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चुनौती बनकर खड़ा है शोषण एवं दमन का दौर...

चुनौती बनकर खड़ा है शोषण एवं दमन का दौर... - Champaran Satyagraha Movement
शोषण का दौर न तो समाप्त हुआ है और न ही भूमि समस्या का समाधान हो सका
मोतीहारी में चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह संपन्न
 
वर्धा (सप्रेस)। नीलहों के अत्याचार से मुक्ति के लिए गांधीजी के नेतृत्व में हुए चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में गत 23-24 मार्च 2017 को पूर्वी चंपारण (बिहार) के जिला मुख्यालय मोतीहारी में सर्व सेवा संघ द्वारा 'चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह' आयोजित किया गया।
 
इसका उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने संयुक्त रूप से किया। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ गांधीवादी, पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति डॉ. रामजी सिंह ने की।
 
कार्यक्रम में बिहार के शिक्षामंत्री अशोक चौधरी, गांधीवादी युवाकर्मी डॉ. एसएन सुब्बाराव, स्वामी अग्निवेश, मेधा पाटकर, पीवी राजगोपाल, पर्यावरणविद् राजेन्द्रसिंह आदि उपस्थित थे। समारोह में 23 राज्यों के सर्वोदयी कार्यकर्ता, विभिन्न सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए जूझ रहे कार्यकर्ता, किसान अग्रणी, युवा तथा स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
 
सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष महोदव विद्रोही ने अधिवेशन की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने के बावजूद शोषण एवं दमन का दौर न तो समाप्त हुआ है और न ही भूमि समस्या का समाधान हो सका है। यह हमारे सामने चुनौती बनकर खड़ा है। इसका समाधान करना ही शताब्दी समारोह का सच्चा स्मरण होगा।
 
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने कहा कि बापू के पूर्ण स्वराज्य का ख्वाब आज भी अधूरा है। चंपारण आजादी के इतिहास का प्रथम तीर्थस्थान है। जिन मुद्दों को लेकर सत्याग्रह आंदोलन हुआ वो आज भी ज्वलंत है। देश में किसानों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है और आज विकास के नाम पर किसानों के सपनों को कुचला जा रहा है। इससे वे अपने अधिकार से वंचित हैं। गांधीवादी संस्थाओं की स्थापना जिन सामाजिक लड़ाइयों के लिए की गई थी, वे लुप्त होते जा रही हैं। आज जिस तरह गरीबों और अमीरों के बीच की दूरी बढ़ी है वह इस देश की सीमा के खतरे से भी बड़ी है।
 
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सरकार ने पूरे राज्य में 1 साल तक सत्याग्रह शताब्दी वर्ष मनाने का निर्णय किया है। इसके पहले चरण के तहत पटना में 10-11 अप्रैल 2017 को 'राष्ट्रीय विमर्श' का आयोजन किया गया। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया दो विचारधाराओं में बंट गई है। अमेरिका में कुछ हो रहा है। अपने देश में देख लीजिए। जर्मनी में नाजी पार्टी को फिर से जीवित करने की बात हो रही है। असहिष्णुता लगातार बढ़ रही है। इसका हाल गांधीजी के विचारों में है। अगर सब लोग संवेदनशील हो जाएं, तो अगले 10-20 साल में देश की तस्वीर बदल जाएगी। कुदरत ने इंसान को गढ़ा है। किसी भी दौर को याद करें, हर तरह से लोग रहे हैं। नायक भी रहे हैं और खलनायक भी। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है, हमें अपना काम करना चाहिए।
 
चंपारण सत्याग्रह एवं नवउपनिवेशवाद अधिवेशन का मुख्य विषय था। 'चंपारण सत्याग्रह एवं नवउपनिवेशवाद' इस विषय पर अपने विचार रखते हुए जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की संयोजक तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर ने कहा कि आज भूमि की लूट हो रही है। सरकारें खेती की जमीन किसानों से अधिगृहीत कर कॉर्पोरेट घरानों को बांट रही है। सरकारें कंपनियों के एजेंट की तरह काम कर रही हैं। नर्मदा घाटी, छत्तीसगढ़ सहित देश के अनेक भागों में लोगों को उजाड़ा जा रहा है। फलस्वरूप लोगों का गुस्सा जगह-जगह फूट रहा है। 
 
एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूमि अधिकार अभियान के संयोजक पीवी राजगोपाल ने भूमिहीनता तथा आवास के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि अनेक कानूनों के बावजूद भूमिहीनों को न्याय नहीं मिल रहा है।
 
समारोह के दूसरे सत्र में बंधुआ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने कहा कि गांधीजी ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए सत्याग्रह के उपकरण का इस्तेमाल किया। सत्याग्रह तभी संभव है, जब उसका मार्ग अहिंसा का हो। सत्याग्रह का अर्थ है शठे पत्यपि सत्य। हिंसा के सामने अहिंसा व क्रोध के सामने अक्रोध प्रकट करना। उन्होंने बिगड़ रहे सांप्रदायिक सौहार्द पर चिंता व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि सर्व सेवा संघ किसान-मजदूरों के हक की आवाज बने। 
 
इस अवसर पर सुलभ इंटरनेशनल के आईसी कुमार, सिस्टर सेलिस, नवभारत जाग्रतिक केंद्र के गिरिजा सतीश, प्रमोद शर्मा, ईपी मेनन, 'सर्वोदय समाज' के संयोजक आदित्य पटनायक, 'हरिजन सेवक संघ' के लक्ष्मण दास आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

साभार- सर्वोदय प्रेस सर्विस