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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 2 अगस्त 2015 (23:52 IST)

सरकार और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध तेज

सरकार और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध तेज - Central government, Congress
नई दिल्ली। संसद में बने गतिरोध को दूर करने के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के एक दिन पहले रविवार को सरकार और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध तेज हो गया और सरकार ने जहां मुख्य विपक्षी दल पर नकारात्मकता एवं ‘विघ्नकारी रवैए’ का आरोप लगाया वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए गतिरोध दूर करने को लेकर सत्ता पक्ष की गंभीरता पर सवाल किया।
मानसून सत्र के लगभग आधा हिस्सा के बिना खास कामकाज के ही गुजर जाने के बीच सरकार ने कहा कि कांग्रेस के लिए सम्मानजक रास्ता यह होगा कि ललित मोदी की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा की गई कथित मदद के मुद्दे पर वह सदन में चर्चा कराने के लिए तैयार हो जाए।
 
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने भाजपा मुख्यालय में संबोधित करते हुए साफ किया कि मध्य प्रदेश के व्यापमं घाटाले पर चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि यह एक राज्य से जुड़ा विषय है। इस मामले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विपक्ष के निशाने पर हैं। संसद में बने गतिरोध को दूर करने के लिए सरकार ने कल एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
 
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस ‘राजनीतिक कारणों’ से सरकार से परेशान हो सकती है, लेकिन उसे गहराई से यह आत्मविश्लेषण करना चाहिए कि नकारात्मक सोच एवं उसके विघ्नकारी रवैए से देश और अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा।
 
जेटली ने अपने फेसबुक पेज पर डाले पोस्ट में जीएसटी विधेयक के संदर्भ में कांग्रेस पर निशाना साधा। यह विधेयक संसद से पारित नहीं हो पा रहा है क्योंकि विपक्ष ललित मोदी मामले में सुषमा स्वराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और व्यापमं मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफों की मांग कर रहा है।
 
केन्द्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां भाजपा मुख्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान कांग्रेस को दिग्भ्रमित बताया और कहा कि ‘सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे मांग कर कांग्रेस खुद ही खुद को असमर्थनीय स्थिति में डालकर अपने बुने जाल में फंस गई है। इस स्थिति से सम्मानजनक ढंग से निकलने का उसके लिए यही रास्ता होगा कि वह ललित मोदी प्रकरण पर संसद में चर्चा कराने पर राजी होकर इन मुद्दों पर अपनी बात रखे।
 
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि संसद के नहीं चलने का दोष पूरी तरह से प्रधानमंत्री के अहंकार और जिद पर है। जेटली की टिप्पणी का जिक्र करते हुए शर्मा ने कहा, व्यवधान के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए भाजपा एवं वित्तमंत्री का गैरजरूरी, कठोर और भड़काऊ बयान यह स्पष्ट करता है कि सरकार संसद में गतिरोध को दूर करने के लिए गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा और जेटली कांग्रेस को उपदेश नहीं दें और जब वे विपक्ष में थे, उस समय के अपने आचरण के लिए माफी मांगें।
 
पूर्व मंत्री शर्मा ने कहा, यह विडंबना है कि अरुण जेटली कांग्रेस को विचार करने के लिए कह रहे हैं जबकि सरकार के अपने दावे के अनुसार पिछले 10 सालों की तुलना में पिछले एक साल के दौरान संसद में ज्यादा काम हुआ है। 
 
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के दौरान संसद में हुए कामकाज और महत्वपूर्ण विधायी काम पूरा किए जाने का श्रेय जिम्मेदार और परिपक्व विपक्ष पर है जबकि उसके पहले के 10 साल में विधायी कामकाज में बाधा डालने का दोष भाजपा पर है।
 
उन्होंने कहा कि यह भाजपा और विपक्ष की जिम्मेदारी है कि वह प्रधानमंत्री और भाजपा के दोहरे रवैए का पर्दाफाश करे ताकि ईमानदारी, शुचिता और जवाबदेही पर उनके पाखंड, दोहरे मानदंड को सामने लाया जा सके।
 
इस बीच संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू ने किसी इस्तीफे से इंकार किया और कहा कि चर्चा कराई जा सकती है जिसमें विपक्ष अपनी बात रख सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि न तो सुषमा स्वराज और न ही राजे ने ऐसा कोई अनैतिक या अवैध काम किया है कि उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। उस समय तो राजे मुख्यमंत्री भी नहीं थीं। नायडू ने कहा, हम विपक्ष को साथ लेना चाहते हैं..। हम लोग चर्चा करें..। अगर वे अपने विचार रखना चाहते हैं तो हम तैयार हैं।
 
उधर कांग्रेस को भ्रमित बताते हुए सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने पहले ललित मोदी प्रकरण पर संसद में चर्चा की मांग की और सरकार के इस पर राजी हो जाने से वह सकते में आ गई और फिर कहने लगी कि जब तक उक्त तीनों नेताओं के इस्तीफे नहीं होते तब तक वह संसद मे ऐसी किसी चर्चा में हिस्सा नहीं लेगी। 
 
मंत्री ने विपक्ष की एकता में सेंध लगाने का भी प्रयास करते हुए दावा किया कि कांग्रेस संसद के कामकाज में व्यवधान डाल रही है जबकि अन्य विपक्षी दल कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में चर्चा कराना चाहते हैं।
 
उन्होंने कहा कि संसद के नियम व्यापमं जैसे राज्य के मुद्दों पर चर्चा की अनुमति नहीं देते हैं, लेकिन अगर सदस्य चाहते हैं तो नियम बदले जा सकते हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि कुछ अन्य सदस्य कांग्रेस शासित केरल के सौर ऊर्जा घोटाले और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाना चाहते हैं।
 
संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार चाहती है कि संसद में सुचारू रूप से कामकाज हो और गतिरोध दूर करने के लिए कल की बैठक में सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है। (भाषा)