शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Jammu and Kashmir government, BJP, PDP, Jammu and Kashmir
Written By Author सुरेश एस डुग्गर

मंत्रिमंडल में बराबरी पर अभी भी अड़ी है भाजपा

मंत्रिमंडल में बराबरी पर अभी भी अड़ी है भाजपा - Jammu and Kashmir government, BJP, PDP, Jammu and Kashmir
श्रीनगर। चार दिन पहले राज्य में गठबंधन सरकार बनाने को राजी हुए दोनों राजनीतिक दलों (भाजपा और पीडीपी) के बीच अभी तक शपथ ग्रहण की तारीख पक्की करने पर सहमति नहीं बन पाई है। दोनों के बीच मंत्री पदों के बंटवारे का मुद्दा समस्या पैदा कर रहा है। 
25 सीटें पाने वाली भाजपा अपने साथ अन्य दो विधायकों को भी जोड़कर सबसे बड़ा राजनीतिक दल बताते हुए सरकार में ज्यादा हिस्सेदारी पर अड़ी हुई है। उसके अड़ियलपन का दूसरा पहलू यह भी है कि दोनों दलों में अंदेशा इस बात का भी पैदा हो गया है कि कहीं सरकार बनने से पहले ही गठबंधन टूट न जाए।
 
भाजपा कोर ग्रुप की बुधवार को बैठक भी हुई। इसमें फिर से मंत्रालयों और सरकार में हिस्सेदारी पर मंथन हुआ। पर महबूबा मुफ्ती सरकार बनाने का दावा करने वाले दिन ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि न ही मंत्री पदों में कोई बदलाव होगा और न ही मंत्रालयों में।
 
लेकिन भाजपा को यह कथन समझ नहीं आ पा रहा है। कारण स्पष्ट है। मुख्यमंत्री मुफ्ती सईद की मौत के बाद के गणित को वह गले में डाले हुए है। सईद की मृत्यु के बाद पीडीपी के पास अब 27 विधायक बचे हैं। जबकि भाजपा के पास 25 विधायक। पर वह पीपुल्स कॉफ्रेंस और निर्दलीय विधायक को भी अपने खाते में जोड़ते हुए अब गठबंधन में भाजपा को बराबरी का दल मान रही है।
 
पीडीपी उसके इस गणित को सिरे से नकार चुकी है। नतीजा सामने है। शपथ ग्रहण समारोह की तारीख पक्की नहीं हो पा रही है। राजभवन इसके लिए इंतजार कर रहा है। इतना जरूर है कि पीडीपी को अब भाजपा पर कुछ शक भी होने लगा है। पीडीपी के गलियारों में अब भाजपा के उस समर्थन पत्र पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं जो भाजपा ने सरकार बनाने की खातिर राज्यपाल को सौंपा था।
 
याद रहे 26 मार्च को भाजपा अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित जो समर्थन पत्र भाजपा के विधायक दल के नेता और उप मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार निर्मल सिंह द्वारा राज्यपाल को सौंपा गया था उसमें ‘सैद्धांतिक समर्थन’ देने की बात कही गई थी जो राजनीतिक पंडितों को कुछ पच नहीं रहा है।
 
सत्ता के गलियारों से मिलने वाली खबरें कहती हैं कि भाजपा कहीं न कहीं मोलभाव के मूड में है और वह इसके लिए सरकार न बनाने का खतरा तक मोल ले सकती है। यही कारण है कि अभी तक सरकार के गठन की तारीख पक्की न होने के कारण यह भी चर्चा है कि कहीं बराबरी के चक्कर में ट्रेन न छूट जाए।