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Last Modified: बुधवार, 26 अक्टूबर 2016 (20:54 IST)

साइरस मिस्त्री ने लिखा विस्फोटक ई-मेल, रतन टाटा पर लगाए आरोप

साइरस मिस्त्री ने लिखा विस्फोटक ई-मेल, रतन टाटा पर लगाए आरोप - Cyrus Mistry, Ratan Tata, Tata Sons
मुंबई। टाटा उद्योग समूह के चेयरमैन पद से अचानक हटाए जाने से आहत साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। मिस्त्री ने कहा है कि कंपनी में उन्हें ‘एक निरीह चेयरमैन’ की स्थिति में ढकेल दिया गया था। उन्होंने कहा कि निर्णय प्रक्रिया में बदलाव से टाटा समूह में कई वैकल्पिक शक्ति केंद्र बन गए थे। ई- मेल में उन्होंने लिखा है कि 'बोर्ड को इस फैसले से कोई प्रशंसा नहीं मिली है' और उन्हें 'अपने बचाव के लिए मौका' तक नहीं दिया गया। अपने पांच पेज के ईमेल में साइरस मिस्‍त्री ने रतन टाटा पर लगातार 'अनुचित हस्‍तक्षेप' का आरोप लगाया और कहा कि इससे उनकी चेयरमैन के रूप में हैसियत कमजोर हुई।
टाटा संस के निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखे एक गोपनीय किंतु विस्फोटक ई-मेल में उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अपनी बात रखने का कोई मौका दिए बिना ही भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह के चेयरमैन पद से हटाया गया। मिस्त्री का कहना है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई ‘चटपट अंदाज’ में की गई। उन्होंने इसे कॉरपोरेट जगत के इतिहास की अनूठी घटना बताया।
 
मिस्त्री ने 25 अक्टूबर को लिखे ई-मेल में कहा कि 24 अक्टूबर 2016 को निदेशक मंडल की बैठक में जो कुछ हुआ, वह हतप्रभ करने वाला था और उससे मैं अवाक रह गया। वहां की कार्रवाई के अवैध और कानून के विपरीत होने के बारे में बताने के अलावा, मुझे यह कहना है कि इससे निदेशक मंडल की प्रतिष्ठा में कोई वृद्धि नहीं हुई। इस ई-मेल में उन्होंने लिखा है कि अपने चेयरमैन को बिना स्पष्टीकरण और स्वयं के बचाव के लिए कोई अवसर दिए बिना चटपट कार्रवाई में हटाना कॉर्पोरेट इतिहास में अनूठा मामला है।
 
दी नुकसान की चेतावनी : मिस्‍त्री ने 103 अरब डॉलर वाले ग्रुप के बोर्ड को चेतावनी भी दी कि गैरलाभकारी बिजनेसों में निवेश से तकरीबन 18 अरब डॉलर के वैल्‍यू के नुकसान होने की भी आशंका है। गौरतलब है कि टाटा ग्रुप का ऋण भार बढ़कर 30 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।  
 
टाटा संस की ओर से नहीं आई कोई प्रतिक्रिया : मिस्त्री के आरोपों के बारे में टाटा संस से जवाब लेने का प्रयास किया गया लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी। टाटा समूह के पूर्व प्रमुख ने कहा कि उन्हें दिसंबर 2012 में जब नियुक्त किया गया था, उन्हें काम करने में आजादी देने का वादा किया गया था, लेकिन कंपनी के संविधान में संशोधन तथा टाटा परिवार ट्रस्ट तथा टाटा संस के निदेशक मंडल के बीच संवाद संपर्क के नियम बदल दिए गए थे। (एजेंसियां)