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Last Updated : सोमवार, 8 फ़रवरी 2016 (11:56 IST)

हेडली ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दी गवाही, किए कई अहम खुलासे

हेडली ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दी गवाही,  किए कई अहम खुलासे - david headley Witness
लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी-अमेरिकी एजेंट डेविड हेडली को  26/11 मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मुंबई की अदालत के समक्ष पेश किया गया। हेडली ने लश्कर में उसका संपर्क साजिद मीर से होने की बात कबूली। मीर भी इस मामले में एक आरोपी है। हेडली इस वक्त अमेरिका की किसी अज्ञात जेल में हैं।
डेविड हेडली ने पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद के बारे में कई अहम खुलासे किए। हेडली ने अदालत के समक्ष कहा कि मैं मुजफ्फराबाद के ट्रेनिंग कैंप में हाफिज सईद से मिला था। हाफिज सईद ही भारत में हमले के निर्देश देता था। मैं हाफिज के भाषणों से प्रभावित था।

हेडली ने अदालत को बताया कि नवंबर 2008 में मुंबई में अंतत: हमले करने से पूर्व लश्कर ने दो बार आतंकवादी हमले करने की असफल कोशिश की थी। पहली कोशिश सितंबर और दूसरी कोशिश अक्तूबर में की गई थी। हेडली ने अदालत को बताया कि नवंबर 2008 में मुंबई में अंतत: हमले करने से पूर्व लश्कर ने दो बार आतंकवादी हमले करने की असफल कोशिश की थी। पहली कोशिश सितंबर और दूसरी कोशिश अक्टूबर में की गई थी।

हेडली ने अदालत को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बताया कि वह 26/11 से पहले सात बार और आतंकवादी हमलों के बाद एक बार भारत आया था। हेडली ने अदालत को बताया गया कि उसने वर्ष 2006 में अपना नाम दाऊद गिलानी से बदलकर डेविड हेडली रख लिया था, ताकि वह भारत में दाखिल हो सके और कुछ कारोबार स्थापित कर सके। हेडली ने अतालत के समक्ष कई और राज भी खोले।

हेडली ने अदालत के समक्ष कई अहम खुलासे किए। उसने स्वीकार किया कि उसने भारत में घुसने के लिए फर्जी पासपोर्ट बनवाने के बाद आठ बार भारत की यात्रा की थी। इस दौरान वह 7 बार मुंबई आया था। डेविड हेडली ने आखिरी बार 2009 में मुंबई का दौरा किया था। इसका मतलब 26/11 हमले के बाद भी आतंकी डेविड हेडली भारत आया था। 
 
हेडली ने अदालत के सामने स्वीकार किया कि मैं लश्कर ए तैयबा का कट्टर समर्थक रहा हूं। हेडली ने कहा कि  उसने लश्कर के ही आतंकी साजिद मीर की मदद से फर्जी पासपोर्ट बनवाया था। हेडली ने कहा कि मुंबई हमलेके बाद भी में 7 मार्च 2009 को लाहौर से दिल्ली गया था। 
 
हेडली ने कहा कि मैंने अपना नाम बदलने के बाद इस बारे में सबसे पहले साजिद मीर को बताया था। यही नहीं नाम बदलने के कुछ हफ्तों बाद ही डेविड हेडली पाकिस्तान गया था। हेडली ने कहा कि मैंने भारत में घुसने के मकसद से अपना नाम बदला था। अमेरिकी नाम के जरिये में भारत में घुसना चाहता था। साजिद मीर चाहता था कि मैं भारत में कोई काम करूं। साजिद मीर ने ही डेविड को मुंबई हमले को अंजाम देने के लिए भारत जाकर रेकी करने को कहा था।'

इस बीच मुंबई के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हेडली आपराधिक षड्यंत्र का व्यापक पहलू बता सकता है और हमलों में शामिल सभी लोगों की जानकारी दे सकता है। मुंबई आतंकी हमलों में 166 लोग मारे गये थे और 309 घायल हो गए थे।
 
अधिकारी ने कहा, ‘वह मामले में पाकिस्तान की भूमिका को भी उजागर कर सकता है।’ अदालत ने 10 दिसंबर, 2015 को हेडली को सरकारी गवाह बनाया था और उसे आठ फरवरी को अदालत के समक्ष गवाही देने का निर्देश दिया था।
 
फिलहाल मुंबई हमलों में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिका में 35 साल की कैद की सजा काट रहे हेडली ने विशेष न्यायाधीश जी ए सनप से कहा था कि अगर उसे माफ किया जाता है तो वह गवाही देने को तैयार है। न्यायाधीश सनप ने हेडली को कुछ शर्तों के आधार पर सरकारी गवाह बनाया था और उसे माफी दी थी।

मुंबई पुलिस ने याचिका में कहा था कि हेडली के खिलाफ अमेरिकी अदालत के निर्णय से यह स्पष्ट है कि वह लश्कर का सदस्य था और उसने आतंकवादी हमले में आपराधिक षड्यंत्र रचने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। विशेष सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कल कहा था, ‘भारतीय कानून के इतिहास में पहली बार कोई ‘विदेशी आतंकवादी’ किसी भारतीय अदालत में पेश होगा और बयान देगा।’ निकम ने कहा था कि 26-11 के हमले के पीछे के कई तथ्यों को सामने लाने के लिए हेडली की गवाही महत्वपूर्ण है।