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Last Modified: शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017 (18:20 IST)

दिल्ली चाक-चौबंद, 23 अप्रैल को मतदान

दिल्ली चाक-चौबंद, 23 अप्रैल को मतदान - Delhi Municipal Corporation Election
नई दिल्ली। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने दिल्ली के नगर निगमों के चुनाव के लिए प्रचार शुक्रवार को समाप्त हो गया। अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप के मैदान में रहने से यह पहला मौका है जब निगम चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। अभी तक निगम चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला होता था।
  
दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने 23 अप्रैल को मतदान शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था की है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली पुलिस के अलावा अर्द्धसैनिक बल भी तैनात रहेंगे। कुल 13 हजार 234 मतदान केन्द्रों पर वोट डाले जाएंगे। इस बार निगम चुनावों में कुल 2537 उम्मीदवार मैदान में हैं।
 
भाजपा, कांग्रेस और आप के अलावा आप पार्टी से निष्कासित योगेन्द्र यादव की स्वराज इंडिया भी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), जदयू, सपा, बसपा, वामपंथी दलों के अलावा कुछ अन्य पार्टियों ने भी कई वार्डों में उम्मीदवार खड़े किए हैं।  
 
तीनों ही प्रमुख दलों के लिए निगम चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीतने वाली आप जहां पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव की हार से उबरने की कोशिश में है, वहीं भाजपा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के सहारे तीसरी बार निगम पर काबिज होने का सपना देख रही है। 
 
कांग्रेस 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूरी तरह सूपड़ा साफ होने के बाद अपनी खोई जमीन को हासिल करने के लिए जी-जान से जुटी हुई है। हालांकि चुनाव से चंद दिन पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली और दिल्ली युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अमित मलिक के भाजपा में शामिल होने से उसे करारा झटका लगा है। दिल्ली महिला कांग्रेस अध्यक्ष बरखा शुक्ला सिंह के आरोपों से भी पार्टी को नुकसान होने की आशंका है।
 
तीनों ही प्रमुख दलों ने दिल्ली की सफाई को अपना मुख्य मुद्दा बनाया है। भाजपा ने सत्ता में आने पर अगले पांच साल तक किसी प्रकार का नया कर नहीं लगाने और जरूरतमंदों को 10 रुपए में अंत्योदय योजना के तहत भोजन मुहैया कराने जैसे लोक-लुभावने वादे किए हैं। 
 
कांग्रेस ने भी जीतने पर अगले पांच साल तक कोई नया कर नहीं लगाने, भागीदारी योजना को फिर से लागू करने और वर्तमान संसाधन का बेहतर दोहन कर निगम को एक साल में वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही भ्रष्टाचार को खत्म करने का भरोसा दिया है। पार्टी ने रेहड़ी-पटरी वालों के लिये लाइसेंस देने के साथ प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाने का वादा किया है।  
 
आप ने रिहायशी संपत्ति कर खत्म करने, दिल्ली को साफ-सुथरा बनाने और सफाई कर्मचारियों को समय से वेतन देने, पार्किंग व्यवस्था को बेहतर करने, पेंशन में बढ़ोतरी आदि जैसे लोक-लुभावने वादे किए हैं। दिल्ली की सत्ता में आने के बाद आप और निगम पर काबिज भाजपा के बीच बराबर तनातनी रही। आप ने निगमों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए वहीं भाजपा का कहना था कि निगमों को दिए जाने वाले संसाधनों को जानबूझकर रोका जा रहा है जिससे कि लोगों में पार्टी के खिलाफ नाराजगी का फायदा उठाया जाए। 
 
स्वराज इंडिया ने भी पर्यावरण और सफाई को अपना मुख्य मुद्दा बनाया है। तीनों निगमों में कुल 272 वार्ड हैं। उत्तरी और दक्षिणी निगम में 104-104 तथा पूर्वी में 64 वार्ड हैं। दिल्ली मेट्रो ने निगम चुनावों में ड्यूटी पर तैनात किए गए कर्मचारियों और अधिकारियों को समय से पहुंचाने के लिए 23 अप्रैल को सुबह चार बजे से ट्रेन सेवा शुरू करने की घोषणा की है। मतदान सुबह आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे होगा। कुल एक करोड़ 32 लाख मतदाता हैं। इनमें से 73 लाख 15 हजार 995 पुरुष और 58 लाख 93 हजार 418 महिला मतदाता हैं। अन्य की संख्या 793 है।
                   
आप ने दावा किया है कि पार्टी के आंतरिक सर्वे में उसे 218 सीटों पर विजय मिलेगी। कांग्रेस ने भी आंतरिक सर्वे का हवाला देते हुए 208 सीटों पर विजय हासिल कर तीनों निगमों में सरकार बनाने का दावा किया है। भाजपा का दावा है कि भारी बहुमत के साथ लगातार तीसरी बार निगमों पर उसका कब्जा होगा। (वार्ता)
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