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Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 3 जुलाई 2015 (08:36 IST)

कंधार कांड: आतंकियों को नहीं छोड़ना चाहते थे फारूक अब्दुल्ला

कंधार कांड: आतंकियों को नहीं छोड़ना चाहते थे फारूक अब्दुल्ला - Farooq Abdullah Intended to Resign after Kandhar case
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण की घटना के समय यात्रियों को मुक्त कराने के बदले तीन खूंखार आतंकवादियों को छोड़ने का फैसला होने के बाद एक बैठक में तत्कालीन रॉ प्रमुख ए एस दुलाट पर चीख पड़े थे। वह आतंकियों को किसी भी हाल में नहीं छोड़ना चाहते थे।
 
दुलाट ने इस वाकये को याद करते हुए कहा कि फारूक को लगा कि केंद्र सरकार का फैसला एक ‘गलती’ है और वह इस्तीफे के इरादे से राज्यपाल गिरीश चंदर सक्सेना के साथ बैठक के लिए पहुंचे थे, हालांकि राज्यपाल ने उन्हें शांत कराया।
 
उन्होंने इंडिया टुडे टीवी के एक कार्यक्रम में करण थापर से कहा कि जब 24 दिसंबर को विमान का अपहरण हुआ तो आपदा प्रबंधन समूह की ओर से उस वक्त गड़बड़ी हुई जब विमान को अमृतसर उतरने पर नहीं रोका गया।
 
अधिकारी बहस करते रहे, उड़ गया विमान : दुलाट ने कहा, 'कोई फैसला नहीं लेना चाह रहा था और इस असमंजस में पंजाब पुलिस के पास कोई दिशानिर्देश नहीं पहुंचाया गया। वे बहस करते रहे और विमान उड़ गया।'
 
पूर्व रॉ प्रमुख ने कहा कि सीएमजी ने 155 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को मुक्त करने की एवज में तीन आतंकवादियों को छोड़ने पर सहमति दी और फिर आठ दिनों के अपहरण संकट का अंत हुआ। जिन तीन आतंकवादियों को छोड़ा गया उनमें से दो मुश्ताक लतराम और मौलाना मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर की जेल में बंद हैं। (भाषा)