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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 25 जनवरी 2015 (20:31 IST)

असैन्य परमाणु करार पर अमेरिका और भारत के बीच गतिरोध टूटा

असैन्य परमाणु करार पर अमेरिका और भारत के बीच गतिरोध टूटा - Barack Obama
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका ने अपने ऐतिहासिक असैन्य परमाणु करार के कार्यान्वयन पर पिछले करीब सात साल से बने गतिरोध को दूर करते हुए आज राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बातचीत के बाद इस दिशा में सहमति होने का ऐलान किया।
ओबामा ने इसे एक कामयाबी करार दिया, जिसके अंतर्गत दोनो देशों ने इस महत्वपूर्ण समझौते के कार्यान्वयन के रास्ते में आ रही कुछ बाधाओं को हटाने पर सहमति जताई। इनमें हादसे की सूरत में परमाणु रिएक्टर की आपूर्ति करने वाले देश की जिम्मेदारी और इसके प्रस्तावित परमाणु संयंत्रों के लिए अमेरिका और अन्य देशों द्वारा सप्लाई किए गए ईधन पर नजर रखने जैसे मुद्दे शामिल हैं।
 
विदेश सचिव सुजाता सिंह ने ओबामा और मोदी के बीच निर्धारित अवधि से कहीं अधिक तकरीबन तीन घंटे तक चले विचार-विमर्श के बाद कहा, हमने पिछले कुछ वर्षों से चले आ रहे गतिरोध को तोड़ दिया है। हम समझौते पर पहुंच गए हैं। समझौता संपन्न हुआ। 
 
असैन्य परमाणु करार के जवाबदेही से जुड़े उपबंध के मुद्दे को दोनों नेताओं ने कैसे सुलझाया इस बारे में अभी जानकारी नहीं है। असैन्य परमाणु क्षतिपूर्ति कानून के प्रावधानों को लेकर अमेरिकी परमाणु रिएक्टर निर्माताओं को गंभीर आपत्तियां थी। 
 
यह पूछे जाने पर कि इस बारे में क्या बात हुई मोदी ने मुस्कराते हुए कहा, जहां तक बातों का सवाल है, पर्दे में रहने दें। समझा जाता है कि अमेरिका भारत में उनके आपूर्तिकर्ताओं द्वारा बनाए गए रिएक्टरों को किसी तीसरे देश से भी होने वाली ईधन आपूर्ति पर नजर रखने पर जोर दे रहा था। 
बताया जाता रहा है कि भारत इसका विरोध करता रहा है क्योंकि उसके अनुसार ऐसा करना हस्तक्षेप होगा और वह इस संबंध में केवल अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी के सुरक्षा मानदंडों का पालन करना चाहता है ।
 
बीमा दायित्व उपबंध पर भारत, अमेरिका को कहता रहा है कि वह एक कोष बनाएगा, जो दुर्घटना की स्थिति में अमेरिकी रिएक्टर निर्माताओं की क्षतिपूर्ति करेगा। ओबामा ने कहा, आज हमने दो मुद्दों पर सफलता हासिल की है, जो असैन्य परमाणु करार की दिशा में आगे बढ़ने की हमारी क्षमता को रोके हुए थे और हम इसे पूरी तरह से लागू करने को प्रतिबद्ध हैं। 
 
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो दर्शाता है कि कैसे हम मिलकर अपने रिश्तों को ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने कहा कि वे दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा बनाने को प्रतिबद्ध हैं। 
 
यह इस बात से भी रेखांकित होता है कि ओबामा भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति है और ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जो पद पर रहते हुए दूसरी बार भारत आए हैं, जो इनके बढ़ते संबंधों का परिचायक है।
 
मोदी ने कहा कि ओबामा ने चार अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में जल्द से जल्द भारत की पूर्ण सदस्यता को समर्थन देने के अमेरिकी प्रयासों का आश्वासन दिया है। 
 
प्रधानमंत्री ने बताया कि दोनों देशों ने अपने बढ़ते रक्षा सहयोग को एक नए स्तर तक ले जाने का भी निर्णय किया है। हमने विशिष्ट अत्याधुनिक रक्षा परियोजनाओं के लिए सहविकास और सह निर्माण पर सिद्धांत के तौर पर सहमति जताई है। इससे हमारे घरेलू रक्षा उद्योगों के उन्नयन में मदद मिलेगी और भारत में विनिर्माण क्षेत्र का भी विस्तार होगा। 
 
उन्होंने कहा, हम अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी के अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावना तलाशेंगे। आतंकवाद के बारे में मोदी ने कहा, आतंकवाद मुख्य वैश्विक खतरा बना हुआ है। आतंकवाद की वर्तमान चुनौतियां बने रहने के बीच यह एक नया रूप रूप ले रहा है। हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि हमें इससे लड़ने के लिए एक व्यापक वैश्विक रणनीति और दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। 
प्रधानमंत्री ने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवादी गुटों के बीच कोई भेद नहीं किया जाना चाहिए। हर देश आतंकवादी पनाहगाहों को खत्म करने और आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने की अपनी प्रतिबद्धताओं को अवश्य पूरा करे। 
 
