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Last Modified: अहमदाबाद , बुधवार, 27 मई 2015 (00:06 IST)

कर चोरी के लिए पनाहगाहों का दौर खत्म : जेटली

कर चोरी के लिए पनाहगाहों का दौर खत्म : जेटली - Black money
अहमदाबाद। स्विटजरलैंड द्वारा स्विस बैंकों में खाता रखने वाले कुछ भारतीयों के नाम सार्वजनिक किए जाने के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि कर चोरी के लिए पनाहगाहों का दौर खत्म हो चुका है और विदेशों में अवैध रूप से संपत्तियां रखना अब सुरक्षित नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘मैं बार-बार कहता रहा हूं कि कर पनाहगाहों (टैक्स हेवन) का दौर समाप्त हो गया है। अपना धन अवैध रूप से विदेश में रखना सुरक्षित नहीं रहा। उन्होंने कहा कि दुनिया अवैध धन के बारे में सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की ओर बढ रही है। साल 2017 तक ऐसी स्थिति होगी कि हमें सूचनाएं तत्काल मिलने लगेंगी।
 
जेटली ने कालाधन रखने वालों को आगाह करते हुए कहा, कालाधन विधेयक में हमने अनुपालन सुविधा का प्रावधान किया है। आप इस अवसर का लाभ उठाएं, अपनी संपत्ति घोषित करें तथा कर व जुर्माना चुकाएं। अगर आप इस मौके का लाभ नहीं उठाते हैं तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे। उल्लेखनीय है कि संसद ने कालेधन संबंधी विधेयक को इसी महीने पारित किया है।
 
जेटली ने यहां कहा, मैं बार-बार कहता रहा हूं कि भारतीयों द्वारा भारत के बाहर संपत्ति व धन रखने के संबंध में गोपनीयता का नकाब उठने जा रहा है, इससे विदेश में संपत्ति रखने वालों को पर्याप्त संकेत मिल जाना चाहिए। 
 
उल्लेखनीय है कि स्विटजरलैंड सरकार ने अपने संघीय राज-पत्र में जिन विदेशी लोगों के नाम सार्वजनिक किए हैं उनमें सात ‘भारतीय नागरिक’ भी शामिल हैं। भारत सरकार ने इनके बारे में जानकारी मांगी थी और इनके खिलाफ भारत में कर संबंधी जांच चल रही है। 
 
राज-पत्र में प्रकाशित इन नामों में उद्योगपति यश बिड़ला, गुरजीत सिंह कोचर, दिल्ली की महिला उद्योगपति रितिका शर्मा तथा मुंबई के सिटी लिमोजिन घोटाले में शामिल दो व्यक्तियों के नाम भी हैं।
 
इन लोगों के नाम प्रकाशित करने के साथ उनसे 30 दिन के भीतर अपील करने की बात कहते हुए अधिसूचना में सभी सातों के नाम और जन्म तिथि का जिक्र है। इसमें गुरजीत सिंह कोचर का भी नाम है जिन्होंने चड्ढ़ा परिवार में शादी की और माना जा रहा है कि वे फिलहाल भारत से बाहर हैं।
 
बिड़ला और शर्मा के बारे में अधिसूचना में उनके क्रमश: मुंबई और दिल्ली के पते भी हैं। स्विटजरलैंड द्वारा स्विस बैंकों में खाता रखने वाले कुछ भारतीयों के नाम सार्वजनिक किए जाने का स्वागत करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि इससे विदेशों में अघोषित संपत्ति रखने वालों को समझ लेना चाहिए कि उनके खिलाफ आने वाले समय में कैसी कार्रवाई हो सकती है। 
 
अहमदाबाद में उन्होंने कहा कि कर पनाहगाहों का दौर समाप्त हो गया है और अवैध तरीके से विदेशों में संपत्ति रखना अब सुरक्षित नहीं रह गया है। इस बीच, यश बिड़ला समूह ने ईमेल पर भेजे एक बयान में कहा कि उनके नाम पर या उनके नियंत्रण में कोई व्यक्तिगत खाता नहीं है। यहां कर अधिकारियों को इस स्थिति के बारे में जानकारी दी जा चुकी है।
 
रितिका शर्मा को बार-बार फोन किया गया, पर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। वहीं कोचर के परिवार वालों ने भी अधिसूचना के बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया। ऐसा माना जाता है कि वे भारत से बाहर हैं। उनके खिलाफ पिछले कुछ समय से आयकर विभाग और अन्य एजेंसियां जांच कर रही हैं।
 
