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Last Updated :बेंगलुरु , मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017 (11:33 IST)

इसरो ने इस तरह रचा इतिहास...

इसरो ने इस तरह रचा इतिहास... - ISRO creates history
बेंगलुरु। इसरो ने एक साथ 104 उपग्रह छोड़ने वाले पीएसएलवी-सी37 मिशन को अनूठे और नवाचारी तरीके अपनाकर सफल बनाया। इतनी ज्यादा संख्या में उपग्रहों को प्रक्षेपण यान में रखने के लिए विशेष खांचे तैयार किए गए तथा यह सुनिश्चित किया गया कि प्रक्षेपण के दौरान उपग्रह आपस में न टकराएं।
 
इसरो ने बताया कि इस मिशन में कार्टोसैट-2 श्रृंखला के मुख्य उपग्रह के साथ 103 नैनो उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया जिनमें 101 नैनो उपग्रह अन्य देशों के थे। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी37 से धरती से 506 किलोमीटर की ऊंचाई पर सौर-स्थैतिक कक्षा में इन उपग्रहों को स्थापित किया गया। यह अपने आप में इतिहास है क्योंकि अब तक किसी अन्य देश ने इतनी बड़ी संख्या में उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण नहीं किया है।
 
इसरो के अनुसार, इतनी बड़ी संख्या में उपग्रहों को प्रक्षेपणयान में रखने और कक्षा में उन्हें स्थापित करने के लिए नवाचारी तरीके अपनाने की जरूरत थी। प्रक्षेपणयान में उपग्रहों को रखने वाले पारंपरिक खांचों - पेलोड अडैप्टर तथा मल्टीपल सैटेलाइट अडैप्टर - के अलावा नए तरीके के छह अडैप्टर बनाए गए जिनका इस्तेमाल नैनो उपग्रहों को रखने के लिए किया गया।
 
इनमें से कुछ अडैप्टरों में एक से ज्यादा टीयर बनाकर उपग्रहों को रखने की सुविधा थी। कुछ उपग्रहों को प्रक्षेपण यान के 'वीइकल इक्वीपमेंट बे' में भी रखा गया। इस प्रकार कम जगह में 104 उपग्रहों को रखना संभव हो सका।
 
इसरो ने बताया कि इसके बाद अगली चुनौती उपग्रहों के बीच लंबे समय तक सुरक्षित दूरी बनाये रखने की थी। इसके लिए प्रक्षेपण यान के अंतिम चरण पीएस4 की जटिल संचालन प्रक्रिया तथा विशेष रूप से तैयार किए गए प्रक्षेपण क्रम का सहारा लिया गया।
 
अंतरिक्ष में पीएस4 समेत 105 पिंडों को आपस में टकराने से बचाना एक बड़ी चुनौती थी। दो पिंडों के बीच 5,460 तरीकों से टकराने की संभावना बन सकती थी। जटिल प्रक्षेपण क्रम को अंजाम देने के लिए उन्हें प्रक्षेपण यान से अलग होने के लिए दी जाने वाली कमांड और उसके अनुरूप वायरिंग भी विशेष रूप से तैयार की गई थी। इसमें एक भी त्रुटि से गलत उपग्रह का प्रक्षेपण हो सकता था और उपग्रहों के आपस में टकराने का खतरा पैदा हो सकता था।
 
इसरो ने बताया कि उपग्रहों के प्रक्षेपण के पूरे क्रम को प्रक्षेपण यान पर लगाए गए कैमरे में रिकॉर्ड किया गया है। इस मिशन के लिए आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में विशेष तैयारी की गई थी। (वार्ता)