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Last Updated : शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015 (20:40 IST)

भविष्य में इंटरनेट के जरिए मतदान संभव

भविष्य में इंटरनेट के जरिए मतदान संभव - Internet voting, HS Brahma, CEC
नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एचएस ब्रह्मा ने शुक्रवार को कहा कि इंटरनेट से मतदान भविष्य में संभव हो सकता है और इस दिशा में पहला कदम है चुनाव आयोग का मतदाता सूची को पूरी तरह त्रुटिमुक्त बनाना।
सीईसी ने कहा कि इंटरनेट से मतदान अगला चरण है। चुनाव आयोग की महत्वाकांक्षी योजना की दिशा में पहला कदम था मतदाता सूची को बिलकुल त्रुटिमुक्त बनाना। हालांकि उन्होंने इसके लिए कोई समयसीमा नहीं बताई।
 
उन्होंने यहां कहा कि हमें धन, आधारभूत संरचना और कुछ प्रशिक्षण की आवश्यकता है। भारत इसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि युवा मतदाता सोचता है कि इंटरनेट के जरिए मतदान काफी समय, संसाधन और ऊर्जा की बचत कर सकता है।
 
उन्होंने यहां कहा कि जब मैं दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए कतार में खड़ा था तो मेरे सामने खड़े 5 युवा मतदाताओं ने कहा कि मतदान करने में कुछ सेकंड का वक्त लगता है लेकिन 2 घंटे तक कतार में खड़ा रहना कठिन कार्य है। 
 
हालांकि गुरुवार को ही विधि मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में कहा था कि फिलहाल इंटरनेट के जरिए मतदान शुरू करने की योजना नहीं है।
 
चुनाव आयोग 3 मार्च से 15 अगस्त के बीच राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण एवं सत्यापन कार्यक्रम (एनईआरपीएपी) चलाएगा। इस कार्यक्रम के तहत चुनाव आयोग मतदाता फोटो पहचान पत्र को यूआईडीएआई नंबर से जोड़ेगा ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि दोहराव नहीं हो।
 
ब्रह्मा ने कहा कि मतदाता सूची में 10 से 12 फीसदी प्रविष्टियों का दोहराव है। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में 85 करोड़ मतदाता हैं। एक दक्षिण भारतीय राज्य के एक शहर में 42 फीसदी दोहरी प्रविष्टियां हैं। 
 
उन्होंने कहा कि मतदाताओं से स्वत: एक से अधिक क्षेत्रों से अपने नाम हटाने के लिए कहा जाएगा और इस तरह के मामलों का 15 दिन के भीतर निस्तारण कर दिया जाएगा। अगर कोई मतदाता जान-बूझकर कई निर्वाचन क्षेत्रों में अपना नाम पंजीकृत कराता है तो उसे आईपीसी और चुनाव कानूनों के तहत दंडित किया जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि 50 करोड़ मतदाताओं ने यूआईडीएआई नंबर के साथ चुनाव आयोग में पंजीकरण कराया है और यूआईडीएआई ने चुनाव आयोग से कहा कि जून तक यह अपना आधार और बढ़ाएगी। चूंकि यूआईडीएआई ऐच्छिक प्रकृति का है इसलिए जिन लोगों के पास आधार संख्या नहीं है उनकी दो बार जांच की जाएगी।
 
ब्रह्मा ने कहा कि मतदाता सूची में दोहराव और त्रुटियों से चुनाव आयोग की बदनामी हुई है और बंबई उच्च न्यायालय में उसके खिलाफ एक मामला लंबित है तथा मतदाता सूची का शुद्धिकरण करके हम अपने ऊपर लगे आरोपों के अध्याय को पूरी तरह बंद करना चाहते हैं। (भाषा)