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Last Updated : बुधवार, 26 दिसंबर 2018 (14:20 IST)

मोदी ने नहीं बुलाया तो दुखी हो गए पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा

मोदी ने नहीं बुलाया तो दुखी हो गए पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा - Former Prime Minister HD Deve Gowda:The foundation stone of BogibeeBridge in Assam was laid during my tenure-HD Deve Gowda
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा इस बात से दुखी है कि असम में बोगीबी पुल को लोकार्पण अवसर पर उन्हें नहीं बुलाया गया। मोदी ने अटलजी के जन्मदिन पर इस पुल का मंगलवार को लोकार्पण किया था। 
 
पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने कहा कि असम में बोगीबी ब्रिज की आधारशिला मेरे कार्यकाल में रखी गई थी, लेकिन इसे पूरा करने में 21 साल लग गए। इसके लिए मैं क्या कर सकता हूं? उन्होंने कहा कि उद्‍घाटन कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने से वे दुखी हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोग मेरे योगदान को पहचानेंगे।
 
‍ट्‍विटर पर हुए ट्रोल : पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा अपने बयान के बाद ट्‍विटर पर जमकर ट्रोल हुए। पार्थ नामक एक व्यक्ति ने ट्‍वीट कर कहा कि देवेगौड़ा ने सिर्फ आधारशिला रखी थी, इसके लिए उन्होंने कोई राशि स्वीकृत नहीं की थी। मोदी के अलावा यदि किसी को इसका श्रेय दिया जा सकता है तो वे हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी। 
 
एक अन्य ट्‍विटर हैंडल से कटाक्ष किया गया कि बेटे (कुमारस्वामी) से बोलकर एनकाउंटर मत करवा देना। राजनसिंह नामक ट्‍विटर हैंडल पर लिखा गया कि इनका योगदान सिर्फ आधारशिला रखने का ही नहीं, बल्कि उनका एक पुत्र (मुख्‍यमंत्री कर्नाटक) भी है, जो खुलेआम एनकाउंटर का आदेश देता है।
 
क्यों महत्वपूर्ण है यह पुल : बोगीबील पुल परियोजना असम समझौते 1985 का एक हिस्सा है और इसे वर्ष 1997-98 में स्वीकृत किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने 22 जनवरी 1997 को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने 21 अप्रैल 2002 को इस परियोजना का काम शुरू किया गया था।
 
ब्रह्मपुत्र नदी पर इस पुल के बनने से डिब्रूगढ़ से रंगिया (कोलकाता) की दूरी 170 किमी कम हो जाएगी। डिब्रूगढ़ से ईटानगर के लिए सड़क की दूरी 150 किलोमीटर कम हो जाएगी। इन दोनों बिंदुओं के बीच की रेलवे यात्रा दूरी 705 किमी कम हो जाएगी। सामरिक दृष्टि से भी यह पुल भारत के लिए काफी उपयोगी साबित होगा।