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Last Updated : गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018 (11:46 IST)

CBI vs CBI : 2 मिनट में जानिए क्या है पूरा मामला, क्यों निशाने पर है मोदी सरकार

CBI vs CBI : 2 मिनट में जानिए क्या है पूरा मामला, क्यों निशाने पर है मोदी सरकार - cbi vs cbi : 2 men arrested from outside alok vermas home
नई दिल्ली। सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों में घूसकांड को लेकर मचा घमासान अब दफ्तर से निकलकर सड़क पर आ गया है। सरकार ने दोनों शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था, साथ ही दोनों अधिकारियों के दफ्तरों को सील भी कर दिया था। गुरुवार सुबह इस मामले में नया मोड़ तब आया, जब सीबीआई के मुखिया आलोक वर्मा के घर के बाहर से 4 लोगों को पकड़ा गया है। पुलिस इन सभी से पूछताछ कर रही है। इनके पास से आईबी के कार्ड भी मिले हैं। सीबीआई के अधिकारियों के बीच मचे घमासान के बाद मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है।
 
सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ दर्ज किया था मुकदमा : सीबीआई ने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना समेत 4 लोगों के खिलाफ मांस कारोबारी को क्लीन चिट देने के मामले में 3 करोड़ रुपए रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज किया था। सतीश साना नाम के व्यक्ति ने मामले को रफा-दफा करने के लिए घूस लेने के आरोप में FIR दर्ज की थी। आरोप था कि रिश्वत लेकर मांस कारोबारी मोईन कुरैशी को क्लीन चिट दिलाई। मीट कारोबारी मोईन पर मनीलांड्रिंग और भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया। सीबीआई ने अस्थाना पर उगाही और फर्जीवाड़े का मामला भी दर्ज किया।
अस्थाना ने आलोक वर्मा पर लगाए थे आरोप : अस्थाना ने कैबिनेट सचिव और केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र लिखकर सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और अनियमितता के कम से कम 10 मामलों का जिक्र किया था। इसी मामले में अस्थाना ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए दो महीने पहले कैबिनेट सेक्रेटरी को पत्र लिखा था। 24 अगस्त को लिखे इस पत्र में अस्थाना ने उन दस मामलों की जानकारी दी थी, जिसमें उन्हें लगता था कि एजेंसी प्रमुख आलोक वर्मा ने भ्रष्टाचार किया है। अस्थाना ने मोईन मामले में वर्मा पर दो करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया था।
 
सीवीसी की सिफारिश पर छुट्टी पर भेजा : सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच सरकार ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छु्ट्टी पर भेज दिया और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया। चार्ज लेने के साथ ही नागेश्वर राव ने मामले से जुड़े 13 अन्य अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया। आलोक वर्मा ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की। इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।
 
कौन है मोईन कुरैशी : मांस कारोबारी कुरैशी का पूरा नाम मोईन अख्तर कुरैशी है। दून के स्‍कूल में पढ़ाई करने वाले मोईन के बारे में कहा जाता है कि उसके राजनीतिज्ञों से अच्छे संबंध रहे हैं। किसी समय उत्तरप्रदेश के रामपुर में छोटा-सा बूचड़खाना चलाने वाले कुरैशी की गिनती अब अरबपति कारोबारियों में होती है। उसकी देश-विदेश में कई कंपनियां हैं।
 
नरेन्द्र मोदी ने भी 2014 में चुनावी रैलियों में मोईन का उल्लेख किया था और कहा था कि कांग्रेस शासनकाल में उसके अच्छे संबंध थे जिससे उससे पूछताछ नहीं हुई। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने उसे चुनाव के दौरान ही गिरफ्तार किया था। उस पर हवाला के जरिए दुबई, यूरोप आदि स्थानों पर अवैध रूप से धन भेजने के आरोप हैं।
 
कांग्रेस ने विवाद को राफेल से जोड़ा : सीबीआई विवाद पर सरकार की सफाई के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला और इस मामले को राफेल सौदे से जोड़कर देखा। राहुल गांधी ने कहा कि सीबीआई चीफ आलोक वर्मा राफेल से जुड़े कागजात इकट्ठा कर रहे थे। इस कारण प्रधानमंत्री ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया। सीबीआई विवाद को लेकर कांग्रेस पार्टी ने 26 अक्टूबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। पार्टी नेता विभिन्न राज्यों में स्थित सीबीआई कार्यालयों के सामने प्रदर्शन करेंगे।