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Last Modified: रविवार, 25 दिसंबर 2016 (16:39 IST)

'अजातशत्रु' हैं अटल बिहारी वाजपेयी : सुधीन्द्र कुलकर्णी

'अजातशत्रु' हैं अटल बिहारी वाजपेयी : सुधीन्द्र कुलकर्णी - Atal Bihari Vajpayee, Sudheendra Kulkarni
नई दिल्ली। भारतरत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपनी पार्टी भाजपा के अलावा सहयोगी एवं विपक्षी पार्टियों, दक्षिणपंथियों, वामपंथियों, दक्षिण भारतीयों, पूर्वोत्तर के लोगों, जम्मू-कश्मीर और छोटे-बड़े सभी राज्यों के दिलों पर राज करते हैं और सभी लोग उन्हें अपना नेता मानते हैं। यह मानना है वाजपेयी के साथ लंबे समय तक काम कर चुके सुधीन्द्र कुलकर्णी का।
 
लंबे अरसे से अस्वस्थ चल रहे वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय में संचार एवं अनुसंधान मामलों के निदेशक रहे कुलकर्णी ने खास बातचीत में कहा कि वाजपेयीजी 'अजातशत्रु' हैं तथा आज की राजनीति में ऐसे बहुत कम लोग मिलते हैं जिनके सभी से मित्रवत संबंध हों, चाहे दक्षिण भारत हो, पूर्वोत्तर हो, कश्मीर हो, वामपंथी हों, कांग्रेसी हों, वे सभी की बात सुनते थे। वे राष्ट्रीय नेता हैं। सभी को लगता है कि वे हमारी बात सुन सकते हैं, समझ सकते हैं।
 
आज की राजनीति में इतना कड़वापन और टकराव आ गया है जिसमें वाजपेयी एक विरले स्टेट्समैन की तरह नजर आते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। आज (रविवार को) उनका 92वां जन्मदिन है। अपने प्रधानमंत्रित्वकाल में उनकी विदेश नीति की पहली प्राथमिकता पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारना और कश्मीर समस्या का समाधान करना था।
 
कुलकर्णी ने बताया कि उन्हें लगता था कि कश्मीर के लोगों का दिल जीतना जरूरी है। ऐसे में उन्होंने फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला को अपनी सरकार में शामिल किया। मुफ्ती मोहम्मद सईद भी उनके साथ खड़े नजर आए। दूसरी तरफ उन्होंने हुर्रियत नेताओं के साथ भी बातचीत की। किसी को अछूत नहीं समझा।
 
कुलकर्णी ने बताया कि वहां के लोगों को लगता था कि उनके रहते कश्मीर समस्या का समाधान हो जाएगा। उन लोगों ने उन्हें कश्मीर से चुनाव लड़ने का भी निमंत्रण दिया था। उन्होंने पाकिस्तान के साथ रिश्ता सामान्य बनाने के लिए काफी प्रयास किया। इस मुद्दे को लेकर किसी अन्य प्रधानमंत्री ने उनके जितना प्रयास नहीं किया।
 
कश्मीर को लेकर उन्होंने जो रूपरेखा तैयार की, उसका कोई विकल्प नहीं है। ओजस्वी भाषण देने वाले प्रखर वक्ता, सौम्य व्यक्तित्व, उदार छवि, कोमल-कवि हृदय वाले वाजपेयी का भाषण सुधीन्द्र कुलकर्णी ही तैयार करते थे।
 
इस बाबत पूछे जाने पर कुलकर्णी ने बताया कि किसी का विश्वास जीतना आसान नहीं है लेकिन अगर किसी पर उनका विश्वास एक बार जम गया तो जम गया। मैं उनकी सोच को समझता था इसलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं होती थी। मंत्रालयों, विभागों और संस्थाओं से सामग्री मिल जाती थी। 
 
उन्होंने बताया कि वाजपेयीजी को किसी विषय पर सुझाव देना होता था तो वे मना नहीं करते थे। उनकी देश में एक प्रतिष्ठा थी और सरकार पर एक नियंत्रण था। ऐसे में अगर सही लगा तो सरकारी प्रणाली में वह काम आता था। जहां तक मेरा सवाल है तो मैंने कई विषयों पर उन्हें सुझाव दिए और वह कई सरकारी नीतियों में परिलक्षित भी हुआ। 3 बार प्रधानमंत्री बनने और करीब 6 साल तक सरकार चलाने वाले वाजपेयी ने 20 से अधिक पार्टियों की मिली-जुली सरकार चलाई। (भाषा)
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