स्नेह लता साहनी और संगीता साहनी का कोई संपर्क सूत्र उपलब्ध नहीं है। वहीं मसूद से बार-बार प्रयासों के बाद भी संपर्क नहीं हो सका। जिस तरीके से नाम सार्वजनिक किए गए हैं, उनमें बड़े नाम शामिल हो सकते हैं। वैसे जिन लोगों के नाम ताजा राजपत्र में प्रकाशित किए गए हैं, उनमें फ्रांसिस्को जोस ओर्टिज वोन बिसमार्क के नाम शामिल हैं। जर्मन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वह जर्मन साम्राज्य के पहले चांसल ओटोवोन बिसमार्क के वंशज हैं।
 
अधिकारियों ने कहा कि राजपत्र अधिसूचना के जरिए पूर्व में भी नाम सार्वजनिक किए गए हैं लेकिन ये वे लोग थे जिसके बारे में बैंक पता लगाने में असमर्थ थे। साथ ही संख्या में बड़े पैमाने में वृद्धि हुई है जिसका कारण अन्य देशों से द्विपक्षीय सहायता प्रक्रिया के तहत स्विस कर विभाग के पास किए  गए अनुरोध हैं।
 
इसके अलावा एक नए ये कानून से इस अनिवार्य प्रावधान को समाप्त कर दिया गया कि स्विस प्राधिकरण द्वारा बैंक ग्राहकों के बारे में किसी प्रकार की सूचना साझा करने से पहले उन्हें (बैंक ग्राहक) को पहले सूचना दी जाए। अधिकारियों के अनुसार राजपत्र में नाम प्राकशित करने का मकसद संबंधित व्यक्तियों को कानूनी उपाय तलाशने का एक मौका देना है।
 
इन व्यक्तियों के नाम प्रकाशित करते हुए स्विस फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफटीए) ने कहा है कि यदि वे चाहते हैं कि कर मामलों पर उनके बीच ‘द्विपक्षीय सहायता’ संधि के तहत उनके बारे में जानकारी भारतीय अधिकारियों के साथ साझा नहीं की जाए तो वे 30 दिन के भीतर फेडरल एडमिनिस्ट्रेटिव कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
 
बिड़ला और रितिका शर्मा के मामले में अधिसूचना में उनके भारत में पते का भी जिक्र है लेकिन राज-पत्र में वह सूचना नहीं दी गई है जिसे भारत को पहले ही उपलब्ध कराया जा चुका है। अन्य भारतीय नागरिकों के मामले में उनके नाम और जन्म तिथि के अलावा कोई अन्य ब्योरा नहीं है। इसी प्रकार की स्थिति ब्रिटेन, स्पेन और रूस के नागरिकों के मामले में है।
 
हालांकि, अमेरिकी तथा इसराइली नागरिकों के संदर्भ में उनके पूरे नाम नहीं बताए गए हैं और केवल नाम के संकेत (इनीशिअल) और जन्म तिथि जारी किए गए हैं। स्विट्जरलैंड सरकार ने इस महीने इस प्रकार के कम-से-कम 40 ‘नोटिस’ प्रकाशित कराए हैं। आगे भी इस प्रकार के कुछ और नाम सार्वजनिक किए जाने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में धन रखने का मुद्दा भारत में बहस का प्रमुख विषय बना हुआ है।
 
भारत सरकार लंबे समय से स्विस अधिकारियों पर संदिग्ध कर चोरी करने वालों की जानकारी साझा करने को लेकर दबाव दे रही है। हालांकि स्विट्जरलैंड ने वैसे मामलों में कुछ ब्योरा साझा किया है जिनमें भारत स्विस बैंकों के भारतीय ग्राहकों द्वारा संदिग्ध कर चोरी को लेकर स्वतंत्र रूप से कुछ सबूत उपलब्ध कराने में सक्षम रहा। फिलहाल इस बारे में एफटीए प्रवक्ता को ईमेल के जरिए पूछे गए सवालों का जवाब नहीं आया है।
 
उल्लेखनीय है कि स्विट्जरलैंड की सरकार के पास भारत समेत विभिन्न देशों से संदिग्ध कालाधन रखने वालों के बारे में जानकारी को लेकर मिले कई अनुरोधों के बीच यह सूचना सार्वजनिक की गई है। इन नोटिसों के अनुसार सम्बद्ध व्यक्ति तीस दिन में फेडरल एडमिनिस्ट्रेटिव कोर्ट में अपील कर सकता। उसे अपने पक्ष में साक्ष्य भी पेश करने होंगे।
 
राजपत्र में प्रकाशित इन नोटिस के जरिए स्विस एफटीए सम्बद्ध व्यक्तियों को कानूनी उपाय का अवसर भी देना चाहता है। इन लोगों के बारे में दूसरे देश की सरकारें जानकारी देने का आग्रह कर रही थीं। (भाषा)