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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 28 जून 2015 (20:37 IST)

एपीजे कलाम ने राजनीतिज्ञों को दी नसीहत

एपीजे कलाम ने राजनीतिज्ञों को दी नसीहत - APJ Abdul Kalam
नई दिल्ली। इतिहास की पाठ्यपुस्तकें फिर से लिखे जाने को लेकर पैदा विवाद के बीच पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का कहना है कि इस संबंध में निष्पक्ष शोध की आवश्यकता है तथा इस प्रकार का पुनर्लेखन शासन करने वाले लोगों द्वारा नहीं बल्कि उत्कृष्ट शैक्षणिक योग्यता वाले लोगों द्वारा की जानी चाहिए।
 
उनका यह भी मानना है कि मूल्य आधारित शिक्षा और उचित लालन-पालन से किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों पर काबू पाने में मदद मिल सकती है।
 
उन्होंने कहा कि इतिहास की किताबें मुख्य रूप से शासकों द्वारा लिखी गई हैं, जिन्होंने इस देश पर शासन किया। इसलिए लिखने के पहले शोध किया जाना चाहिए, निष्पक्ष शोध और यह पता करना चाहिए कि ऐतिहासिक रूप से क्या हुआ था। 
 
देश के 11वें राष्ट्रपति रहे कलाम ने कहा कि किताबें अच्छी तरह से शोध के बाद और उचित तरीके से लिखी जानी चाहिए। ऐसी किताबें उन लोगों द्वारा नहीं लिखी जानी चाहिए जो शासन कर रहे हैं बल्कि उत्कृष्ट शैक्षणिक योग्यता वाले लोगों द्वारा लिखी जानी चाहिए। कलाम 2002 से 2007 के बीच देश के राष्ट्रपति थे।
 
उनका हालांकि मानना है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ी किताबों को अक्सर अद्यतन बनाना जाना चाहिए क्योंकि नित नई जानकारी आती रहती है। वर्ष 1997 में भारत रत्न से नवाजे गए कलाम ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने खासी प्रगति की है। कुछ दशक पहले तक, इंटरनेट के बारे में कोई नहीं जानता था। लेकिन अब हमें इसे जोड़ना है। अब एक नए प्रकार का संवाद आ रहा है..95 जीएचजेड डब्ल्यू बैंड। इसलिए पाठ्यक्रम को अद्यतन बनाना होगा क्योंकि प्रौद्योगिकी बदलती रहती है, कार्यप्रणाली बदलती रहती है। 
 
उन्होंने एक नई किताब 'रिइग्नाइटेड : साइंटिफिक पाथवेज टु ए ब्राइटर फ्यूचर' लिखी है। उनके करीबी सहयोगी सृजन पाल सिंह इसके सह लेखक हैं। इस किताब में उनके जीवन के बारे में कई जानकारी मिलती है। इसके अलावा रोबोटिक्स, वैमानिकी, तंत्रिका विज्ञान, पैथोलोजी, जीवाश्म विज्ञान और भौतिक विज्ञान जैसे कई क्षेत्रों में युवाओं के लिए सलाह भी है। उनका कहना है कि किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों पर काबू पाने के लिए मूल्य आधारित प्राथमिक शिक्षा, अच्छा लालन-पालन और शिक्षकों द्वारा ज्ञान काफी महत्वपूर्ण हैं।
 
कलाम ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय के लिए सबसे बड़ी चुनौती भूकंप की भविष्यवाणी है। इसके लिए भूवैज्ञानिकों, भौतिक वैज्ञानिकों, भौतिकविदों और दूर संवेदी उपग्रह विशेषज्ञों, चट्टान निर्माण संबंधी विशेषज्ञों और तेल उत्खनन विशेषज्ञों की एक एकीकृत टीम गठित करनी होगी।
 
उन्होंने कहा, कई मानदंडों का उपयोग कर अनुसंधान करना होगा। यह भूविज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित और सूचना प्रौद्योगिकी का संयोजन करना होगा। कलाम ने कहा, यह एक बड़ी चुनौती है। भूकंप से होने वाले भारी नुकसान को देखते हुए अनुसंधान काफी आवश्यक है। एक बहुराष्ट्रीय प्रयास की जरूरत है। (भाषा)