शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Hanumnthppa Koppd
Written By
Last Modified: बुधवार, 10 फ़रवरी 2016 (20:01 IST)

योग से पाई हनुमंथप्पा ने जीवन की 'संजीवनी'

योग से पाई हनुमंथप्पा ने जीवन की 'संजीवनी' - Hanumnthppa Koppd
जम्मू। योग जीवनदायिनी शक्ति देता है, यह बात एक बार फिर साबित हो गई है। दुनिया की सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में 30 फुट मोटी बर्फ के नीचे से 6 दिन बाद चमत्कारिक ढंग से जीवित मिले लांस नायक हनमनथप्पा कोप्पड़ 6 दिन तक योग के सहारे जीवित रहे। डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने योग के तरीके अपनाकर अपने शरीर की जरूरतों को कम किया होगा और इस तरह वह 6 दिन तक मौत से संघर्ष करते रहे। हालांकि दिल्ली में सेना के अस्पताल में लांस नायक हनुमंथप्पा कोप्पड़ की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। वे जीवन और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। 
वे छह दिन तक 25 फुट बर्फ के नीचे दबे रहे, जब पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा के करीब 19 हजार 600 फुट की ऊंचाई पर हिमस्खलन ने उनकी चौकी को अपनी जद में लिया। उस ऊंचाई पर तापमान शून्य से 45 डिग्री सेल्सियस कम था।
 
 
शांति की बजाय कठिन क्षेत्र को चुना : शांति वाले क्षेत्रों को चुनने के बजाए कठिन क्षेत्रों को चुना और संघर्ष के क्षेत्रों में 10 साल तक लड़े।  सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, बहादुर सैनिक ने उच्च स्तर का पहल प्रदर्शित किया और अपनी 13 साल की कुल सेवा में से 10 साल कठिन और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में सेवा दी है। अधिकारी ने कहा कि 33 वर्षीय सेवारत सैनिक 25 अक्टूबर 2002 को मद्रास रेजीमेंट की 19वीं बटालियन में शामिल हुए थे और बेहद प्रेरित और शारीरिक रूप से तंदुरुस्त हैं। उन्‍होंने शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को चुना।  
 
आतंकवाद से भी लिया लोहा : सैनिक ने महोर (जम्मू कश्मीर) में 2003 से 2006 के बीच काम किया, जहां वे आतंकवाद निरोधी अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे। उन्होंने एक बार फिर 2008 से 2010 के बीच स्वेच्छा से 54वीं राष्ट्रीय राइफल्स में सेवा देने की बात कही, जहां उन्होंने आतंकवाद से लड़ने में अदम्य साहस और वीरता दिखाई। 
 
हनुमंथप्पा ने 2010 से 2012 के बीच पूर्वोत्तर में स्वेच्छा से सेवाएं दीं, जहां उन्‍होंने नेशनल डेमोक्रेटिक फंट्र ऑफ बोडोलैंड और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के खिलाफ सफल अभियानों में सक्रियता से हिस्सा लिया।

अधिकारी ने बताया कि वे अगस्त 2015 से सियाचिन ग्लेशियर के बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेवा दे रहे थे और दिसंबर 2015 से 19600 फुट की ऊंचाई पर सर्वाधिक ऊंची चौकियों में से एक पर अपनी तैनाती को चुना। वहां तापमान शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे और 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक हवा चल रही हैं।  अधिकारी ने कहा, व्यक्ति के तौर पर हनुमंथप्पा हमेशा मुस्कराते रहने वाले व्यक्ति हैं। उनका अपने साथियों और कनिष्ठों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध है। (भाषा/वेबदुनिया)