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Last Modified: बुधवार, 16 सितम्बर 2020 (18:08 IST)

भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ आरपार की जंग के लिए कमर कसी

भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ आरपार की जंग के लिए कमर कसी - Indian army ready for war with China in eastern Ladakh
जम्मू। भारतीय सेना (Indian Army) ने बुधवार को जोर देते हुए कहा कि वह पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में सर्दी में भी आरपार की जंग (War) लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। साथ ही उसने कहा कि अगर चीन (China) युद्ध छेड़ता है तो उसे अच्छी तरह प्रशिक्षित, बेहतर ढंग से तैयार, पूरी तरह चौकस और मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत भारतीय सैनिकों का सामना करना होगा।

सेना ने एक बयान में कहा कि शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत भारतीय सैनिकों के मुकाबले अधिकतर चीनी सैनिक शहरी इलाकों से आते हैं। वे जमीनी हालात की दिक्कतों से वाकिफ और लंबे समय तक तैनात रहने के आदी नहीं होते।

सेना की उत्तरी कमान के मुख्यालय ने ये बातें चीन के आधिकारिक मीडिया प्लेटफॉर्म 'ग्लोबल टाइम्स' की उस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहीं, जिसमें कहा गया था कि भारत सर्दियों में प्रभावी ढंग से लड़ाई नहीं लड़ पाएगा।

उत्तरी कमान के प्रवक्ता ने कहा, यह घमंड का जीता जागता उदाहरण है। भारतीय सेना सर्दी में भी पूर्वी लद्दाख में आरपार की जंग लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।प्रवक्ता ने कहा, भारत एक शांतिप्रिय देश है और पड़ोसियों से अच्छे संबंध रखना चाहता है। भारत हमेशा संवाद के जरिए मुद्दों के समाधान को तरजीह देता है।

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद हल करने को लेकर बातचीत जारी है। जहां तक सेना की बात है, तो वह लंबे गतिरोध के लिए तैयार है।उन्होंने कहा कि लद्दाख में ऊंचे से भी बहुत अधिक ऊंचे स्तर के स्थान हैं। नवंबर के बाद यहां 40 फुट तक बर्फ जम जाती है। प्रवक्ता ने कहा, इसके अलावा तापमान शून्य से नीचे 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाना आम बात है। शीतलहर सैनिकों के लिए और भी ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर देती हैं।

बर्फबारी के चलते सड़कें बंद हो जाती हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भारत के लिए जो सबसे अच्छी बात है, वो यह है कि भारतीय सैनिकों के पास सर्दी में युद्ध लड़ने का बेमिसाल अनुभव है और वे कम समय में भी जंग के लिए खुद को मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ये सभी तथ्य तो दुनिया जानती है, लेकिन सेना की संचालन क्षमता के बारे में शायद ही कोई जानता हो। प्रवक्ता ने कहा कि यहां यह बताना बहुत जरूरी है कि सेना को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन का भी अनुभव है, जहां चीन से लगी सीमा के मुकाबले हालात बहुत मुश्किल होते हैं।(भाषा)
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