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Last Modified: मंगलवार, 30 अगस्त 2016 (08:16 IST)

हाईकोर्ट से गृह मंत्रालय बोला, भारत में अब भी हो रहे हैं बाल विवाह

हाईकोर्ट से गृह मंत्रालय बोला, भारत में अब भी हो रहे हैं बाल विवाह - child marriage
नई दिल्ली। केन्द्र ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने स्वीकार किया कि भारत में बाल विवाह हो रहे हैं और लड़की की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 15 वर्ष बरकरार रखने का फैसला संशोधित बलात्कार कानून के तहत किया गया ताकि जोड़े को उनके बीच यौन संबंधों को लेकर दंडित किए जाने से बचाया जा सके।
 
गृह मंत्रालय ने मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ के सामने यह बात कही। पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया कि संशोधित बलात्कार कानून के जरिये विसंगतियां पैदा हो रही हैं क्योंकि संशोधित कानून पति को उसकी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के अपराध के लिए अभियोजन से बचाता है।
 
लड़की की शादी की उम्र से संबंधित भादंसं की धारा 375 (2) के संदर्भ में मंत्रालय ने कहा, 'देश में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास अब भी असमान है और बाल विवाह हो रहे हैं।
 
मंत्रालय ने कहा, 'भादंसं की धारा 375 (बलात्कार) के अपवाद दो के तहत 15 वर्ष की उम्र बरकरार रखने का फैसला इसलिए किया गया ताकि पति और पत्नी को उनके बीच यौन संबंधों को लेकर दंडित होने से बचाया जा सके।
 
मंत्रालय ने कहा कि भारत में बाल विवाह की सामाजिक सच्चाई को देखते हुए 15 वर्ष से अधिक उम्र वाली अपनी पत्नी के साथ किसी भी तरह के यौन संबंध बनाने के लिए पति को अभियोजन से संरक्षण प्रदान किया गया है।
 
इसमें कहा गया कि रजामंदी से शादी की उम्र 18 वर्ष है अैर बाल विवाह को हतोत्साहित किया जाता है लेकिन अनुमति वाली उम्र से कम पर शादी से बचे जाने की जरूरत है लेकिन सामाजिक वास्तविकताओं के कारण यह कानून की नजर में शून्य नहीं है।
 
अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया कि भादंसं की धारा 375 (बलात्कार) में 2013 में संशोधन गलत और भादंसं की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के साथ विसंगति पैदा करने वाले हैं। (भाषा) 
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