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Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2014 (00:38 IST)

दिल्ली में पहली बार बनेगा 'युद्ध स्मारक'

दिल्ली में पहली बार बनेगा 'युद्ध स्मारक' - Indian soldiers
-शोभना जैन
 
नई दिल्ली। सरकार आजादी के बाद हुए सभी युद्धों में मारे गए शहीद सैनिकों की स्मृति में राजधानी दिल्ली में एक भव्य युद्ध स्मारक बनाएगी। रक्षामंत्री अरुण जेटली ने प्रथम विश्व युद्ध में भारत के योगदान को याद करने के लिए ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा आज यहां आयोजित एक आभार स्मृति समारोह में यह घोषणा की। 
उन्होंने कहा, इस संबंध में प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया गया है। रक्षामंत्री  ने इस बात पर अफसोस जताया कि आजादी से पहले हुए यु्द्धों में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में तो स्मारक है लेकिन आजादी के बाद अपने देश के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले हमारे सैनिकों की स्मृति में  अपने ही देश में कोई युद्ध स्मारक बनाने की सुध कभी नहीं ली गई।
 
ब्रिटिश रक्षामंत्री माइकल फैलोन इस समारोह में हिस्सा लेने और उन भारतीय सैनिकों  की स्मृति के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने विशेष रूप से एक दिन की भारत यात्रा पर आज आए और सम्मान समारोह में हिस्सा लिया। इस विश्वयुद्ध में 11 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया था जिनमें से करीब 70,000 शहीद हुए, और लग्भग 60000 घायल हुए। समारोह में फैलोन ने कहा, इन भारतीय हीरो का बलिदान हमें याद दिलाता है कि इन वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान भारत तथा ब्रिटेन के मूल्यों की रक्षा करने के लिए दिया। 
 
हम कभी भी इन वीर नायकों  की असाधारण सेवाओं को भूल नही पाएंगे और कभी हमें भूलना भी नहीं चाहिए। उन्होंने उन बहादुरों के योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि  महान बात यह है कि सभी ने स्वेच्‍छा से अपनी सेवाएं दीं। जेटली ने भी सरकार की तरफ से इन बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। 
 
इस अवसर पर ब्रिटेन के उच्चायुक्त  सर जेम्स बेवन ने समारोह को एक भावुक अवसर बताते हुए कहा, समारोह उन बहादुर भारतीयों के शौर्य तथा बलिदान को श्रद्धांजलि है जिन्होंने मूल्यों के लिए बलिदान दिया और मुझे आशा है वे साझे मूल्य आज भी हैं। इस अवसर पर थलसेना अध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग, विदेश मंत्रालय में सचिव नवतेज सरना सहित ब्रिटिश सेना में शामिल पूर्व भारतीय सैन्य अधिकारी, प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए भारतीय सैनिकों के परिवारजन, अनेक राजदूत व विशिषटजन मौजूद थे। इन में से अनेक वृद्ध सैनिकों की मौजूदगी से समारोह काफी भावुक हो उठा, उनके लिए समारोह स्मृति यात्रा थी। 
 
इससे पूर्व माइकल फैलोन ने इंडिया गेट जाकर युद्ध स्मारक पर प्रथम विश्‍व युद्ध में शहीद हुए भारतीयों के लिए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। समारोह में जेटली ने यह भी ऐलान किया कि सरकार आजादी के बाद हुए सभी युद्धों का इतिहास एक डिजिटल पुस्तक के रूप में सिलसिलेवारबद्ध करने पर भी विचार करेगी। समारोह में मौजूद जनरल सुहाग की और मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा, अगर सेना ऐसा प्रस्ताव देती है तो सरकार उस पर सहर्ष विचार करेगी और इस परियोजना पर काम करने के लिए एक दल का भी गठन किया जाएगा। 
 
उन्होंने कहा, निश्चय ही ऐसी पुस्तक की आवश्‍यकता है।  समारोह में फैलोन ने प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए तथा अभूतपूर्व शौर्य के लिए विक्टोरिया पदक से सम्मानित छह भारतीय सैनिकों की स्मृति में उच्चायुक्त के आवासीय परिसर में एक स्मृति शिला का भी अनावरण किया। उन्होंने इन सभी बहादुरों की स्मृति में एक-एक स्मृति शिला इन बहादुरों के गृह नगरों के लिए भी दी। 
 
इस युद्ध में हिस्सा लेने वाले भारतीयों की याद में हुए इस समारोह का आयोजन ब्रिटिश उच्चायोग ने यूनाइटेड सर्विस इंस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) के साथ मिलकर किया। उच्चायोग के एक प्रवक्ता के अनुसार ब्रिटेन ने इस युद्ध से जुड़ी बैटलफील्ड गाइड बुक बनाने के लिए भी फंड दिया है। यह किताब यूएसआई के जरिए उन परिवारों को मिलेगी, जो फ्रांस और फ्लैंडर्स के युद्ध क्षेत्रों को देखने की इच्छा रखते हैं। इन जगहों पर काफी भारतीय शहीद हुए। 
 
जानकारों के अनुसार इन भारतीयों के बलिदान ने इस युद्ध की दिशा पलट दी थी अन्यथा दुनिया का नक्शा आज कुछ और ही होता। इस मौके पर एक कॉफी टेबल बुक भी जारी की गई। इस किताब में इस युद्ध के बारे में तस्वीरों के जरिए बताया गया है। फ्रांस और फ्लैंडर्स में लड़ने वाली भारतीय टुकड़ियों की युद्ध डायरियों की डिजिटाइजेशन की प्रति भी इस अवसर पर रक्षामंत्री जेटली को ब्रिटिश रक्षामंत्री ने भेंट की। (वीएनआई)