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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 5 अप्रैल 2015 (21:18 IST)

न बंदूक चलेगी न मिसाइल, खत्म हो जाएगा IS

न बंदूक चलेगी न मिसाइल, खत्म हो जाएगा IS - ISIS
नई दिल्ली। दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट यानी आईएस अब ऐसी मौत मरने वाला है, जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की होगी। उनके खिलाफ न मिसाइल दागे जाएंगे, न उन पर गोलियों की बौछार होगी, इसके बावजूद उनका वजूद खत्म हो जाएगा और उनका खात्मा करेगा एक छोटा सा कीड़ा। बात सुनने में अजीब लग सकती है लेकिन यही सच है। सीरिया में आईएस के कब्जे वाले इलाके में एक लाख से ज्यादा लोग एक ऐसे वायरस के शिकार हो चुके हैं, जो उन्हें धीरे-धीरे खा रहा है।
जो काम बम और बंदूक नहीं कर सकती, वो काम करने जा रहा है एक वायरस। ये वायरस इंसान को ऐसी मौत देता है कि मरने से पहले और मौत के बाद कोई उस इंसान के आसपास भी फटकना नहीं चाहता। आमबोल चाल में जिसे सड़-सड़कर मरना कहते हैं वही मौत आईएसआईएस के आतंकी मरने वाले हैं।
 
इस्लामिक स्टेट के पापों का हिसाब करना मुश्किल है लेकिन अब एक वायरस ने आईएस आतंकियों को चुन-चुनकर मारना शुरू कर दिया है। इस वायरस से होने वाली बीमारी का नाम है लैसमैनियासिस। ये वो बीमारी है जिसमें इंसान की त्वचा सड़नी शुरू हो जाती है। यूं समझ लीजिए कि ये एक तरह से कुष्ठ रोग यानी कोढ़ की बीमारी है। 
 
ये बीमारी आईएस आतंकियों को लगनी शुरू हो गई है और इस बीमारी से पीड़ित आईएस आतंकियों की तादाद सैकड़ों, हजारों में नहीं बल्कि एक लाख से ऊपर है। जी हां, आईएस के कब्जे वाले इलाके में एक लाख से ज्यादा लोगों को लैसमैनियासिस की बीमारी लग चुकी है। उनकी त्वचा जगह-जगह से सड़नी शुरू हो गई है।
 
लैसमैनियासिस का वायरस पहले त्वचा की ऊपरी सतह को खाना शुरू करता है। इलाज न कराने पर वायरस तेजी से फैलता है। और फिर वायरस त्वचा के नीचे मांस में भी फैल जाता है। एक बार वायरस के फैल जाने पर इलाज नामुमकिन हो जाता है। फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर को ये बीमारी लग जाती है। और इसके बाद आदमी तड़प-तड़पकर दम तोड़ देता है।
 
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या इस बीमारी को ठीक नहीं किया जा सकता? दरअसल इस बीमारी की शुरुआत में इसे ठीक तो किया जा सकता है लेकिन आईएस के आतंकी इस बीमारी का इलाज ही नहीं कराना चाहते। सीरिया के रक्का में ऐसे आतंकियों की बड़ी तादाद है जो लैसमैनियासिस से पीड़ित होने के बावजूद इलाज नहीं करा रहे। 
 
एक एनजीओ ने जब इन आतंकियों को उनकी बीमारी के बारे में समझाना और इलाज देना चाहा तो इन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद उस एनजीओ के डॉक्टर इस्लामिक स्टेट को छोड़कर चले गए।
 
गौरतलब है कि लैसमैनियासिस का वायरस एक परजीवी होता है। यानी उसे जिंदा रहने के लिए किसी ना किसी का सहारा चाहिए होता है। यही वजह है कि ये बीमारी तेजी से फैल रही है। ये बीमारी एक खास तरह के कीड़े की वजह से इंसानों में फैलती है। 
 
लैसमैनियासिस का कहर ज्यादातर उन इलाकों में देखा गया है जहां गरीबी, कुपोषण और गंदगी होती है। इस बीमारी में पहले बुखार होता है। फिर त्वचा पर सड़न होने लगती है और फिर लीवर डैमेज हो जाता है। बीमारी से प्रभावित होने के बाद इलाज के साथ तीन हफ्तों का आराम जरूरी है लेकिन आईएस के ये लड़ाके अपनी दरिंदगी में इतने मशगूल हैं कि उन्हें खबर ही नहीं कि अब अंत करीब है। 
 
इंसानी जिस्म को नोंच-नोंच कर खाने वाला ये वायरस इस्लामिक स्टेट में तेजी से पांव पसार रहा है और अब दुनिया के इन खूंखार आईएस आतंकियों को न बम बचा पाएगा, ना बंदूक। (khabar.ibnlive.in.com से)