़ों संदेश मिल रहे हैं।
 
उन्होंने कहा, ‘जिस देश में राम से पहले सीता और कृष्ण से पहले राधा का नाम लिया जाता है। वहां बेटियां को आज भी अभिशाप मानने तथा मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध जैसी बातों से भारत की सनातन संस्कृति की छवि धूमिल हो रही है।’ 
 
शर्मा ने बताया, ‘ऐसे में जब श्रीकृष्ण जन्मस्थान ने बेटियों को बचाने-बढ़ाने के संकल्प के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाने का निर्णय लिया तो सात समंदर पार तक इसकी बेहद सराहना हो रही है।’ इसके लिए उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मस्थान से जुड़े देश-विदेश में फैले भगवान के अनुयायियों को सोशल मीडिया के माध्यम से एक अपील जारी कर ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का संदेश दिया तो मंदिर आने वाले दर्शनार्थियों को प्रेरित करने के लिए कई स्थानों पर बैनर व पोस्टर लगवाकर यह संकल्प लेने की गुहार लगाई।
 
उन्होंने बताया कि स्थानीय भक्तों ने तो यह विचार बेहद पसंद किया, लेकिन अमेरिका, स्विटज़रलैण्ड, नार्वे, गुयाना, फिजी, मॉरिशस, सूरीनाम आदि देशों से सराहना भरे संदेश आ रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘त्रिनिदाद एण्ड टोबैगो की संस्था सोहा के चेयरमैन और कई देशों में भारतीय राजदूत रहे पं. मणिदेव प्रसाद ने भी बधाई संदेश भेजा है।’
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