उन्होंने कहा, हम दोनों देश आतंकवादी समूहों के खिलाफ अपने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को और गहरा करेंगे तथा हम अपनी आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को और मजबूत बनाएंगे, जिसमें प्रौद्योगिकी का क्षेत्र भी शामिल है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी कहा कि हम विभिन्न जरियों से आतंकवादी नेटवर्क पर दबाव बना सकते हैं।
 
क्षेत्रीय सहयोग के बारे में मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने एशिया, प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए सहयोग को और गहरा बनाने पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है जो दोनों देशों और दुनिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। 
 
मोदी ने कहा, आज भारत और अमेरिका के संबंध नए स्तर पर हैं। हमने अपनी मित्रता और सहयोग के लिए एक व्यापक दृष्टि तय की है जो इस शताब्दी के अवसरों और चुनौतियों पर आधारित है। 
जलवायु परिवर्तन को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि चीन और अमेरिका के बीच जलवायु परिवर्तन को लेकर जो समझौता हुआ है, उसका भारत पर दबाव नहीं पड़ेगा। भारत एक सम्प्रभु देश है और उस पर किसी देश या व्यक्ति का दबाव नहीं आता है। हां, यह दबाव जरूर है कि भावी पीढ़ी को हम कैसी पृथ्वी देना चाहते हैं। 
 
मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग बहुत बड़ा विषय है और जिनके मन में भावी पीढ़ी को लेकर चिंताएं हैं, उनका दायित्व है कि वे इसके प्रति सचेत बने। उन्होंने कहा कि यह दबाव हर सरकार, हर देश और हर व्यक्ति पर होना चाहिए और उसी दबाव पर हम अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
 
दोनों देशों ने अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री तथा दोनों ओर के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच ‘हॉट लाइन’ स्थापित करने पर सहमति जताई। मोदी ने कहा कि उनके बीच अफगानिस्तान में संक्रमणकाल में सहयोग के विषय में चर्चा हुई। उनका संकेत संभवत: वहां से अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद की स्थिति से था।
 
ओबामा ने कहा कि दोनों देश अफगानिस्तान के लोगों के लिए मजबूत और भरोसेमंद सहयोगी बनने जा रहे हैं। दोनों नेताओं ने कहा कि उन्होंने द्विपक्षीय निवेश संधि पर चर्चा आगे बढ़ाने समेत आर्थिक संबंधों को और ऊंचे स्तर पर ले जाने का निर्णय किया है।
 
मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका सामाजिक सुरक्षा समझौते पर चर्चा को फिर से शुरू करेंगे जो अमेरिका में कार्यरत हजारों भारतीय पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह और अमेरिकी राष्ट्रपति इस बात पर सहमत हैं कि एक मजबूत और बढ़ते हुए आर्थिक संबंध हमारी सामरिक साझेदारी का बहुत अहम हिस्सा है। हमारे दोनों देशों में आर्थिक सहयोग मजबूत हो रहा है। हमारे व्यापारिक वातावरण में सुधार हो रहा है और इसके चलते हम हमारे आर्थिक संबंधों के बारे में अत्यधिक आशावान हैं। 
 
उन्होंने बताया कि इसके अलावा दोनों देशों ने अवसरों की पहचान करने के लिए हमारे कारोबार, व्यापार और निवेश में मदद के लिए कई प्रभावी द्विपक्षीय तंत्र स्थापित किए हैं।
 
मोदी ने ओबामा द्वारा गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बनने के उनके निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए उनका धन्यवाद करते हुए कहा, आप अमेरिका के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जो अपने कार्यकाल में दो बार भारत आए और पहली बार भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बने। 
 
उन्होंने कहा कि इससे यह पता चलता है कि हम दोनों देश इस वैश्विक साझेदारी की जिम्मेदारी को निभाते हुए ठोस कदम उठाने के लिए तैयार हैं। ये ऐसी साझेदारी है जो हम दोनों देशों के लिए और इस शताब्दी को एक नया रूप देगी।
 
उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत के रिश्तों में जो संभावनाएं और क्षमताएं हैं, उस पर कभी भी कोई संदेह नहीं रहा। यह नैसर्गिक, वैश्विक साझेदारी है और इस डिजिटल युग में यह और अधिक प्रसांगिक हो गई है। मोदी ने कहा, इस बदलती दुनिया और इस दुनिया में फैली उथल-पुथल को देखते हुए इसकी और भी अधिक आवश्यता है। (भाषा)